पटना : भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने गुरुवार को टाडाबंदियों की रिहाई नहीं किए जाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है और इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की अपनी मांग फिर से दोहराई है. कैदियों की रिहाई में बरती गई अपारदर्शिता के खिलाफ 22 सालों से जेल में बंद सभी टाडाबंदियों की रिहाई की मांग पर 28 अप्रैल को गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के समक्ष भाकपा-माले के विधायक एक दिन का सांकेतिक धरना देकर अपना विरोध दर्ज करेंगे.
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रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री से दो बार हो चुकी है मुलाकात : कुणाल ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया, लेकिन यह रिहाई सिर्फ चुनिंदा लोगों की हुई है, जिसके कारण आम जनमानस में कई प्रकार के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं. इससे पहले भी पार्टी के विधायकों ने अरवल के भदासी कांड के टाडाबंदियों की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात कर चुके हैं. पत्र में कहा गया है कि जब सरकार 14 साल की सजा वाले कैदियों को छोड़ सकती है तो 22 साल वाले कैदियों को क्यों नहीं.
कुणाल ने कहा कि इन लोगों ने 22 साल की सजा काट ली है. इसमें अगर परिहार के सालों को जोड़ दिया जाए तो 30 वर्ष से अधिक हो गए हैं. सभी बूढ़े और गंभीर रूप से बीमार हैं. सरकार से हमारी यही मांग रही है कि इन बंदियों को रिहा किया जाए, ताकि अपने जीवन के आखिरी क्षणों में अपने परिवार के बीच में वे रह सकें.
''हमने विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया है. कई बार मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, लेकिन इस बार की रिहाई में भी टाडा बंदियों को शामिल नहीं किया गया. ऐसे में यह निर्णय बताता है कि कैदियों के प्रति सरकार का नजरिया एक नहीं है. यह निर्णय भेदभाव पूर्ण है. ऐसे में 28 अप्रैल को पार्टी के सभी विधायक छह टाडा बंदियों की रिहाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के सामने 1 दिन का सांकेतिक धरना देंगे.''- कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा माले
सोर्स - आईएएनएस