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बागमती नदी पर तटबंध बनाने का विरोध, संघर्ष मोर्चा ने कहा- 'कई गांवों को होगा नुकसान' - चास वास जीवन बचाओ संघर्ष मोर्चा

बागमती संघर्ष मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि ठेकेदार लाॅबी के दबाव में सरकार तटबंध निर्माण कार्य कराना चाहती है. जो जनभावना के विरूद्ध है. बागमती नदी तटबंध से संबंधित रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आने से पहले काम कराने की जल्दबाजी सरकार को क्यों है.

भाकपा माले
भाकपा माले
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Published : Sep 16, 2021, 6:28 PM IST

पटनाः चास वास जीवन बचाओ और बागमती संघर्ष मोर्चा (Bagmati Sangharsh Morcha) द्वारा आज एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां संघर्ष मोर्चा के संयोजक जीतेन्द्र यादव ने कहा कि बागमती नदी (Bagmati river) तटबंध निर्माण को लेकर गठित रिव्यू कमिटी की रिपार्ट आने से पहले तटबंधों का निर्माण जनभावना के साथ विश्वासघात है. उन्होंने कहा कि बागमती नदी को लेकर बनी संपूर्ण पुरानी परियोजनाओं का रिव्यू किया जाए.

ये भी पढ़ेंः दरभंगा में बागमती नदी पर टूटा जमींदारी बांध, निचले इलाकों में भरा पानी

संवाददाता सम्मेलन में मौजूद संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि ठेकेदार लाॅबी के दबाव में तटबंध निर्माण कार्य कराने का टेंडर निकाल दिया गया है. यह नदी की जीवंतता और जनभावना के साथ खिलवाड़ है.

बयान देते संघर्ष मोर्चा के संयोजक जीतेन्द्र यादव

हमारी सबसे पहली मांग है कि सरकार तटबंध निर्माण को लेकर निकाले गए नए टेंडर को तत्काल रद्द करे और रिव्यू कमिटी के कार्यकाल का विस्तार किया जाए. साथ ही इस कमिटी को साधन संपन्न बनाकर जल्द रिपोर्ट देने का निर्देशित किया जाए.

'तटबंध निर्माण से लाखों हेक्टर जमीन बालू के ढेर में तब्दील हो जाएगी. तटबंध के बाहर भी जल जमाव का क्षेत्र निर्मित होगा. प्रस्तावित तटबंध बेनीवाद में एनएच 57 को क्रॉस करेगा, जिसमें महज 3 पुल प्रस्तावित हैं. इससे जल प्रवाह प्रभावित होगा और तटबंध के बीच भारी जल जमाव होगा और तबाही का कारण बनेगा'- जीतेन्द्र यादव, संयोजक, संघर्ष मोर्चा

मोर्चा के सदस्यों का ये भी कहना है कि बिहार सरकार जल जीवन हरियाली योजना नदियों की जीवतंता और संरक्षण की बात करती है. ऐसी स्थिति में बिहार सरकार को नदियों के साथ किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ पर रोक लगानी चाहिए. बागमती नदी कोई एक नदी न होकर कई धाराओं की समूह है. तटबंधों के निर्माण से बहुत सारी नदियों की हत्या हो जाएगी और नदियों के धारा-उपधारा के बीच स्थापित प्राकृतिक लिंक को ध्वस्त कर देगी. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए 4 दशक से ज्यादा पुरानी बागमती परियोजना का नए सिरे से रिव्यू होना चाहिए.

'अगर सरकार की ओर से इस दिशा में तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा और जनसमुदाय के आक्रोश को और बढ़ाने का काम करेगा. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार तटबंध निर्माण की इस नई प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी करेगी.'- बागमती संघर्ष मोर्चा

ये भी पढ़ेंः मोतिहारी चीनी मिल के खिलाफ एक्शन, मंत्री ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने का दिया आदेश

बता दें कि बागमती नदी पर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर इलाके में प्रस्तावित विनाशकारी तटबंध निर्माण को लेकर चास वास जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मजदूर-किसानों का विराट आंदोलन हुआ था. गायघाट से लेकर पटना तक चले इस आंदोलन में कई गणमान्य हस्तियों के अलावे नदी विशेषज्ञ और वाटर एक्टिविस्टों की भागीदारी हुई थी. जिसके बाद जनांदोलन को देखते हुए सरकार ने एक विशेष रिव्यू कमिटी का गठन किया था. लेकिन रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आने के पहले ही एक बार फिर से तटबंध निर्माण कार्य कराने का टेंडर निकाल दिया गया है.

