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Bihar Politics: सीमांचल की रैली से पूर्व भाकपा माले ने किया शक्ति प्रदर्शन, पशोपेश में महागठबंधन के घटक दल

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Published : Feb 15, 2023, 7:51 PM IST

Updated : Feb 15, 2023, 7:58 PM IST

बुधवार को पटना लाल झंडों से पट गया. इस लाल रंग ने ना सिर्फ बिहार बीजेपी के लिए चिंता बढ़ा दी है बल्कि महागठबंधन के घटक दल भी चिंतित हैं. 20 साल बाद भाकपा माले ने बिहार की धरती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इसका 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव पर बड़ा असर पड़ेगा.

cpiml showed its strength to mahagathbandhan
cpiml showed its strength to mahagathbandhan
लाल झंडों से पटा पटना

पटना:भारतीय जनता पार्टी के बाद राजनीतिक दल के तौर पर भाकपा माले ने मिशन 2024 का बिगुल फूंक दिया है. ऐतिहासिक गांधी मैदान में रैली कर भाकपा माले ने शक्ति प्रदर्शन कर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए. सीमांचल की रैली से पूर्व बड़ी रैली कर भाकपा माले ने राजद और जदयू के लिए भी चुनौती पेश कर दी है.

ये भी पढ़ेंः National Convention of CPIML: 'लोकतंत्र बचाने के लिए विपक्षी एकता जरूरी', रैली में बोले दीपांकर भट्टाचार्य

पीएम पद को लेकर भाकपा माले का नीतीश को समर्थन नहीं: महागठबंधन के घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मिशन 2024 का आगाज कर दिया. भाकपा माले ने गांधी मैदान में बड़ी रैली कर सबको चौंका दिया. पार्टी ने शक्ति प्रदर्शन कर जहां एक ओर विरोधियों को चेताया तो वहीं दूसरी तरफ सहयोगियों को भी यह संदेश दे दिया कि चुनाव में उनकी पार्टी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस दौरान भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना होगा. वहीं विपक्ष के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के बहुत से चेहरे हैं.

20 साल बाद CPIML ने दिखायी ताकत: विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश बिहार में दो स्तर पर चल रही है. एक तरफ जहां राष्ट्रीय जनता दल नीतीश कुमार के पक्ष में राजनीतिक दलों को गोलबंद करने में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ भाकपा माले भी भाजपा विरोधी खेमे को एकजुट करने की कोशिश में है . 20 साल बाद भाकपा माले ने बिहार की धरती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया. बिहार के अंदर भाकपा माले की ताकत में भी वृद्धि हुई है. पार्टी के 12 विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीते थे. चुनाव के नतीजों से उत्साहित पार्टी नेताओं ने बिहार की धरती पर बड़ी रैली करने का फैसला लिया.

सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया: रैली में एक तरफ जहां देश भर से प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, वहीं भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने की कोशिश भी की गई. भाकपा माले की भी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में उनके पूर्व पर एक फ्रंट बने. पार्टी में सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया गया. बड़ी रैली कर पार्टी की कोशिश यह भी है कि 2024 में जब सीटों का बंटवारा हो तो उनकी ताकत को कम करके नहीं आंका जाए. भाकपा माले लगातार इस बात को कहती रही है कि कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी लेकिन काफी कम सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि भाकपा माले को 17 सीटें मिली थी और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

लोकसभा चुनाव को लेकर हिस्सेदारी और दावेदारी: भाकपा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में हम मजबूत होकर उभरे हैं. हमारी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में तमाम विपक्षी दल एकजुट हो. मिशन 2024 का रैली के जरिए हम आगाज कर रहे हैं.

"हमारी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में एक फ्रंट बने जहां तक प्रधानमंत्री पद का सवाल है तो चुनाव जीतने के बाद यह तय कर लिया जा सकता है कि कौन प्रधानमंत्री होगा. लेकिन उससे पहले यह जरूरी है कि तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ें."- दीपांकर भट्टाचार्य,भाकपा माले नेता

"हमारी पार्टी का आगाज है अंजाम बाकी है. भीड़ इस बात का गवाह है कि हमारी ताकत बढ़ी है और भविष्य में बढ़ने वाली है. बिहार की राजनीति को हम दिशा देने का काम करेंगे."-अजीत कुशवाहा,माले विधायक

"भाकपा माले हमारी सहयोगी पार्टी है. अगर सफल रैली भाकपा माले की हुई है तो यह हमारे लिए खुशी की बात है. सीमांचल की रैली में कितनी भीड़ जीतेगी यह कोई विषय नहीं है. जो हमारी रैली है वह उनकी रैली है. जो उनकी रैली है वह हमारी रैली है. सवाल यह होगा कि सीमांचल में जो अमित शाह की रैली थी उससे ज्यादा भीड़ जुटी या नहीं."- डॉ सुनील,जदयू प्रवक्ता

"भाकपा माले की रैली के दूरगामी परिणाम होंगे. लोकसभा चुनाव से पहले भाकपा माले ने अपनी ताकत का एहसास महागठबंधन के घटक दलों के साथ भाजपा को भी कराया है. सबसे अहम बात यह है कि महागठबंधन के बड़े घटक दल अब भाकपा माले को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. खास तौर पर भाकपा माले अब कांग्रेस से अधिक सीटों पर अपनी दावेदारी करेगी क्योंकि स्ट्राइक रेट उनका कांग्रेस से ज्यादा रहा है और सफल रैली उसका आधार बनेगी."- सुरेंद्र प्रियदर्शी,वरिष्ठ पत्रकार

