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कोरोना: इलाज के लिए आयुर्वेद बनाम एलोपैथी पर विवाद गलत, जानें कितना प्रभावी है आयुर्वेदिक इलाज

कोरोना महामारी के दौर में एलोपैथी और आयुर्वेद को लेकर विवाद तेज है. एलोपैथ या फिर आयुर्वेद से कोरोना के इलाज को लेकर चल रहे विवाद पर पटना के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉक्टर ने बताया कि इस मसले पर विवाद गलत है.

कोरोना और आयुर्वेद
कोरोना और आयुर्वेद
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Published : Jun 7, 2021, 7:12 AM IST

Updated : Jun 7, 2021, 7:46 AM IST

पटनाः देश सहित बिहार में भी कोरोना (Covid-19) के खिलाफ जंग में आयुर्वेद बनाम एलोपैथ (Ayurveda vs Allopathy) की लड़ाई तेज हो गई है. राज्य सरकार के मान्यता नहीं देने के बाद भी पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉक्टर टेली काउंसलिंग के माध्यम से कोरोना मरीजों का इलाज और सलाह दे रहे हैं. महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर वैद्य रमन रंजन ने बताया कि वे केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं.

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"कोरोना के इलाज को लेकर आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की लड़ाई गलत है. इसपर विवाद होना गलत है. कोरोना के दूसरे वेब में काफी संख्या में माइल्ड और मॉडरेट मरीजों को ठीक किया है. इसके अलावा कई सीवियर मरीजों को भी एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयां ऐड ऑन किया है, जिसका उन्हें काफी लाभ मिला है. इससे मरीज की रिकवरी काफी तेजी से हुई है. आयुर्वेद में भी कई तरह की दवाइयां हैं. जरुरी नहीं है कि सभी मरीज एक ही दवाओं का सेवन करें. लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जानी चाहिए. किसी तरह की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है."- वैद्य रमन रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय

वैद्य रमन रंजन
वैद्य रमन रंजन

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टेली काउंसलिंग के लिए मरीजों को उनके लक्षण के आधार पर दवाइयां प्रिसक्राइब की जाती है. साथ ही मरीजों की मॉनिटरिंग भी की जाती है. यह देखा जाता है कि मरीज कितने दिन में स्वस्थ हो रहे हैं. यह देखा गया है कि आयुर्वेदिक दवाइयों से माइल्ड और मॉडरेट किस्म के मरीज 5 से 10 दिन के अंदर ठीक हो जा रहे हैं. वहीं सीवियर मरीजों को एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं दी जा रही है. सिर्फ आयुर्वेद से सैकड़ों मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. कोरोना काल में आयुर्वेद के प्रति लोगों का नजरिया साकारात्मक हुआ है.- वैद्य रमन रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय

पटनाः देश सहित बिहार में भी कोरोना (Covid-19) के खिलाफ जंग में आयुर्वेद बनाम एलोपैथ (Ayurveda vs Allopathy) की लड़ाई तेज हो गई है. राज्य सरकार के मान्यता नहीं देने के बाद भी पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉक्टर टेली काउंसलिंग के माध्यम से कोरोना मरीजों का इलाज और सलाह दे रहे हैं. महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर वैद्य रमन रंजन ने बताया कि वे केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं.

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"कोरोना के इलाज को लेकर आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की लड़ाई गलत है. इसपर विवाद होना गलत है. कोरोना के दूसरे वेब में काफी संख्या में माइल्ड और मॉडरेट मरीजों को ठीक किया है. इसके अलावा कई सीवियर मरीजों को भी एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयां ऐड ऑन किया है, जिसका उन्हें काफी लाभ मिला है. इससे मरीज की रिकवरी काफी तेजी से हुई है. आयुर्वेद में भी कई तरह की दवाइयां हैं. जरुरी नहीं है कि सभी मरीज एक ही दवाओं का सेवन करें. लक्षण के आधार पर दवाइयां दी जानी चाहिए. किसी तरह की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है."- वैद्य रमन रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय

वैद्य रमन रंजन
वैद्य रमन रंजन

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टेली काउंसलिंग के लिए मरीजों को उनके लक्षण के आधार पर दवाइयां प्रिसक्राइब की जाती है. साथ ही मरीजों की मॉनिटरिंग भी की जाती है. यह देखा जाता है कि मरीज कितने दिन में स्वस्थ हो रहे हैं. यह देखा गया है कि आयुर्वेदिक दवाइयों से माइल्ड और मॉडरेट किस्म के मरीज 5 से 10 दिन के अंदर ठीक हो जा रहे हैं. वहीं सीवियर मरीजों को एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं दी जा रही है. सिर्फ आयुर्वेद से सैकड़ों मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. कोरोना काल में आयुर्वेद के प्रति लोगों का नजरिया साकारात्मक हुआ है.- वैद्य रमन रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय

Last Updated : Jun 7, 2021, 7:46 AM IST
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