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Patna News: मजदूरों के पलायन का दर्द, दो जून की रोटी के खातिर ट्रेन में खड़े होकर 3 दिन का सफर करने को मजबूर

पटना जंक्शन पर शुक्रवार को एर्नाकुलम एक्सप्रेस में मजदूरों की भाड़ी भीड़ देखने को मिली. बिहार से बड़ी संख्या में युवा मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे हैं. इन मजदूरों का कहना है कि अगर उन्हें बिहार में रोजगार मिल जाता तो वो दूसरे प्रदेश का रुख नहीं करते और अपने घर परिवार के लोगों के साथ रहते. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार  के युवा मजदूरों का पलायन
बिहार के युवा मजदूरों का पलायन
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Published : May 5, 2023, 11:02 PM IST

पटना जंक्शन पर मजदूरों की भीड़

पटना: बिहार के युवा रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन (Exodus of Bihar laborers) के लिए विवश हैं. गेहूं कटाई के लिए घर लौटे युवा दोबारा काम पर अन्य प्रदेशों का रुख करने लगे हैं. शुक्रवार को पटना जंक्शन पर जब प्लेटफार्म नंबर एक पर एर्नाकुलम एक्सप्रेस पहुंची तो प्लेटफार्म पर मेला लग गया. रेल यात्रियों से पटना जंक्शन भरा पड़ा रहा. हुजूम रेल यात्रियों को देखते बन रहा था. ट्रेन में चढ़ने के लिए रेल यात्रियों को धक्का-मुक्की तक करना पड़ा. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत से अधिक युवा वर्ग से प्रवासी मजदूर पटना जंक्शन पर पहुंचे थे. ट्रेन के अंदर प्रवेश करने के लिए बिहारी मजदूर खिड़की, ट्रेन के गेट पकड़कर ट्रेन में जल्दी घुसकर सीट लूटने मैं लगे हुए नजर आए.

ये भी पढ़ें- बिहार में कोसी-सीमांचल से हजारों मजदूरों का पलायन शुरू, कब थमेगा ये सिलसिला?

पलायन करते बिहारी मजदूर: रेलयात्री सेराज हुसैन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि, वह पोकलेन ऑपरेटर है. विजयवाड़ा जा रहा है. पहले हैदराबाद में था. नया साइट विजयवाड़ा है, इसलिए विजयवाड़ा जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में अगर नौकरी मिलती तो इतनी दूर थोड़ी जाते. अपना सब परिवार छोड़कर. उन्होंने कहा कि एर्नाकुलम ट्रेन की ऐसी स्थिति है कि खड़ा होने की बात तो दूर पैर रखने तक की जगह नहीं रहती है और टिकट एक महीना, दो महीना पहले से ही फूल है. ऐसे में ड्यूटी ज्वाइन करना है तो मजबूरी में जैसे-तैसे जाना पड़ रहा है.

काम के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे युवा: एर्नाकुलम जा रहे विकास कुमार ने बताया कि वह टायर फैक्ट्री में काम करते हैं. लगभग 4 सालों से वहीं पर रहकर वह काम करते हैं. वहां उन्हें काफी अच्छा लगता है, लेकिन बिहार में अगर काम की जगह होती तो यहीं पर करते और अपने घर परिवार के संग रहते. गेहूं कटाई काम खत्म हो गया तो अब फिर अपने काम पर लौट रहे हैं. लेकिन ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि बैठने की जगह नहीं होती है. बाथरूम में भी लोग भरे पड़े रहते हैं. सरकार मजदूरों पर ध्यान दें कि उनको अपने राज्य में ही रोजगार मिले. ताकि मजदूरों को हजारों हजार किलोमीटर दूर बाहर प्रदेशों में जाकर काम नहीं करना पड़े.

मजदूरों से खचाखच भड़ी होती है ट्रेनें: बता दें कि पटना जंक्शन से जैसे ही एर्नाकुलम एक्सप्रेस ट्रेन खुली, मजदूरों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी. ऐर्नाकुलम जा रहे मजदूर लगभग 3 दिन की सफर खड़े-खड़े करेंगे. ट्रेन में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उसमें पैर तक रखना मुश्किल हो रहा था. मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए खड़े होकर भी जाना मुनासिब समझ रहे हैं. रेल यात्रियों का सरकार से यही कहना है कि रोजगार बिहार में उपलब्ध हो जाएगा, जिसके बाद वह लोग दूसरे राज्यों के तरफ रुख नहीं करेंगे.

