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स्वास्थ्य सचिव ने कहा- एक दिन में 28,624 सैंपलों की हुई जांच, 2502 नए मामले आए सामने - patna latest news

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि पिछले 24 घंटे में 28,624 सैंपल्स की जांच की गई है. अब तक की गई कुल जांच की संख्या 5,76,796 है. पिछले 24 घंटे में 2,502 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई.

पटना
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Published : Aug 2, 2020, 11:15 AM IST

पटनाः वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह, पुलिस मुख्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक जितेन्द्र कुमार, लघु जल संसाधन विभाग के सचिव अमृत लाल मीणा, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस और आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और विभिन्न नदियों के जलस्तर को लेकर सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी. अनुपम कुमार ने बताया कि कोविड-19 और बाढ़ की वर्तमान स्थिति को लेकर सरकार की ओर से लगातार पूरी तत्परता के साथ सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

बिहार का रिकवरी रेट 65.08 फीसदी
स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण से पिछले 24 घंटे में 1,823 लोग स्वस्थ हुए हैं और अब तक कुल 35,473 लोग ठीक हो चुके हैं. बिहार का रिकवरी रेट 65.08 प्रतिशत है. ताजा आई रिपोर्ट में कोविड-19 के 2,502 नए मामले सामने आये हैं. वर्तमान में बिहार में कोविड-19 के 18,722 एक्टिव मरीज हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में 28,624 सैंपल्स की जांच की गई है और अब तक की गई कुल जांच की संख्या 5,76,796 है.

बारिश से बढ़ेगा जलस्तर
जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने राज्य की विभिन्न नदियों के जलस्तर और बाढ़ सुरक्षात्मक तटबंधों की स्थिति के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कोशी नदी में आज 2 बजे 1,83,245 क्यूसेक जलश्राव प्रवाहित हुआ है और जलस्तर फॉलिंग ट्रेंड में है. गंडक नदी में 1,77,800 क्यूसेक जलस्राव प्रवाहित हुआ है और इसका जलस्तर भी फॉलिंग ट्रेंड में है. लेकिन गंडक के जल ग्रहण क्षेत्र में 12 स्टेशनों पर मध्यम से भारी वर्षा होने के कारण आगामी 12 से 24 घंटे में इसका जलस्तर बढ़ेगा. बागमती और बूढी गंडक को छोड़कर अन्य नदियों का स्टैटिक या फॉलिंग ट्रेंड है.

14 जिले के कुल 112 प्रखंड बाढ़ प्रभावित
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के 14 जिले के कुल 112 प्रखंडों की 1,043 पंचायतें प्रभावित हैं. जहां आवश्यकतानुसार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. पूर्वी चंपारण में 2, गोपालगंज में 11, खगड़िया में 1 और समस्तीपुर में 5 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. इन सभी 19 राहत शिविरों में कुल 26,732 लोग आवासित हैं.

उन्होंने बताया कि 1,340 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं. जिनमें प्रतिदिन 8,82,996 लोग भोजन कर रहे हैं. सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव का कार्य कर रही हैं. अब तक प्रभावित इलाकों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और बोट्स के माध्यम से करीब 3,92,600 लोगों को निष्क्रमित किया गया गया. अब तक बाढ़ से 13 लोगों की मृत्यु हुई है. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युट्स रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रूपये की राशि दी जा रही है. अभी तक 1 लाख 93 हजार 889 परिवारों के बैंक खाते में कुल 116 करोड़ रुपए जीआर की राशि भेजी जा चुकी है. ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है. बाढ़ प्रभावित जरूरतमंद लोगों को पॉलिथिन सीट्स भी उपलब्ध कराया गया है. मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान को देखते हुए सभी जिलों को अलर्ट करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग पूरी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है.

