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कार्तिक महीने की द्वादशी को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, महिलाओं ने की गंगा पूजा

कार्तिक माह के द्वादशी को लेकर अलखनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. यहां श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पूजा-पाठ किया. स्थानीय लोगों ने पूजा पाठ की सामग्री सहित श्रंगार की दुकानें लगाईं.

महिलाओं ने की गंगा पूजा
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Published : Nov 9, 2019, 8:51 AM IST

पटना: शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो गई है, इस पूजा को कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. धर्म के जानकार बताते है कि इस माह में सभी देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते है.

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्तिक माह के द्ववादशी को लेकर अलखनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. यहां श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पूजा-पाठ किया. स्थानीय लोगों ने पूजा पाठ की सामग्री सहित सिंगार की दुकानें लगाई. महिलाओं ने यहां कार्तिक मास की व्रत की कथा सुनी. कार्तिक मास एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इसके करने से ग्रह गोचर, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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महिलाओं ने की पूजा

कदम के पेड़ की करती है पूजा
रविवार से कई महिलाएं 5 दिन तक फल खा कर व्रत करेंगी और कई महिलाएं बिना कुछ खाये पीये व्रत करेंगी. सभी महिलाएं 12 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा में अपना पारन करेगी. उस दिन महिलाएं कदम्ब के पेड़ की पूजा करती है. इसे पांच भीखन भी कहा जाता है. बता दें कि एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु नींद से जागे थे.

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

गंगा स्नान का है बहुत महत्व
उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस, सिमरिया, बाढ़ चले आते है. यहां आकर 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा-पाठ करते है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है, जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

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महिलाओं ने की गंगा पूजा

पटना: शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो गई है, इस पूजा को कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. धर्म के जानकार बताते है कि इस माह में सभी देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है. 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते है.

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्तिक माह के द्ववादशी को लेकर अलखनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. यहां श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर पूजा-पाठ किया. स्थानीय लोगों ने पूजा पाठ की सामग्री सहित सिंगार की दुकानें लगाई. महिलाओं ने यहां कार्तिक मास की व्रत की कथा सुनी. कार्तिक मास एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इसके करने से ग्रह गोचर, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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महिलाओं ने की पूजा

कदम के पेड़ की करती है पूजा
रविवार से कई महिलाएं 5 दिन तक फल खा कर व्रत करेंगी और कई महिलाएं बिना कुछ खाये पीये व्रत करेंगी. सभी महिलाएं 12 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा में अपना पारन करेगी. उस दिन महिलाएं कदम्ब के पेड़ की पूजा करती है. इसे पांच भीखन भी कहा जाता है. बता दें कि एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु नींद से जागे थे.

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

गंगा स्नान का है बहुत महत्व
उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस, सिमरिया, बाढ़ चले आते है. यहां आकर 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा-पाठ करते है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है, जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है.

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महिलाओं ने की गंगा पूजा
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Body:बाढ़:शरद पूर्णिमा की समाप्ति होते ही कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है।कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 12 माह में कार्तिक माह को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। क्योंकि इस महीने में सारे देवी देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है मतलब 1 महीने तक लगातार वे पृथ्वी पर रहते हैं। इस महीने को त्यौहार को का महीना भी कहा जाता है लक्ष्मी पूजा छठ पूजा, दीपा पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे उत्सव मनाए जाते।

कार्तिक माह के द्ववादशी को लेकर अलखनाथ घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु अलखनाथ घाट पहुंचकर गंगा स्नान कर पूजा पाठ कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों द्वारा पूजा पाठ की सामग्री सहित सिंगार के दुकान लगाए गए वहीं कई महिलाएं कार्तिक मास का व्रत की कथा भी सुनी। कार्तिक मास एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व है।इसके करने से ग्रह गोचर एवं सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।कल से कई महिला 5 दिन फल पर रहेंगी और कई महिलाएं 5 दिन फल पर आकर 12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा में अपना पारन करेगी। और महिलाएं 12 नवंबर का की पूर्णिमा के दिन कदम के पेड़ की पूजा करती हैं। कल से महिलाएं 5 दिन फल पर रहती हैं इसे पांच भीखन कहा जाता है एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु नींद से जागे थे। वहीं महिलाओं ने गंगा आरती की और गंगा की पूजा की और खूब गीत गाए झूमे।


सुबह से ही गंगा स्नान करने के लिए महिलाओं की भीड़ अलखनाथ घाट,उमानाथ घाट और बाढ़ के विभिन्न घाटों में उमड़ पड़ी है।वहीं महिलाएं स्नान कर पूजा पाठ की और अपने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। कई महिलाएं लगातार एक महीने तक गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं।

उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीने में इतना महत्व है कि लोग 1 महीने के लिए बनारस सिमरिया बाढ़ के उमा नाथधाम बाढ़ के अलखनाथ धाम चले आते हैं और 1 महीने तक लगातार गंगा स्नान पूजा पाठ करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने को चतुर्दिक मास भी कहा जाता है जो आषाढ़ महीने का अमावस्या से शुरू होकर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।

वाइट- आनंद मोहन पांडे lअलखनाथ घाट के पुजारी)


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