पटना जंक्शन पर मजदूरों की भीड़

पटना: बिहार के युवा रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन (Exodus of Bihar laborers) के लिए विवश हैं. गेहूं कटाई के लिए घर लौटे युवा दोबारा काम पर अन्य प्रदेशों का रुख करने लगे हैं. शुक्रवार को पटना जंक्शन पर जब प्लेटफार्म नंबर एक पर एर्नाकुलम एक्सप्रेस पहुंची तो प्लेटफार्म पर मेला लग गया. रेल यात्रियों से पटना जंक्शन भरा पड़ा रहा. हुजूम रेल यात्रियों को देखते बन रहा था. ट्रेन में चढ़ने के लिए रेल यात्रियों को धक्का-मुक्की तक करना पड़ा. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत से अधिक युवा वर्ग से प्रवासी मजदूर पटना जंक्शन पर पहुंचे थे. ट्रेन के अंदर प्रवेश करने के लिए बिहारी मजदूर खिड़की, ट्रेन के गेट पकड़कर ट्रेन में जल्दी घुसकर सीट लूटने मैं लगे हुए नजर आए.

ये भी पढ़ें- बिहार में कोसी-सीमांचल से हजारों मजदूरों का पलायन शुरू, कब थमेगा ये सिलसिला?

पलायन करते बिहारी मजदूर: रेलयात्री सेराज हुसैन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि, वह पोकलेन ऑपरेटर है. विजयवाड़ा जा रहा है. पहले हैदराबाद में था. नया साइट विजयवाड़ा है, इसलिए विजयवाड़ा जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में अगर नौकरी मिलती तो इतनी दूर थोड़ी जाते. अपना सब परिवार छोड़कर. उन्होंने कहा कि एर्नाकुलम ट्रेन की ऐसी स्थिति है कि खड़ा होने की बात तो दूर पैर रखने तक की जगह नहीं रहती है और टिकट एक महीना, दो महीना पहले से ही फूल है. ऐसे में ड्यूटी ज्वाइन करना है तो मजबूरी में जैसे-तैसे जाना पड़ रहा है.

काम के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे युवा: एर्नाकुलम जा रहे विकास कुमार ने बताया कि वह टायर फैक्ट्री में काम करते हैं. लगभग 4 सालों से वहीं पर रहकर वह काम करते हैं. वहां उन्हें काफी अच्छा लगता है, लेकिन बिहार में अगर काम की जगह होती तो यहीं पर करते और अपने घर परिवार के संग रहते. गेहूं कटाई काम खत्म हो गया तो अब फिर अपने काम पर लौट रहे हैं. लेकिन ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि बैठने की जगह नहीं होती है. बाथरूम में भी लोग भरे पड़े रहते हैं. सरकार मजदूरों पर ध्यान दें कि उनको अपने राज्य में ही रोजगार मिले. ताकि मजदूरों को हजारों हजार किलोमीटर दूर बाहर प्रदेशों में जाकर काम नहीं करना पड़े.

मजदूरों से खचाखच भड़ी होती है ट्रेनें: बता दें कि पटना जंक्शन से जैसे ही एर्नाकुलम एक्सप्रेस ट्रेन खुली, मजदूरों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी. ऐर्नाकुलम जा रहे मजदूर लगभग 3 दिन की सफर खड़े-खड़े करेंगे. ट्रेन में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उसमें पैर तक रखना मुश्किल हो रहा था. मजदूर अपनी रोजी-रोटी के लिए खड़े होकर भी जाना मुनासिब समझ रहे हैं. रेल यात्रियों का सरकार से यही कहना है कि रोजगार बिहार में उपलब्ध हो जाएगा, जिसके बाद वह लोग दूसरे राज्यों के तरफ रुख नहीं करेंगे.

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