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बिहार के सहकारी बैंकों को केंद्र से मदद की दरकार, RBI को दी कमान के फैसले पर जाहिर की खुशी

देश को विकास की डगर पर ले जाने के लिए जिस कोआपरेटिव बैंकों का गठन किया गया था. वह सरकारी उपेक्षा और अनदेखी की ऐसी भेंट चढ़ी कि देश के विकास में भूमिका अदा करने बजाय ये बैंकें अपने वजूद के संघर्ष से जूझने लगी. अब इन सहकारी बैंकों को आरबीआई के निगरानी में लाने की बात तय की गई है.

बिहार के सहकारी बैंक
बिहार के सहकारी बैंक
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Published : Jul 26, 2020, 11:04 PM IST

पटना: सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के अधीन लाने की तैयारी चल रही है. इस बाबत केंद्र सरकार ने अध्यादेश भी जारी कर दिया है. केंद्र सरकार के फैसले से सरकारी बैंकों की समस्या फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है और बैंकों के सामने कई तरह की चुनौतियां दस्तक दे रही हैं.

कोविड-19 काल में बैंकों के सामने बहुआयामी चुनौतियां
देश में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोविड-19 काल में बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं है. खासकर सहकारी बैंक बुरे दौर से गुजर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियंत्रण में ला दिया है. लेकिन इससे बैंकों की समस्या कम होती नहीं दिख रही है.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

बिहार में सहकारी बैंक

  • बिहार में 22 सहकारी बैंक हैं.
  • जिनकी 310 शाखाएं काम कर रही हैं.
  • कुल 22 जिलों में सहकारी बैंक कार्यरत हैं.
  • वर्तमान में सहकारी बैंकों का 30 फीसदी एनपीए है.
  • राज्य में निजी सरकारी बैंकों की संख्या फिलहाल सिर्फ तीन कार्यरत हैं,
  • जिसमें दो पटना और एक हाजीपुर में है.

आवामी बैंक के प्रबंध निदेशक तनवीर अहमद ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि सरकारी बैंकों के साथ नियम कानून राष्ट्रीयकृत बैंकों की तरह ही होते हैं. हम लोग के 30% आयकर भी देते हैं. लेकिन हमें सरकार का कोई सपोर्ट नहीं मिलता. बैंक नुकसान में जाता है. इस वजह से कस्टमर्स का डिपोजिट भी सिक्योर नहीं है. नेशनल बैंकों की तरह सरकार सहकारी बैंकों के लिए भी सरकार रेस्क्यू मेजर्स ले. कोविड-19 के दौरान बैंकों की स्थिति बेहतर नहीं है. ऐसे मे सरकारी बैंकों को कैपिटल के मदद की दरकार है.

वजूद की तलाश में सहकारी बैंक
वजूद की तलाश में सहकारी बैंक

'केंद्र कोऑपरेटिव बैंकों की मदद करे'
बिहार राज्य सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक सरवर आलम का कहना है कि केंद्र सरकार के फैसले से ग्राहकों में आत्मविश्वास जगेगा और कोऑपरेटिव बैंक मजबूत होगा. राजधानी पटना स्थित बिहार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के महाप्रबंधक अखिलेश कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार का फैसला स्वागत योग्य है.

कोरोना काल के दौरान पसरा सन्नाटा
कोरोना काल के दौरान पसरा सन्नाटा

नाबार्ड करता था नियंत्रण
अखिलेश कुमार ने बताया कि पहले सहकारी बैंक को पर नियंत्रण नाबार्ड के माध्यम से किया जाता था. लेकिन अब आरबीआई का सीधा नियंत्रण होगा. निदेशक मंडल में प्रोफेशनल डायरेक्टर की संख्या बढ़ाई जाएगी. इसके अलावा प्रबंध निदेशक की नियुक्ति रिजर्व बैंक के सलाह के बाद किया जाएगा.

