मसौढ़ी : बिहार के मसौढ़ी के दौलतपुर (Paddy Harvesting Started in Masourhi) गांव में धान की क्रॉप कटिंग कृषि विभाग की देखरेख में की गई. उन्होंने न केवल संबंधित पदाधिकारियों और किसानों को आवश्यक निर्देश दिया. धान की फसल के उत्पादन लागत के आंकड़ों को उठाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करने का कार्य प्रशासनिक अधिकारियों ने शुरू करा दिया है. मंगलवार को दौलतपुर पंचायत में प्रशासन की टीम अपने दल बल के साथ पहुंचे हैं. जहां पर जगदीश चौधरी के खेत में एसडीएम अनिल कुमार सिन्हा प्रखंड, विकास पदाधिकारी अमरेश कुमार, सांख्यिकी पदाधिकारी मृणाल कांत, कृषि के नोडल पदाधिकारी ने धान की कटिंग वही इस मौके पर किसान के साथ किसान सलाहकार शामिल रहे.
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पदाधिकारी भी उतरे खेत में : विभिन्न प्रखंडों में धान की कितनी उपज हुई है. उसका कितना मूल्यांकन हुआ है. जिसको लेकर विभिन्न राजस्व गांव में प्रशासनिक पदाधिकारी खुद खेतों में जाकर अपने हाथों में हसुआ लेकर धान की कटाई कर रहे हैं. उसके बाद उसे मूल्यांकन कर औसत उत्पादन के आंकड़े जुटा रहे हैं. खरीफ की फसल का औसत उत्पादन निकालने के लिए क्रॉप कटिंग कर कार्य हर साल विभिन्न फसलों का कराया जाता है. आंकड़ों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण होता है.
इस साल धान कमी देखी जा रही है : मसौढी एसडीएम अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि फसल का उत्पादन का औसत ऊपज जानने के लिए पंचायत वार रैनडबैमबली खेतों में जाकर क्रॉप कटिंग की जाती है. क्रॉप कटिंग के तहत चिह्नित खेत में जाकर 10 गुना 5 वर्ग मीटर में धान की तैयार फसल को काटा जाता है. अधिकारी की मौजूदगी में मजदूरों स्थान को पीट कर उसकी फसल निकालते हैं. उसके बाद फसल का चयन का रिकॉर्ड में लिखा जाता है. इस साल धान कमी देखी जा रही है.
"क्रॉप कटिंग में इस बार धान उत्पादन बीते साल के मुकाबले कमी हो सकती. बीते साल 1 हेक्टेयर में करीब 30 से 31 क्विंटल तक धान का पैदावार रिकॉर्ड किया गया था जबकि इस साल धान कमी देखी जा रही है."- अनिल कुमार सिन्हा, एसडीएम, मसौढी
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