पटना: कोरोना संक्रमण का भयावह दौर चल रहा है. लगातार बिहार में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. राजधानी पटना में मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ रही है. पटना में जिला प्रशासन ने गाइडलाइन जारी कर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अलग अलग दिनों में अलग अलग सामानों की दुकानों को खोलने का आदेश जारी किया है. मार्केट में भीड़ भाड़ की स्थिति ना बने इसको लेकर प्रशासन ने कई कदम भी उठाये हैं. इन हालातों में सबसे दिक्कत फुटपाथ पर दुकान चलाने वाले लोगों को हो रही है.
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फुटपाथी दुकानदार परेशान
गाइडलाइन के मुताबिक दुकानों को खोलने के लिए तीन श्रेणियों में बांटा गया है. किराना, दूध-दवा की दुकानें रोज खोलने के निर्देश हैं, जबकि सैलून 3 तीन ही खोले जा रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होने पर दुकान बंद करा दी जा रही है. अधिक भीड़ वाली जगहों पर एसडीओ की ओर से धारा 144 लागू की जाती है. ऐसे में फूटपाथी दुकानदारों की दुकानों में वीराना छाया हुआ है. ठेला रेहड़ी पर सामान बेचने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. राजधानी पटना में हजारों लोगों की जिंदगी फुटपाथ पर सामान बेचकर ही चलती है. इस संक्रमण के दौर में उनका रोजगार ठप्प हो गया है और वो फिर से एक बार हताश और निराश नजर आ रहे हैं.
'पिछले साल की स्थिति तो सब को पता है. अब जब हमलोग इस स्थिति से उबर रहे थे तो फिर से अब हमलोगों पर आफत आ गई है. दुकानदारी चौपट हो गयी है. अपना पेट भरता नहीं है. परिवार को कहां से खिलाएंगे.'- दिलीप कुमार, चाय दुकानदार
'पहले 200 से 300 रुपये प्रतिदिन कमा लेते थे. अभी जो हालात हैं मुश्किल से 50 से 100 रुपये कमा पा रहे हैं. बहुत बुरा हाल है, कैसे जिंदगी चलेगी समझ में नहीं आ रहा है, बहुत परेशान हैं. ये स्थिति हमलोग एक साल से झेल रहे हैं. कोई सहारा भी नहीं है.'- गरीबन मियां, अंडा दुकानदार
नहीं हो रही भीड़
आम लोगों के लिए जारी निर्देश ने भी ठेला-रेहड़ी वालों की परेशानी बढ़ी दी है. लोगों से अपील की गई है कि घर के पास की दुकानों से खरीदारी करें. घर से निकलने के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के तहत मास्क पहनना, सामाजिक दूरी रखना और सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना है. भीड़ जमा नहीं करना है. ऐसे में सड़क पर दुकान लगाकर बैठे दुकानदारों के पास ग्राहकों की भीड़ ही नहीं हो रही है. रोजमर्रा का खर्च भी इनका नहीं निकल पा रहा है.
'धूप में खड़े हैं ग्राहक ही नहीं हैं. लोग आ नहीं रहे हैं. बिक्री बट्टा खत्म है. पहले प्रतिदिन 1000 रुपये से ज्यादा की आमदनी होती थी. अभी 100- 200 रुपये बिक्री पर आफत है. पता नहीं क्या करूँ समझ में नहीं आता कि कौन सी बीमारी आ गई है कि कमाने खाने पर आफत है.- मुन्ना कुमार, सतू दुकानदार
'सड़क पर यात्री ही नहीं है तो ऑटो क्या चलायें. स्थिति बहुत बुरी है. एक तो पेट्रोल महंगा है ऊपर से जो बीमारी आई है लोग डरे हुए हैं. रोजी रोजगार खत्म हो गया है.'- रामनारायण प्रसाद, ऑटो चालक
भीड़ होने पर कार्रवाई
कहीं भी भीड़ होने पर प्रशासन की ओर से तुरंत एक्शन लिया जा रहा है. ऐसे में लोग डर से नहीं निकल रहे. और दुकानों में भीड़ हो तो तुरंत कार्रवाई भी की जा रही है. भीड़ होने पर दुकानों को सील किया जा रहा है. ऐसे में रेहड़ी- ठेलों वालों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है. ना के बराबर भीड़ है. लोग बाहर कुछ भी खाने से परहेज कर रहे हैं. इन फुटपाथी दुकानदारों के सामने एक बार फिर से विकट समस्या खड़ी हो गई है.
पहले रहती थी भीड़
बाजार के दुकानों पर फ़ास्ट फूड खाने वालों की भीड़ लगी रहती थी. आज वह वीरान है. ऐसे दर्जनों दुकानदार जो गर्मी के दिनों में शिकंजी, आइस क्रीम, चना चटपटी बेचकर अपना गुजारा करते थे. उनकी बिक्री बिल्कुल बंद हो चुकी है. इन लोगों का कहना है कि कोरोना से अगर बच भी गये तो भूखे मरने के कगार पर आ गए हैं.