पटना: सीपीआई (CPI) ने कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के कांग्रेस (Congress) में शामिल होने को उनका निजी पसंद बताया है. सचिव मंडल के सदस्य रामबाबू कुमार ने कहा कि यह कन्हैया कुमार का अपना फ्रीडम ऑफ चॉइस है. हालांकि उन्होंने पार्टी जरूर उन्होंने छोड़ी है, मगर पॉलिटिक्स में अपनी जगह नहीं बदली है.
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सीपीआई के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और युवा नेता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. ऐसे में कन्हैया के इस फैसले को रामबाबू कुमार ने उनकी निजी पसंद बताया है. साथ ही कहा कि वे अभी भी बीजेपी विरोधी खेमे में ही हैं. उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार का उदय सांप्रदायिक राजनीति करने वाली बीजेपी के खिलाफ हुआ है और आज भी वे बीजेपी विरोधी पार्टी में ही हैं.
रामबाबू ने कहा कि कन्हैया कुमार का यह फ्रीडम ऑफ चॉइस है. उन्हें लग रहा है कि जो काम वह सीपीआई में रहकर कर रहे थे, उससे बेहतर वहां कांग्रेस में जाकर कर सकते हैं और देश में एक बीजेपी विरोधी मजबूत फ्रंट तैयार कर सकते हैं. कन्हैया अभी भी राजनीति के सेम पिच पर हैं. कन्हैया की राजनीति आज भी बीजेपी को उखाड़ फेंकने वाली राजनीति है.
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रामबाबू कुमार ने कहा कि यह गलत आरोप है कि सीपीआई युवाओं को तरजीह नहीं देती है. कन्हैया को पार्टी ने सर आंखों पर बिठा कर रखा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में कन्हैया को लगा होगा कि वह अपनी भूमिका को कांग्रेस पार्टी में ज्यादा बेहतर निभा सकते हैं, इसलिए वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं.
आपको बताएं कि कन्हैया ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा कि जिस पार्टी में मैं पला-बढ़ा, उसका आभार प्रकट करता हूं. उसने मुझे सिखाया, पढ़ाया, लड़ने का जज्बा दिया. देश में जो वैचारिक संघर्ष छिड़ा है, उसे कांग्रेस पार्टी ही नेतृत्व दे सकती है. युवाओं से कहना चाहता हूं कि दीवार पर बैठकर टुकुर-टुकुर ताकने का वक्त नहीं है. कांग्रेस पार्टी एक बड़ा जहाज है, अगर कांग्रेस पार्टी बचेगी तो लाखों-करोड़ों युवाओं का आकांक्षाएं बचेंगी, भगत सिंह का भारत बचेगा. इसी आशा और उम्मीद के साथ इस पार्टी से जुड़ा हूं.