पटना: प्रदेश में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों के आने से संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है. हाल में दिनों में मिले सभी संक्रमितों में ज्यादातर प्रवासी ही हैं. इससे राज्य सरकार और जिला प्रशासन दोनों की चुनौती बढ़ी हुई है.
जानकारी के मुताबिक, कोरोना महामारी के समय पूरे देश से लगभग 20 लाख से अधिक प्रवासी बिहार पहुंचे हैं. प्रवासियों को लाने के लिए 1,433 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं. इनमें से कई ट्रेन बिहार के बॉर्डर इलाकों से भी चलाई गई. सबसे अधिक गुजरात से 231 और महाराष्ट्र से 224 विशेष श्रमिक ट्रेनें चली. गुजरात से 3 लाख 38 हजार से अधिक प्रवासी बिहार पहुंचे हैं तो वही महाराष्ट्र से 3 लाख 34 हजार से अधिक. वहीं, देश की राजधानी दिल्ली से 1 लाख 60 हजार से अधिक प्रवासियों का आगमन हुआ है.
ट्रेनों से बिहार पहुंचे प्रवासी मिले संक्रमित
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से बिहार आने वाले इन्हीं तीन राज्यों में सबसे अधिक प्रवासी संक्रमित पाए गए हैं. इनके वजह से बिहार में कोरोना संक्रमण का प्रतिशत बढ़ गया. आंकड़ों की मानें तो बिहार में संक्रमण के प्रतिशत में 3 मई के बाद आने वाले प्रवासियों की भागीदारी 70% है. इस पर अब प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है.
'प्रवासियों ने स्थिति को बनाया विस्फोटक'
बिहार में 24 विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रवासियों में कोरोना संक्रमण के केस मिले हैं. सबसे अधिक संक्रमण मिलने वाले 5 राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश है. देखें आंकड़ा:
- महाराष्ट्र से 713 प्रवासी
- दिल्ली से 681 प्रवासी
- गुजरात से 437 प्रवासी
- हरियाणा से 246 प्रवासी
- उत्तर प्रदेश से 160 प्रवासी
- राजस्थान से 127 प्रवासी
- पश्चिम बंगाल से 160 प्रवासी
- तेलंगाना से 109 प्रवासी
- पंजाब से 90 प्रवासी
- कर्नाटका से 58 प्रवासी
- तमिलनाडु से 37 प्रवासी
- मध्य प्रदेश से 30 प्रवासी
- आंध्र प्रदेश से 29 प्रवासी
- चंडीगढ़ से 20 प्रवासी
- झारखंड से 17 प्रवासी
- छत्तीसगढ़ से 15 प्रवासी
- उड़ीसा से 14 प्रवासी
- उत्तराखंड से 4 प्रवासी
- हिमाचल प्रदेश से 3
- प्रवासी केरल से 3 प्रवासी
- गोवा से 2 प्रवासी
- अरुणाचल प्रदेश से 1 प्रवासी
- जम्मू कश्मीर से 1 प्रवासी
- दादर और नागर हवेली से 1 प्रवासी
बिहार में कोरोना का हाल
बिहार के तमाम जिलों की बात करें तो पटना, बेगूसराय, रोहतास में आंकड़ा 200 के ऊपर है. वहीं मधुबनी, भागलपुर, जहानाबाद, कटिहार, मुंगेर, नालंदा, गोपालगंज, बांका, बक्सर, दरभंगा जैसे जिलों में आंकड़ा 100 पार कर चुका है. सभी 38 जिलों में कोरोना संक्रमित मरीज लगातार मिल रहे हैं. बिहार में मई के पहले सप्ताह तक संक्रमण का प्रतिशत कुल जांच में 2% से नीचे था. लेकिन, प्रवासियों के कारण अब 5% के करीब पहुंच गया है. अब बिहार में कोरोना संक्रमण की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है.
प्रवासियों पर राजनीति
कोरोना को लेकर आरजेडी लगातार सरकार पर हमलावर है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने शुरू में सरकार से सभी प्रवासियों को लाने की मांग की थी. लेकिन, जब संक्रमण बढ़ गया तब सरकार सबको लाई है और अब स्थिति विस्फोटक होती जा रही है. यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी चिंता जाहिर की है.
बीजेपी-जेडीयू की राय
वहीं, बीजेपी मंत्री विनोद नारायण झा और जदयू मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि बिहार सरकार ने प्रवासियों के लिए जिस तरह से काम किया है वह दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण है. केंद्र और राज्य सरकार इनके लिए कई योजनाएं चला रही हैं. लेकिन, आरजेडी के पास अब कोई मुद्दा नहीं है इसलिए प्रवासियों का मुद्दा तलाश रही है.
सरकार के लिए है बड़ी चुनौती
केंद्र सरकार की ओर से अब अनलॉक-1 में बड़ी संख्या में ट्रेनें चलाई जा रही हैं. हालांकि, श्रमिक विशेष ट्रेनों की संख्या अब काफी कम हो गई है. अगले कुछ दिनों में ट्रेन आनी बंद हो जाएगी इसीलिए सरकार ने ब्लॉक क्वारंटीन केंद्रों को भी 15 जून के बाद बंद करने का फैसला लिया है. क्वांरटीन केंद्रों में रह रहे प्रवासियों के लिए सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर सर्वे कराया जा रहा है. साथ ही उनकी निगरानी भी रखी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो जल्द ही 10,000 से अधिक जांच बिहार में होने लगेंगे, तब कोरोना संक्रमण को तोड़ने में मदद मिलेगी.