पटना: राजधानी के बुद्ध मार्ग स्थित जनरल पोस्ट ऑफिस यानी कि जीपीओ इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, जीपीओ में एक बड़े घोटले की खबर सामने आ रही है. मिली जानकारी के मुताबिक जीपीओ अधिकारियों ने तकरीबन 2 करोड़ से अधिक राशि का घोटाला किया है.
बता दें कि घोटाले से जुड़ा यह मामला तब प्रकाश में आया, जब किसी कर्मचारी ने गुमनाम लेटर लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी. यह घोटला बीते 3-4 महीनों से चल रहा था. सरकारी खजाने से हो रहे इस लूट की भनक किसी निगरानी और केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं है.
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा घोटाला डेथ अकाउंट से जुड़ा हुआ है. जीपीओ में लगभग कई ऐसे खाते थे, जो 30-40 साल पुराने थे. इन खातों के होल्डर अब इस दुनिया में नहीं हैं या उन्हें इस अकाउंट की जानकारी नहीं है. ऐसे खातों पर अधिकारियों की नजर पड़ी और धीरे-धीरे वह इन खातों से निकासी करने में लग गए.
यह है पैसे निकालने की प्रक्रिया
पोस्ट ऑफिस में जब किसी खाते की मैच्योरिटी पूरी हो जाती है तो खाता धारक अपने पैसे निकालते हैं. पैसे की निकासी के समय खाताधारक के सिग्नेचर, पता और सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है. कलर से लेकर कैसियर और वरीय पदाधिकारी के मुहर के बाद ही राशि का भुगतान होता है.
छोटे से लेकर वरीय अधिकारी कर रहे घोटाला
पिछले तीन-चार महीनों से जब तक कर्मचारियों और अधिकारियों में पैसे का बंटवारा समान रूप से होता रहा, तब तक यह मामला दबा रहा. लेकिन, जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ तो अचानक किसी कर्मचारी ने गुमनाम पत्र लिखकर विभाग को जानकारी दी. हालांकि, विभाग अभी तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की पहचान नहीं कर पाया है.
जांच कर रहा विभाग
हैरानी की बात तो यह है कि 2 करोड़ से ज्यादा की राशि का घोटाला हुआ है. लेकिन, अभी तक थाने में इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. हालांकि, विभाग इस मामले की आंतरिक जांच कर रहा है. आंतरिक जांच के दौरान तीन कर्मियों को निलंबित भी किया गया है. सूत्रों के मुताबिक विभाग कोशिश कर रहा है कि जिन लोगों ने सरकारी खजाने से धन को निकाला है, उनसे रुपये वापस लिए जाए.
विभाग कर रहा लीपापोती
आंतरिक कार्रवाई करके विभाग अपने कर्मचारियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के साथ-साथ विभाग की विश्वसनीयता को भी बचाने का प्रयास कर रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक अबतक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये वापस जमा कर दिए गए हैं. हालांकि, फिर भी यह गंभीर प्रश्न है कि अगर इतनी बड़ी अगर राशि का घोटाला होता है तो विभागीय जांच के साथ-साथ पुलिस को भी इसकी सूचना देनी चाहिए. जीपीओ का कोई भी अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.