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पटना: GPO में करोड़ों का घोटला, कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक शामिल! - scam in Patna GPO

पूरा घोटाला डेथ अकाउंट से जुड़ा हुआ है. जीपीओ में लगभग कई ऐसे खाते थे, जो 30-40 साल पुराने थे. इन खातों से निकासी की गई है.

पटना जीपीओ ऑफिस
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Published : Aug 13, 2019, 6:32 PM IST

पटना: राजधानी के बुद्ध मार्ग स्थित जनरल पोस्ट ऑफिस यानी कि जीपीओ इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, जीपीओ में एक बड़े घोटले की खबर सामने आ रही है. मिली जानकारी के मुताबिक जीपीओ अधिकारियों ने तकरीबन 2 करोड़ से अधिक राशि का घोटाला किया है.

बता दें कि घोटाले से जुड़ा यह मामला तब प्रकाश में आया, जब किसी कर्मचारी ने गुमनाम लेटर लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी. यह घोटला बीते 3-4 महीनों से चल रहा था. सरकारी खजाने से हो रहे इस लूट की भनक किसी निगरानी और केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं है.

ईटीवी भारत संवाददाता कृष्णनंदन की रिपोर्ट

क्या है पूरा मामला?
यह पूरा घोटाला डेथ अकाउंट से जुड़ा हुआ है. जीपीओ में लगभग कई ऐसे खाते थे, जो 30-40 साल पुराने थे. इन खातों के होल्डर अब इस दुनिया में नहीं हैं या उन्हें इस अकाउंट की जानकारी नहीं है. ऐसे खातों पर अधिकारियों की नजर पड़ी और धीरे-धीरे वह इन खातों से निकासी करने में लग गए.

यह है पैसे निकालने की प्रक्रिया
पोस्ट ऑफिस में जब किसी खाते की मैच्योरिटी पूरी हो जाती है तो खाता धारक अपने पैसे निकालते हैं. पैसे की निकासी के समय खाताधारक के सिग्नेचर, पता और सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है. कलर से लेकर कैसियर और वरीय पदाधिकारी के मुहर के बाद ही राशि का भुगतान होता है.

छोटे से लेकर वरीय अधिकारी कर रहे घोटाला
पिछले तीन-चार महीनों से जब तक कर्मचारियों और अधिकारियों में पैसे का बंटवारा समान रूप से होता रहा, तब तक यह मामला दबा रहा. लेकिन, जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ तो अचानक किसी कर्मचारी ने गुमनाम पत्र लिखकर विभाग को जानकारी दी. हालांकि, विभाग अभी तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की पहचान नहीं कर पाया है.

जांच कर रहा विभाग
हैरानी की बात तो यह है कि 2 करोड़ से ज्यादा की राशि का घोटाला हुआ है. लेकिन, अभी तक थाने में इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. हालांकि, विभाग इस मामले की आंतरिक जांच कर रहा है. आंतरिक जांच के दौरान तीन कर्मियों को निलंबित भी किया गया है. सूत्रों के मुताबिक विभाग कोशिश कर रहा है कि जिन लोगों ने सरकारी खजाने से धन को निकाला है, उनसे रुपये वापस लिए जाए.

विभाग कर रहा लीपापोती
आंतरिक कार्रवाई करके विभाग अपने कर्मचारियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के साथ-साथ विभाग की विश्वसनीयता को भी बचाने का प्रयास कर रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक अबतक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये वापस जमा कर दिए गए हैं. हालांकि, फिर भी यह गंभीर प्रश्न है कि अगर इतनी बड़ी अगर राशि का घोटाला होता है तो विभागीय जांच के साथ-साथ पुलिस को भी इसकी सूचना देनी चाहिए. जीपीओ का कोई भी अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

पटना: राजधानी के बुद्ध मार्ग स्थित जनरल पोस्ट ऑफिस यानी कि जीपीओ इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, जीपीओ में एक बड़े घोटले की खबर सामने आ रही है. मिली जानकारी के मुताबिक जीपीओ अधिकारियों ने तकरीबन 2 करोड़ से अधिक राशि का घोटाला किया है.

बता दें कि घोटाले से जुड़ा यह मामला तब प्रकाश में आया, जब किसी कर्मचारी ने गुमनाम लेटर लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी. यह घोटला बीते 3-4 महीनों से चल रहा था. सरकारी खजाने से हो रहे इस लूट की भनक किसी निगरानी और केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं है.

ईटीवी भारत संवाददाता कृष्णनंदन की रिपोर्ट

क्या है पूरा मामला?
यह पूरा घोटाला डेथ अकाउंट से जुड़ा हुआ है. जीपीओ में लगभग कई ऐसे खाते थे, जो 30-40 साल पुराने थे. इन खातों के होल्डर अब इस दुनिया में नहीं हैं या उन्हें इस अकाउंट की जानकारी नहीं है. ऐसे खातों पर अधिकारियों की नजर पड़ी और धीरे-धीरे वह इन खातों से निकासी करने में लग गए.

यह है पैसे निकालने की प्रक्रिया
पोस्ट ऑफिस में जब किसी खाते की मैच्योरिटी पूरी हो जाती है तो खाता धारक अपने पैसे निकालते हैं. पैसे की निकासी के समय खाताधारक के सिग्नेचर, पता और सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है. कलर से लेकर कैसियर और वरीय पदाधिकारी के मुहर के बाद ही राशि का भुगतान होता है.

