ETV Bharat / state

अब बच्चे समझेंगे 'गोल्डन आवर' का महत्व, हार्ट अटैक और CPR की भी दी जाएगी ट्रेनिंग

बिहार में हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को एक अत्यंत जरूरी ट्रेनिंग मिलेगी. बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को गोल्डन आवर का महत्व बताया जाएगा. जिससे हर साल बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकेगी.

संजय कुमार
संजय कुमार
author img

By

Published : Aug 4, 2021, 6:06 PM IST

पटना: शिक्षा विभाग (Education Department) ने 'गोल्डन आवर' का महत्व बताने के लिए एक बड़ी पहल की है. जिसके तहत नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को खास ट्रेनिंग दी जाएगी. विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार (Sanjay Kumar) ने बताया कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (Bihar Orthopedic Association) से हमने इससे संबंधित लिखित प्रतिवेदन भी मांगा है, जिसे आने वाले समय में हाईस्कूल के सिलेबस में भी शामिल किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- CBSE 10th Result: बांका में छात्रों का हंगामा, कहा- स्कूल टीचर से नहीं पढ़ा ट्यूशन तो दिए खराब नंबर

ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि गोल्डन आवर ना सिर्फ सड़क हादसों के लिहाज से बल्कि कार्डियक अरेस्ट के मामले में भी बेहद महत्वपूर्ण है. अगर यह जानकारी हम बच्चों को देंगे तो बच्चे स्थानीय स्तर पर यह जानकारी और लोगों को देंगे, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकेगी.

देखें रिपोर्ट

"सीपीआर ट्रेनिंग और गोल्डेन आवर की जो ट्रेनिंग होगी, हो हम लोग चाहेंगे कि हमारे विद्यालयों में जाएं और हमारे बच्चों को वैसी शिक्षा दें. बच्चे यदि ट्रेंड हो जाएंगे तो वो जो स्थायी समाज है, वहां पर भी उनके द्वारा उसको बताया जा सकेगा"- संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार


दरअसल 4 अगस्त को हर साल 'नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे' (National Bone and Joint Day) मनाया जाता है. इस मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने यह जानकारी ईटीवी भारत को दी है. उन्होंने कहा कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन से हमने गोल्डन आवर से संबंधित लिखित प्रतिवेदन भी मांगा है, ताकि आने वाले समय में हाईस्कूल के सिलेबस में भी इसे शामिल किया जा सके. उन्होंने बताया कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने सरकारी स्कूलों में गोल्डन आवर की ट्रेनिंग मुफ्त देने की पेशकश शिक्षा विभाग से की है, जिसे लेकर बहुत जल्द शिक्षा विभाग और ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे.

विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी सड़क दुर्घटना के बाद पहला एक घंटा काफी महत्वपूर्ण होता है. अगर इस दौरान घायल व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. उसी तरह हार्ट अटैक के केस में अगर पहले घंटे में ही पीड़ित को सीपीआर मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है. यही वजह है कि गोल्डन आवर को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. अगर बच्चों को गोल्डन आवर के महत्व और गोल्डन आवर में क्या कुछ किया जा सकता है, इसकी जानकारी दी जाए तो बच्चों के जरिए पूरे समाज को गोल्डन आवर के महत्व के बारे में आसानी से बताया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- VIDEO : ऐसा हादसा नहीं देखा! पहले ट्रक फिर बस से स्कॉर्पियो की टक्कर, डिप्टी कमांडेंट समेत 4 की मौत

बिहार समेत पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की वजह से गोल्डन आवर का महत्व समझना बहुत जरूरी है. अगर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति या हार्ट अटैक से पीड़ित व्यक्ति को पहले घंटे में ही सही उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. सामान्य तौर पर प्राथमिक उपचार मिलने में देरी की वजह से ही बड़ी संख्या में लोगों की मौत हर साल हो जाती है.

पटना: शिक्षा विभाग (Education Department) ने 'गोल्डन आवर' का महत्व बताने के लिए एक बड़ी पहल की है. जिसके तहत नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को खास ट्रेनिंग दी जाएगी. विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार (Sanjay Kumar) ने बताया कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन (Bihar Orthopedic Association) से हमने इससे संबंधित लिखित प्रतिवेदन भी मांगा है, जिसे आने वाले समय में हाईस्कूल के सिलेबस में भी शामिल किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- CBSE 10th Result: बांका में छात्रों का हंगामा, कहा- स्कूल टीचर से नहीं पढ़ा ट्यूशन तो दिए खराब नंबर

ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि गोल्डन आवर ना सिर्फ सड़क हादसों के लिहाज से बल्कि कार्डियक अरेस्ट के मामले में भी बेहद महत्वपूर्ण है. अगर यह जानकारी हम बच्चों को देंगे तो बच्चे स्थानीय स्तर पर यह जानकारी और लोगों को देंगे, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकेगी.

देखें रिपोर्ट

"सीपीआर ट्रेनिंग और गोल्डेन आवर की जो ट्रेनिंग होगी, हो हम लोग चाहेंगे कि हमारे विद्यालयों में जाएं और हमारे बच्चों को वैसी शिक्षा दें. बच्चे यदि ट्रेंड हो जाएंगे तो वो जो स्थायी समाज है, वहां पर भी उनके द्वारा उसको बताया जा सकेगा"- संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार


दरअसल 4 अगस्त को हर साल 'नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे' (National Bone and Joint Day) मनाया जाता है. इस मौके पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने यह जानकारी ईटीवी भारत को दी है. उन्होंने कहा कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन से हमने गोल्डन आवर से संबंधित लिखित प्रतिवेदन भी मांगा है, ताकि आने वाले समय में हाईस्कूल के सिलेबस में भी इसे शामिल किया जा सके. उन्होंने बताया कि ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने सरकारी स्कूलों में गोल्डन आवर की ट्रेनिंग मुफ्त देने की पेशकश शिक्षा विभाग से की है, जिसे लेकर बहुत जल्द शिक्षा विभाग और ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे.

विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी सड़क दुर्घटना के बाद पहला एक घंटा काफी महत्वपूर्ण होता है. अगर इस दौरान घायल व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. उसी तरह हार्ट अटैक के केस में अगर पहले घंटे में ही पीड़ित को सीपीआर मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है. यही वजह है कि गोल्डन आवर को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. अगर बच्चों को गोल्डन आवर के महत्व और गोल्डन आवर में क्या कुछ किया जा सकता है, इसकी जानकारी दी जाए तो बच्चों के जरिए पूरे समाज को गोल्डन आवर के महत्व के बारे में आसानी से बताया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- VIDEO : ऐसा हादसा नहीं देखा! पहले ट्रक फिर बस से स्कॉर्पियो की टक्कर, डिप्टी कमांडेंट समेत 4 की मौत

बिहार समेत पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों के हताहत होने की वजह से गोल्डन आवर का महत्व समझना बहुत जरूरी है. अगर सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति या हार्ट अटैक से पीड़ित व्यक्ति को पहले घंटे में ही सही उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. सामान्य तौर पर प्राथमिक उपचार मिलने में देरी की वजह से ही बड़ी संख्या में लोगों की मौत हर साल हो जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.