बिहार स्थित सहकारी बैंक
बिहार स्थित सहकारी बैंक

केंद्र के फैसले से ग्राहक भी खुश हैं. ग्रामीण इलाके से आने वाले रघुवीर मोची का कहना है कि इस फैसले से किसानों को राहत होगी किसान क्रेडिट कार्ड या कृषि ऋण मिलने में सुविधा होगी साथ ही पारदर्शिता आएगी और जिनका पैसा बैंकों में है उनका भी आत्मविश्वास बढ़ेगा.

पटना: सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के अधीन लाने की तैयारी चल रही है. इस बाबत केंद्र सरकार ने अध्यादेश भी जारी कर दिया है. केंद्र सरकार के फैसले से सरकारी बैंकों की समस्या फिलहाल कम होती नहीं दिख रही है और बैंकों के सामने कई तरह की चुनौतियां दस्तक दे रही हैं.

कोविड-19 काल में बैंकों के सामने बहुआयामी चुनौतियां
देश में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोविड-19 काल में बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं है. खासकर सहकारी बैंक बुरे दौर से गुजर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियंत्रण में ला दिया है. लेकिन इससे बैंकों की समस्या कम होती नहीं दिख रही है.

पटना से रंजीत की रिपोर्ट

बिहार में सहकारी बैंक

  • बिहार में 22 सहकारी बैंक हैं.
  • जिनकी 310 शाखाएं काम कर रही हैं.
  • कुल 22 जिलों में सहकारी बैंक कार्यरत हैं.
  • वर्तमान में सहकारी बैंकों का 30 फीसदी एनपीए है.
  • राज्य में निजी सरकारी बैंकों की संख्या फिलहाल सिर्फ तीन कार्यरत हैं,
  • जिसमें दो पटना और एक हाजीपुर में है.

आवामी बैंक के प्रबंध निदेशक तनवीर अहमद ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि सरकारी बैंकों के साथ नियम कानून राष्ट्रीयकृत बैंकों की तरह ही होते हैं. हम लोग के 30% आयकर भी देते हैं. लेकिन हमें सरकार का कोई सपोर्ट नहीं मिलता. बैंक नुकसान में जाता है. इस वजह से कस्टमर्स का डिपोजिट भी सिक्योर नहीं है. नेशनल बैंकों की तरह सरकार सहकारी बैंकों के लिए भी सरकार रेस्क्यू मेजर्स ले. कोविड-19 के दौरान बैंकों की स्थिति बेहतर नहीं है. ऐसे मे सरकारी बैंकों को कैपिटल के मदद की दरकार है.

वजूद की तलाश में सहकारी बैंक
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'केंद्र कोऑपरेटिव बैंकों की मदद करे'
बिहार राज्य सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक सरवर आलम का कहना है कि केंद्र सरकार के फैसले से ग्राहकों में आत्मविश्वास जगेगा और कोऑपरेटिव बैंक मजबूत होगा. राजधानी पटना स्थित बिहार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के महाप्रबंधक अखिलेश कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार का फैसला स्वागत योग्य है.

कोरोना काल के दौरान पसरा सन्नाटा
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नाबार्ड करता था नियंत्रण
अखिलेश कुमार ने बताया कि पहले सहकारी बैंक को पर नियंत्रण नाबार्ड के माध्यम से किया जाता था. लेकिन अब आरबीआई का सीधा नियंत्रण होगा. निदेशक मंडल में प्रोफेशनल डायरेक्टर की संख्या बढ़ाई जाएगी. इसके अलावा प्रबंध निदेशक की नियुक्ति रिजर्व बैंक के सलाह के बाद किया जाएगा.

बिहार स्थित सहकारी बैंक
बिहार स्थित सहकारी बैंक

केंद्र के फैसले से ग्राहक भी खुश हैं. ग्रामीण इलाके से आने वाले रघुवीर मोची का कहना है कि इस फैसले से किसानों को राहत होगी किसान क्रेडिट कार्ड या कृषि ऋण मिलने में सुविधा होगी साथ ही पारदर्शिता आएगी और जिनका पैसा बैंकों में है उनका भी आत्मविश्वास बढ़ेगा.

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