पटनाः चास वास जीवन बचाओ और बागमती संघर्ष मोर्चा (Bagmati Sangharsh Morcha) द्वारा आज एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां संघर्ष मोर्चा के संयोजक जीतेन्द्र यादव ने कहा कि बागमती नदी (Bagmati river) तटबंध निर्माण को लेकर गठित रिव्यू कमिटी की रिपार्ट आने से पहले तटबंधों का निर्माण जनभावना के साथ विश्वासघात है. उन्होंने कहा कि बागमती नदी को लेकर बनी संपूर्ण पुरानी परियोजनाओं का रिव्यू किया जाए.

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संवाददाता सम्मेलन में मौजूद संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने कहा कि ठेकेदार लाॅबी के दबाव में तटबंध निर्माण कार्य कराने का टेंडर निकाल दिया गया है. यह नदी की जीवंतता और जनभावना के साथ खिलवाड़ है.

बयान देते संघर्ष मोर्चा के संयोजक जीतेन्द्र यादव

हमारी सबसे पहली मांग है कि सरकार तटबंध निर्माण को लेकर निकाले गए नए टेंडर को तत्काल रद्द करे और रिव्यू कमिटी के कार्यकाल का विस्तार किया जाए. साथ ही इस कमिटी को साधन संपन्न बनाकर जल्द रिपोर्ट देने का निर्देशित किया जाए.

'तटबंध निर्माण से लाखों हेक्टर जमीन बालू के ढेर में तब्दील हो जाएगी. तटबंध के बाहर भी जल जमाव का क्षेत्र निर्मित होगा. प्रस्तावित तटबंध बेनीवाद में एनएच 57 को क्रॉस करेगा, जिसमें महज 3 पुल प्रस्तावित हैं. इससे जल प्रवाह प्रभावित होगा और तटबंध के बीच भारी जल जमाव होगा और तबाही का कारण बनेगा'- जीतेन्द्र यादव, संयोजक, संघर्ष मोर्चा

मोर्चा के सदस्यों का ये भी कहना है कि बिहार सरकार जल जीवन हरियाली योजना नदियों की जीवतंता और संरक्षण की बात करती है. ऐसी स्थिति में बिहार सरकार को नदियों के साथ किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ पर रोक लगानी चाहिए. बागमती नदी कोई एक नदी न होकर कई धाराओं की समूह है. तटबंधों के निर्माण से बहुत सारी नदियों की हत्या हो जाएगी और नदियों के धारा-उपधारा के बीच स्थापित प्राकृतिक लिंक को ध्वस्त कर देगी. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए 4 दशक से ज्यादा पुरानी बागमती परियोजना का नए सिरे से रिव्यू होना चाहिए.

'अगर सरकार की ओर से इस दिशा में तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होगा और जनसमुदाय के आक्रोश को और बढ़ाने का काम करेगा. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार तटबंध निर्माण की इस नई प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी करेगी.'- बागमती संघर्ष मोर्चा

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बता दें कि बागमती नदी पर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर इलाके में प्रस्तावित विनाशकारी तटबंध निर्माण को लेकर चास वास जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मजदूर-किसानों का विराट आंदोलन हुआ था. गायघाट से लेकर पटना तक चले इस आंदोलन में कई गणमान्य हस्तियों के अलावे नदी विशेषज्ञ और वाटर एक्टिविस्टों की भागीदारी हुई थी. जिसके बाद जनांदोलन को देखते हुए सरकार ने एक विशेष रिव्यू कमिटी का गठन किया था. लेकिन रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट आने के पहले ही एक बार फिर से तटबंध निर्माण कार्य कराने का टेंडर निकाल दिया गया है.

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