पटना: रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सामान का वजन उठाने वाले कुली आर्थिक संकट के बोझ से दबने लगे हैं. वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन के बीच भारतीय रेल बंद होने के बाद अनलॉक की प्रक्रिया के बीच रेलवे पहियों के चल पड़ने के बावजूद कुलियों के जीवन की ट्रेन अभी भी बेपटरी है.
पटना रेलवे स्टेशन पर 171 कुली
पटना जंक्शन पर 171 कुली बतौर दैनिक मजदूर कार्य करते हैं. रेलवे के पहिए थमने के बाद सबसे अधिक कोई प्रभावित हुआ था तो वह कुली हैं. जिनकी रोजी-रोटी ही प्लेटफार्म पर लोगों के सामान का बोझ उठाने पर निर्भर है. ट्रेनों के बंद होते ही कुलियों के सामने परिवार के भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई थी. हालांकि, इस बीच ट्रेनों के परिचालन और अब कुछ अन्य ट्रेनों के परिचालन शुरू हो गया है. लेकिन ट्रेनों का परिचालन शुरू किए जाने के बाद भी तस्वीर कुछ खास नहीं बदली है.
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ट्रेन रद्द होने से कुली पर सीधा असर
कुलियों ने रेलवे प्रशासन से गुहार भी लगाया कि हमारे पास कोई दूसरा काम भी नहीं है. लेकिन अब तक पूर्व मध्य रेल के प्रशासन ने उनकी मदद नहीं की. वहीं, कुलियों का कहना है कि 2 माह से मकान तक का किराया भी नहीं दे पाए हैं, उनके पास जब पैसे ही नहीं है तो भला वह मकान का किराया कहां से चुका पाएंगे. पहले प्रति दिन 500 रुपये की कमाई स्टेशन पर लोगों के सामान पहुंचाने से हो जाया करते थे. लेकिन अब गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया है. वहीं हम लोगों ने सरकार से गुहार भी लगाया कि कुली के लिए ग्रुप डी में बहाली किया जाए. लगतार ट्रेन रद्द हो रहे जिस से यात्रियों की संख्या कम हो जाती है ऐसे में हमलोगों के रोजगार पर सीधा असर पड़ता है.