पटना: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से आए दिन जारी होने वाले नए-नए फरमान से बखेड़ा खड़ा हो रहा है. शिक्षक व शिक्षक संगठनों का आरोप है कि एसीएस के निर्देश प्रताड़ित करने वाले साबित हो रहे हैं. इसी कड़ी में माले विधायक और शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष संदीप सौरभ ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर विभाग के अंदर लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया है.
केके पाठक को हटाने की मांग : संदीप सौरभ ने सरकार से मांग की है कि ऐसे अधिकारी को विभाग से तुरंत हटाया जाए. उन्होंने ने कहा कि हाल के दिनों में शिक्षा विभाग का जो निर्देश आया है कि कोई शिक्षक संगठित नहीं हो सकते हैं. सरकार की नीतियों पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति नहीं कर सकते हैं. यह सीधे तौर पर मौलिक अधिकार का हनन है. संविधान में आर्टिकल 19.1.C भारत के सभी नागरिकों को संगठित होने और अपने विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है.
"विशेष परिस्थिति में ही लोगों को संगठित होने से रोका जाता है. ऐसे में वह शिक्षा विभाग से जानना चाहते हैं कि ऐसी कौन सी विषम परिस्थिति आ गई है कि शिक्षकों के मौलिक अधिकार को छीन लिया गया है. शिक्षक समाज के प्रबुद्ध लोग होते हैं और समाज के निर्माण में शिक्षकों की मुख्य भूमिका लोकतंत्र में अति आवश्यक है. वहीं शिक्षक बहाली के प्रथम चरण में लगभग 20000 सीट जिस पर एक से अधिक रिजल्ट आए हैं उस पर सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी किया जाए."- संदीप सौरभ, विधायक, माले
'मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे नए फरमान': संदीप सौरभ ने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक जो राजनीति में हैं और इतिहास रहा है कि कई बार देश के बड़े निर्णय में अपनी मुखर भूमिका के कारण उसे अंजाम तक पहुंचाया है. उनकी अभिव्यक्ति पर भी दमनात्मक कार्रवाई हो रही है, जो निंदनीय है और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. कम्युनिस्ट पार्टी के एमएलसी संजय कुमार सिंह विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सक्रिय नेता हैं. समाचार पत्रों में उनकी टिप्पणी पर विभाग ने उनका पेंशन रोक दिया है और यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक काम है.
'लोकतंत्र को कुचल रहे शिभा विभाग के आला अधिकारी ': माले विधायक ने कहा कि बिहार जो लोकतंत्र की जननी रही है. यहां इस प्रकार लोकतंत्र को कुचलने का काम हो रहा है. इसके खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया है और सरकार से मांग करते हैं कि इस प्रकार के तमाम निर्णय को वापस लिया जाए और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को दूसरे विभाग में ट्रांसफर किया जाए.इसके अलावा हाल के दिनों में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर कई निर्देश जारी किए गए हैं जो बताते हैं कि शिक्षा विभाग शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम कर रहा है.
'केके पाठक का फरमान प्रताड़ित करने वाला': संदीप सौरभ ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक विद्यालयों के लिए 200 दिन, माध्यमिक- उच्च माध्यमिक के लिए 220 दिन कक्षा और उसके लिए घंटे पहले से तय हैं. इसके बावजूद केके पाठक के फरमान के तहत सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक शिक्षकों की ड्यूटी और सुबह 9:30 बजे से 3:30 बजे तक कक्षाओं का संचालन पूरी तरह से शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला है और इसका वह विरोध करते हैं.
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