लाल झंडों से पटा पटना

पटना:भारतीय जनता पार्टी के बाद राजनीतिक दल के तौर पर भाकपा माले ने मिशन 2024 का बिगुल फूंक दिया है. ऐतिहासिक गांधी मैदान में रैली कर भाकपा माले ने शक्ति प्रदर्शन कर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए. सीमांचल की रैली से पूर्व बड़ी रैली कर भाकपा माले ने राजद और जदयू के लिए भी चुनौती पेश कर दी है.

ये भी पढ़ेंः National Convention of CPIML: 'लोकतंत्र बचाने के लिए विपक्षी एकता जरूरी', रैली में बोले दीपांकर भट्टाचार्य

पीएम पद को लेकर भाकपा माले का नीतीश को समर्थन नहीं: महागठबंधन के घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मिशन 2024 का आगाज कर दिया. भाकपा माले ने गांधी मैदान में बड़ी रैली कर सबको चौंका दिया. पार्टी ने शक्ति प्रदर्शन कर जहां एक ओर विरोधियों को चेताया तो वहीं दूसरी तरफ सहयोगियों को भी यह संदेश दे दिया कि चुनाव में उनकी पार्टी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस दौरान भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना होगा. वहीं विपक्ष के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के बहुत से चेहरे हैं.

20 साल बाद CPIML ने दिखायी ताकत: विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश बिहार में दो स्तर पर चल रही है. एक तरफ जहां राष्ट्रीय जनता दल नीतीश कुमार के पक्ष में राजनीतिक दलों को गोलबंद करने में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ भाकपा माले भी भाजपा विरोधी खेमे को एकजुट करने की कोशिश में है . 20 साल बाद भाकपा माले ने बिहार की धरती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया. बिहार के अंदर भाकपा माले की ताकत में भी वृद्धि हुई है. पार्टी के 12 विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीते थे. चुनाव के नतीजों से उत्साहित पार्टी नेताओं ने बिहार की धरती पर बड़ी रैली करने का फैसला लिया.

सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया: रैली में एक तरफ जहां देश भर से प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, वहीं भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने की कोशिश भी की गई. भाकपा माले की भी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में उनके पूर्व पर एक फ्रंट बने. पार्टी में सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया गया. बड़ी रैली कर पार्टी की कोशिश यह भी है कि 2024 में जब सीटों का बंटवारा हो तो उनकी ताकत को कम करके नहीं आंका जाए. भाकपा माले लगातार इस बात को कहती रही है कि कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी लेकिन काफी कम सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि भाकपा माले को 17 सीटें मिली थी और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

लोकसभा चुनाव को लेकर हिस्सेदारी और दावेदारी: भाकपा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में हम मजबूत होकर उभरे हैं. हमारी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में तमाम विपक्षी दल एकजुट हो. मिशन 2024 का रैली के जरिए हम आगाज कर रहे हैं.

"हमारी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में एक फ्रंट बने जहां तक प्रधानमंत्री पद का सवाल है तो चुनाव जीतने के बाद यह तय कर लिया जा सकता है कि कौन प्रधानमंत्री होगा. लेकिन उससे पहले यह जरूरी है कि तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ें."- दीपांकर भट्टाचार्य,भाकपा माले नेता

"हमारी पार्टी का आगाज है अंजाम बाकी है. भीड़ इस बात का गवाह है कि हमारी ताकत बढ़ी है और भविष्य में बढ़ने वाली है. बिहार की राजनीति को हम दिशा देने का काम करेंगे."-अजीत कुशवाहा,माले विधायक

"भाकपा माले हमारी सहयोगी पार्टी है. अगर सफल रैली भाकपा माले की हुई है तो यह हमारे लिए खुशी की बात है. सीमांचल की रैली में कितनी भीड़ जीतेगी यह कोई विषय नहीं है. जो हमारी रैली है वह उनकी रैली है. जो उनकी रैली है वह हमारी रैली है. सवाल यह होगा कि सीमांचल में जो अमित शाह की रैली थी उससे ज्यादा भीड़ जुटी या नहीं."- डॉ सुनील,जदयू प्रवक्ता

"भाकपा माले की रैली के दूरगामी परिणाम होंगे. लोकसभा चुनाव से पहले भाकपा माले ने अपनी ताकत का एहसास महागठबंधन के घटक दलों के साथ भाजपा को भी कराया है. सबसे अहम बात यह है कि महागठबंधन के बड़े घटक दल अब भाकपा माले को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. खास तौर पर भाकपा माले अब कांग्रेस से अधिक सीटों पर अपनी दावेदारी करेगी क्योंकि स्ट्राइक रेट उनका कांग्रेस से ज्यादा रहा है और सफल रैली उसका आधार बनेगी."- सुरेंद्र प्रियदर्शी,वरिष्ठ पत्रकार

Last Updated : Feb 15, 2023, 7:58 PM IST
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