एक हजार जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम पूरा
लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण कार्यक्रम जल जीवन हरियाली का क्रियान्वयन विभिन्न विभागों की ओर से किया जा रहा है. लघु जल संसाधन विभाग की ओर से परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम किया जा रहा है. विभाग को 5 एकड़ से अधिक के क्षेत्रफल वाले सभी परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का जिम्मा दिया गया है. मॉनसून के पहले करीब एक हजार जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम पूरा कर लिया गया है. उन सब में इस बार जल भंडारण हुआ है. 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले बाकी बचे तालाबों के डीपीआर बनाने का काम चल रहा है. जल संचयन करने को लेकर चरणबद्ध तरीके से इनकी भी उड़ाही का काम किया जायेगा.

अमृत लाल मीणा ने बताया कि लघु जल संसाधन विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में ऐसी बड़ी-बड़ी संरचनाएं जिसमें काफी वर्षों से गाद भर गई थी और ऐसे बहुत सारे तालाब जिनका अतिक्रमण हो गया था, उसको समाप्त कर उनमें जल भंडारण की क्षमता में काफी वृद्धि की है. विभाग ने इसका कड़ाई से अनुश्रवण किया है. सभी तालाबों की उड़ाही की जानकारी प्राक्कलन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. प्रत्येक योजना में हुए कार्यों का फोटोग्राफ लिया गया है. सभी योजना में हुए काम की मापी पुस्तिका का विवरण भी अपलोड किया गया है. जन साधारण की जानकारी के लिए यह पब्लिक डोमेन में है. इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने बताया कि सभी तालाबों का सर्वेक्षण कर उनमें वृक्षारोपण किया जाएगा. जो तालाब बसावट के आसपास हैं, उनमें तालाब के चारो ओर पेवर ब्लॉक का पेवमेंट बनाया जा रहा है. हर तालाब में इनलेट और आउटलेट की व्यवस्था की गई है. ताकि उसमें पानी भर सके और उससे पानी निकालकर किसान पटवन कर सकें. इससे एक ओर जहां सिंचाई की क्षमता में व्यापक वृद्धि हुई है, वहीं जलस्तर में भी काफी वृद्धि हुई है. इसका लाभ किसानों को मिल रहा है.

50% नलकूप चालू
लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में 10 हजार 200 राजकीय नलकूपों के संचालन का जिम्मा भी इस विभाग के पास है. इसमें से लगभग 50 प्रतिशत नलकूप चालू हैं, जबकि बाकी विभिन्न कारणों से बंद हैं. विभाग ने इसको लेकर नीतिगत निर्णय लिया है और मंत्री परिषद की ओर से स्वीकृत किया गया है कि राजकीय नलकूपों का प्रबंधन अब ग्राम पंचायतें करेगी. 2019 के फरवरी महीने से सभी नलकूपों का संचालन और रख रखाव के लिए ग्राम पंचायतों को धनराशि भी उपलब्ध कराई गई है. विभाग के अभियंता इसका तकनीकी पर्यवेक्षण करते हैं. अब ग्राम पंचायतें ही इन राजकीय नलकूपों का संचालन कर रही है. इससे नलकूपों के संचालन में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हुई है. बाकि बचे हुए नलकूपों को चालू करने को लेकर अभियान चल रहा है. उम्मीद है कि 4 महीने के अंदर बचे हुए नलकूपों में से 90 प्रतिशत चालू हो जाएंगे. विभाग ने नलकूपों के संचालन कार्य के उचित अनुश्रवण के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स(आईओटी) आधारित अनुश्रवण व्यवस्था विकसित की है.

प्रथम चरण में 4 हजार नलकूपों में आईओटी डिवाइस लगाई जा रही है. जिससे रिमोटली बैठकर नलकूपों के संचालन का आकलन किया जा सकता है. इससे यह पता चलेगा कि कौन नलकूप कितने अवधि के लिए संचालित हुए और कौन लंबे समय से बंद पड़ा है. इससे अनुश्रवण में सहूलियत होगी. अब तक 300 नलकूपों में ये डिवाइस लग चुकी है और अगले 3 महीने में सभी 4 हजार नलकूपों में इसे लगा दिया जाएगा. दिसंबर तक सभी नलकूप चालू होने के बाद बचे हुए सभी नलकूपों में ये डिवाइस लगाई जाएगी. इसके सेंट्रलाइज कमांड एंड कंट्रोल की व्यवस्था की जा रही है. इससे आने वाले समय में राजकीय नलकूपों का उचित संचालन और प्रबंधन होगा. जिससे किसानों को व्यापक लाभ होगा.

पटनाः वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह, पुलिस मुख्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक जितेन्द्र कुमार, लघु जल संसाधन विभाग के सचिव अमृत लाल मीणा, जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस और आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और विभिन्न नदियों के जलस्तर को लेकर सरकार की ओर से किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी. अनुपम कुमार ने बताया कि कोविड-19 और बाढ़ की वर्तमान स्थिति को लेकर सरकार की ओर से लगातार पूरी तत्परता के साथ सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

बिहार का रिकवरी रेट 65.08 फीसदी
स्वास्थ्य सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण से पिछले 24 घंटे में 1,823 लोग स्वस्थ हुए हैं और अब तक कुल 35,473 लोग ठीक हो चुके हैं. बिहार का रिकवरी रेट 65.08 प्रतिशत है. ताजा आई रिपोर्ट में कोविड-19 के 2,502 नए मामले सामने आये हैं. वर्तमान में बिहार में कोविड-19 के 18,722 एक्टिव मरीज हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में 28,624 सैंपल्स की जांच की गई है और अब तक की गई कुल जांच की संख्या 5,76,796 है.

बारिश से बढ़ेगा जलस्तर
जल संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस ने राज्य की विभिन्न नदियों के जलस्तर और बाढ़ सुरक्षात्मक तटबंधों की स्थिति के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कोशी नदी में आज 2 बजे 1,83,245 क्यूसेक जलश्राव प्रवाहित हुआ है और जलस्तर फॉलिंग ट्रेंड में है. गंडक नदी में 1,77,800 क्यूसेक जलस्राव प्रवाहित हुआ है और इसका जलस्तर भी फॉलिंग ट्रेंड में है. लेकिन गंडक के जल ग्रहण क्षेत्र में 12 स्टेशनों पर मध्यम से भारी वर्षा होने के कारण आगामी 12 से 24 घंटे में इसका जलस्तर बढ़ेगा. बागमती और बूढी गंडक को छोड़कर अन्य नदियों का स्टैटिक या फॉलिंग ट्रेंड है.

14 जिले के कुल 112 प्रखंड बाढ़ प्रभावित
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के 14 जिले के कुल 112 प्रखंडों की 1,043 पंचायतें प्रभावित हैं. जहां आवश्यकतानुसार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. पूर्वी चंपारण में 2, गोपालगंज में 11, खगड़िया में 1 और समस्तीपुर में 5 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. इन सभी 19 राहत शिविरों में कुल 26,732 लोग आवासित हैं.

उन्होंने बताया कि 1,340 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं. जिनमें प्रतिदिन 8,82,996 लोग भोजन कर रहे हैं. सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव का कार्य कर रही हैं. अब तक प्रभावित इलाकों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और बोट्स के माध्यम से करीब 3,92,600 लोगों को निष्क्रमित किया गया गया. अब तक बाढ़ से 13 लोगों की मृत्यु हुई है. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युट्स रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रूपये की राशि दी जा रही है. अभी तक 1 लाख 93 हजार 889 परिवारों के बैंक खाते में कुल 116 करोड़ रुपए जीआर की राशि भेजी जा चुकी है. ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है. बाढ़ प्रभावित जरूरतमंद लोगों को पॉलिथिन सीट्स भी उपलब्ध कराया गया है. मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान को देखते हुए सभी जिलों को अलर्ट करा दिया गया है. उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग पूरी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है.

एक हजार जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम पूरा
लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण कार्यक्रम जल जीवन हरियाली का क्रियान्वयन विभिन्न विभागों की ओर से किया जा रहा है. लघु जल संसाधन विभाग की ओर से परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम किया जा रहा है. विभाग को 5 एकड़ से अधिक के क्षेत्रफल वाले सभी परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का जिम्मा दिया गया है. मॉनसून के पहले करीब एक हजार जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम पूरा कर लिया गया है. उन सब में इस बार जल भंडारण हुआ है. 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले बाकी बचे तालाबों के डीपीआर बनाने का काम चल रहा है. जल संचयन करने को लेकर चरणबद्ध तरीके से इनकी भी उड़ाही का काम किया जायेगा.

अमृत लाल मीणा ने बताया कि लघु जल संसाधन विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में ऐसी बड़ी-बड़ी संरचनाएं जिसमें काफी वर्षों से गाद भर गई थी और ऐसे बहुत सारे तालाब जिनका अतिक्रमण हो गया था, उसको समाप्त कर उनमें जल भंडारण की क्षमता में काफी वृद्धि की है. विभाग ने इसका कड़ाई से अनुश्रवण किया है. सभी तालाबों की उड़ाही की जानकारी प्राक्कलन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. प्रत्येक योजना में हुए कार्यों का फोटोग्राफ लिया गया है. सभी योजना में हुए काम की मापी पुस्तिका का विवरण भी अपलोड किया गया है. जन साधारण की जानकारी के लिए यह पब्लिक डोमेन में है. इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने बताया कि सभी तालाबों का सर्वेक्षण कर उनमें वृक्षारोपण किया जाएगा. जो तालाब बसावट के आसपास हैं, उनमें तालाब के चारो ओर पेवर ब्लॉक का पेवमेंट बनाया जा रहा है. हर तालाब में इनलेट और आउटलेट की व्यवस्था की गई है. ताकि उसमें पानी भर सके और उससे पानी निकालकर किसान पटवन कर सकें. इससे एक ओर जहां सिंचाई की क्षमता में व्यापक वृद्धि हुई है, वहीं जलस्तर में भी काफी वृद्धि हुई है. इसका लाभ किसानों को मिल रहा है.

50% नलकूप चालू
लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में 10 हजार 200 राजकीय नलकूपों के संचालन का जिम्मा भी इस विभाग के पास है. इसमें से लगभग 50 प्रतिशत नलकूप चालू हैं, जबकि बाकी विभिन्न कारणों से बंद हैं. विभाग ने इसको लेकर नीतिगत निर्णय लिया है और मंत्री परिषद की ओर से स्वीकृत किया गया है कि राजकीय नलकूपों का प्रबंधन अब ग्राम पंचायतें करेगी. 2019 के फरवरी महीने से सभी नलकूपों का संचालन और रख रखाव के लिए ग्राम पंचायतों को धनराशि भी उपलब्ध कराई गई है. विभाग के अभियंता इसका तकनीकी पर्यवेक्षण करते हैं. अब ग्राम पंचायतें ही इन राजकीय नलकूपों का संचालन कर रही है. इससे नलकूपों के संचालन में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हुई है. बाकि बचे हुए नलकूपों को चालू करने को लेकर अभियान चल रहा है. उम्मीद है कि 4 महीने के अंदर बचे हुए नलकूपों में से 90 प्रतिशत चालू हो जाएंगे. विभाग ने नलकूपों के संचालन कार्य के उचित अनुश्रवण के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स(आईओटी) आधारित अनुश्रवण व्यवस्था विकसित की है.

प्रथम चरण में 4 हजार नलकूपों में आईओटी डिवाइस लगाई जा रही है. जिससे रिमोटली बैठकर नलकूपों के संचालन का आकलन किया जा सकता है. इससे यह पता चलेगा कि कौन नलकूप कितने अवधि के लिए संचालित हुए और कौन लंबे समय से बंद पड़ा है. इससे अनुश्रवण में सहूलियत होगी. अब तक 300 नलकूपों में ये डिवाइस लग चुकी है और अगले 3 महीने में सभी 4 हजार नलकूपों में इसे लगा दिया जाएगा. दिसंबर तक सभी नलकूप चालू होने के बाद बचे हुए सभी नलकूपों में ये डिवाइस लगाई जाएगी. इसके सेंट्रलाइज कमांड एंड कंट्रोल की व्यवस्था की जा रही है. इससे आने वाले समय में राजकीय नलकूपों का उचित संचालन और प्रबंधन होगा. जिससे किसानों को व्यापक लाभ होगा.

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