छोटे से लेकर वरीय अधिकारी कर रहे घोटाला
पिछले तीन-चार महीनों से जब तक कर्मचारियों और अधिकारियों में पैसे का बंटवारा समान रूप से होता रहा, तब तक यह मामला दबा रहा. लेकिन, जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ तो अचानक किसी कर्मचारी ने गुमनाम पत्र लिखकर विभाग को जानकारी दी. हालांकि, विभाग अभी तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की पहचान नहीं कर पाया है.

जांच कर रहा विभाग
हैरानी की बात तो यह है कि 2 करोड़ से ज्यादा की राशि का घोटाला हुआ है. लेकिन, अभी तक थाने में इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. हालांकि, विभाग इस मामले की आंतरिक जांच कर रहा है. आंतरिक जांच के दौरान तीन कर्मियों को निलंबित भी किया गया है. सूत्रों के मुताबिक विभाग कोशिश कर रहा है कि जिन लोगों ने सरकारी खजाने से धन को निकाला है, उनसे रुपये वापस लिए जाए.

विभाग कर रहा लीपापोती
आंतरिक कार्रवाई करके विभाग अपने कर्मचारियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के साथ-साथ विभाग की विश्वसनीयता को भी बचाने का प्रयास कर रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक अबतक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये वापस जमा कर दिए गए हैं. हालांकि, फिर भी यह गंभीर प्रश्न है कि अगर इतनी बड़ी अगर राशि का घोटाला होता है तो विभागीय जांच के साथ-साथ पुलिस को भी इसकी सूचना देनी चाहिए. जीपीओ का कोई भी अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

Intro:राजधानी पटना के बुध मार्ग स्थित जनरल पोस्ट ऑफिस यानी कि जीपीओ इन दिनों सुर्खियों में है. सुर्खियों में होने का कारण जीपीओ में हुए घोटाला है. जीपीओ में अधिकारियों द्वारा 2 करोड़ से अधिक राशि का घोटाला हुआ है. दरअसल घोटाले से जुड़ा यह मामला तब प्रकाश में आया जब किसी कर्मचारी ने गुमनाम लेटर लिखकर इस मामले की जानकारी दी. 3 से 4 महीने से यह घोटाला चल रहा था और इस खजाने की लूट की भनक किसी भी निगरानी और केंद्रीय जांच एजेंसी तक को नहीं चली.


Body:किस तरह का है यह घोटाला

दरअसल यह पूरा घोटाला डेथ अकाउंट से जुड़ा हुआ है. डेथ अकाउंट वह होता है जिसका समय पूरा होने के बावजूद वर्षों से उस की निकासी नहीं हुई है. जीपीओ में लगभग कई ऐसे खाते थे जो 30 से 40 साल पुराने थे और अकाउंट होल्डर या तो अब इस दुनिया में नहीं है या उन्हें इस अकाउंट की जानकारी नहीं है. ऐसे खातों पर अधिकारियों की नजर पड़ी और धीरे-धीरे वह इन खातों से निकासी में लग गए. पोस्ट ऑफिस में जब खाता धारक के जमा धन कि जब मैच्योरिटी पूरी हो जाती है तब खाताधारक अपने पैसे निकालते हैं. पैसे की निकासी के समय खाताधारक के सिग्नेचर, पता और सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाता है. कलर से लेकर कैसियर और वरीय पदाधिकारी के मुहर के बाद ही राशि का भुगतान होता है.

पिछले तीन-चार महीनों से जब तक कर्मचारियों और अधिकारियों में पैसे का बंटवारा समान रूप से होता रहा यह मामला दबा रहा लेकिन जब हिस्सेदारी में घोटाला हुआ अचानक किसी कर्मचारी ने गुमनाम पत्र लिखकर विभाग को जानकारी दी. हालांकि विभाग अभी तक गुमनाम पत्र लिखने वाले की पहचान नहीं कर पाया है.


Conclusion:हैरानी की बात यह है कि 2 करोड़ से ज्यादा की राशि का जीपीओ में घोटाला हुआ है लेकिन अभी तक थाने में इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है और विभाग इस मामले की आंतरिक जांच कर रहा है. आंतरिक जांच के दौरान तीन कर्मियों को निलंबित किया गया है और सूत्र बताते हैं कि विभाग कोशिश कर रहा है कि जिन लोगों ने सरकारी खजाने से धन को निकाला है वह वापस उस धन को जमा कराएं. ऐसा करा कर विभाग अपने कर्मचारियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के साथ साथ विभाग की विश्वसनीयता को भी बचाने का प्रयास कर रहा है. जहां तक अभी सूत्र बता रहे हैं डेढ़ करोड़ के लगभग पैसा वापस जमा कर दिए गए हैं. हालांकि फिर भी या गंभीर प्रश्न है कि इतनी बड़ी अगर राशि का घोटाला होता है तो विभागीय जांच के साथ-साथ पुलिस को भी इसकी सूचना देनी चाहिए. विभाग का अभी तक इस मसले पर कोई एफ आई आर दर्ज ना कराना साफ इशारा कर रहा है कि विभाग इस मामले की लीपापोती में जुटा हुआ है. कोई भी अधिकारी इस मसले पर कुछ भी कहने से साफ इंकार कर रहे हैं ना ही ऑफ द रिकॉर्ड कुछ जानकारी दे रहे हैं. जीपीओ के कुछ कर्मचारी हैं जो ऑफ द रिकॉर्ड इस बारे में कुछ जानकारी दे रहे हैं.
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