पटना: दिल्ली में कोरोना मरीजों के प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के अच्छे नतीजे मिलने के बाद अब बिहार में भी इस थेरेपी से कोरोना संक्रमितों के इलाज की कवायद शुरू हो गई है. पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज हो सकेगा. यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने दी है.
एम्स ने आइसीएमआर को दिया था प्रस्ताव
प्रधान सचिव ने बताया कि दिल्ली में इस थेरेपी के शुरुआती नतीजे उत्साहजनक दिखे हैं, जिसके बाद एम्स पटना की ओर से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को प्रस्ताव दिया गया था. इस पर काउंसिल की सहमति मिल गई है. उन्होंने कहा कि पटना एम्स में कोरोना के प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने के आवश्यक मेडिकल उपकरण और अन्य संसाधन मौजूद हैं. इसलिए यह थेरेपी पटना में संभव हो सकेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही राज्य में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू हो सकेगा.
कैसे होती है प्लाज्मा थेरेपी
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार संक्रमण से उबर चुके मरीज के शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं. इन एंटीबॉडीज की मदद से कोरोना रोगी के खून में मौजूद वायरस खत्म किए जा सकते हैं. इसी तरह प्लाज्मा थेरेपी से इलाज होता है.
महामारी से ठीक हुए लोग थेरेपी में बनेंगे डोनर
इस महामारी से ठीक हुए लोग थेरेपी में डोनर बन सकते हैं. अन्य रोगी को यह थेरेपी देने के लिए ठीक हुए रोगी के प्लाज्मा का उपयोग किया जाता है. ठीक हो चुके मरीज का एलिसा टेस्ट किया जाता है, जिससे उनके शरीर में एंटीबॉडीज की मात्रा का पता लगता है. ठीक हो चुके मरीज के शरीर से प्लाज्मा लेने से पहले राष्ट्रीय मानकों के तहत शुद्धता की भी जांच होती है.