पटना: देश के करीब हर राज्य में मानव तस्करों का जाल पसरा हुआ है. तस्करों का सबसे ज्यादा प्रभाव बिहार में देखा जाता है. जहां प्रदेश के कई जिलों से लड़कियों को बहला-फुसलाकर मानव तस्कर दूसरे राज्यों में बेच देते हैं. ऐसे में तस्करों की गिरफ्तारी के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय एवं सामाजिक संगठन लगातार कार्रवाई कर रही है.
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2020 में पुलिस द्वारा 75 मामले दर्ज: आकड़ों के हिसाब से बात करें तो वर्ष 2020 में पुलिस द्वारा बिहार में मानव तस्करी के 75 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 102 महिलाओं और 79 पुरुषों को मुक्त कराया गया था. वहीं 247 मानव तस्कर को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद 2021 में पुलिस ने 111 मामले दर्ज किए थे, जिसमें 149 महिलाओं और 235 पुरुषों को मुक्त कराया गया था. 331 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया. साल 2022 में 260 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 252 महिलाओं को तथा 499 पुरुषों को मुक्त कराया गया था. इस साल भी 560 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, 2023 की बात करें तो अगस्त तक तो 198 मामले दर्ज किया जा चुके हैं तथा 102 महिलाएं और 363 पुरुषों को मुक्त कराया जा चुका है साथ-साथ 215 मानव तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.
5 साल में 877 मामले दर्ज: इसके अलावा वर्ष 2018 से लेकर अगस्त 2023 तक पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 877 मामले दर्ज किए है, जिसमें 750 महिलाओं एवं 1824 पुरुषों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया. तथा 1915 मानव तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा गया.
पोक्सो एक्ट मामलों में भी हुई बढ़ोतरी: इस कड़ी में बिहार में बढ़ते पोक्सो एक्ट के मामले पर भी पुलिस मुख्यालय काफी गंभीर है. पुलिस मुख्यालय द्वारा लगातार 2021 में 1508 मामले प्रतिवेदित हुए जिसमें 1263 आरोपियों पर कांड दर्ज किए गए तथा 995 पीड़ितों को मुआवजे के लिए प्रस्ताव भेजे गए. वर्ष 2022 में 1794 मामले प्रतिवेदित हुए जिसमें 1552 कांडों को समर्पित किया गया तथा 889 पीड़ितों को मुआवजा के लिए प्रस्ताव भेजा गया. वर्ष 2023 के अगस्त तक 1263 मामले प्रतिवेदित हुए हैं जिसमें 1132 कांड समर्पित किए गए हैं तथा 490 पीड़ितों को मुआवजे के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं.