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आखिर क्या करें प्रवासी! सीएम बोले- 'आना', पीएम बोले- 'मत जाना'

पिछले साल की तरह इस साल भी हजारों लोग बिहार वापसी कर रहे हैं. सरकार का दावा है कि सभी को राज्य में रोजगार दिया जाएगा लेकिन विपक्ष पूछ रहा है कि पिछले साल जिन लोगों ने कोरोना काल में घर वापसी की उनमें कितने लोगों को काम दिया गया है.

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Published : Apr 21, 2021, 8:56 PM IST

Updated : Apr 21, 2021, 10:39 PM IST

पटना: कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच महानगरों और बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन इस साल भी जारी है. बस अड्डों, रेलवे स्‍टेशनों पर भीड़ बढ़ने लगी है, जो 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है. एक बार फिर कोविड-19 के बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार देश में लॉकडाउन की पक्षधर नहीं है. उन्होंने राज्यों से अपील कि है लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करें.

पीएम ने प्रवासियों के लिए स्थानीय अधिकारियों को व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. पीएम ने देश के नाम संबोधन में प्रवासियों से नहीं घबराने की अपील की है. उन्होंने कहा कि उन्हें हर संभव मदद किया जाएगा. वहीं, नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले ही बाहर रहने वाले लोगों से अपील की है कि जिन्हें बिहार वापस आना है. वे जल्द लौट आएं. अब विपक्ष के नेताओं का कहना है कि बाहर रहने वाले लोग किसकी बात मानें. अगर प्रवासी बिहार लौटते हैं तो उनके लिए बिहार कितना तैयार है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'डबल इंजन की सरकार में लोगों में कंफ्यूज क्यों'
राजनीतिक विरोधाभासी बयानों के बीच प्रवासियों का बिहार आना जारी है. बड़ी संख्या में विभिन्न जगहों से ट्रेनें बिहार के लिए चलाई जा रही हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है कि आखिर 'डबल इंजन' की सरकार लोगों को कंफ्यूज क्यों कर रही है. कोविड-19 संक्रमण के इस मुश्किल भरे दौर में लोग पहले से ही परेशान हैं ऊपर से केंद्र और राज्य के विरोधाभासी बयानों से प्रवासी और ज्यादा संकट में पड़ेंगे.

विपक्ष का सवाल- कितना तैयार बिहार?
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सवाल पूछा है कि बिहार सरकार को यह बताना चाहिए कि प्रवासियों के लिए बिहार ने क्या तैयारी की है. पिछली बार जो लोग आए उन्हें तो सरकार रोजगार नहीं दे पाई. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अपनी जगह सही हो सकते हैं. लेकिन मुद्दा तो यही है कि लोग किसकी बात मानें.

'मजदूरों के लिए सरकार पूरी तरह तैयार'
ईटीवी भारत ने प्रवासी बिहारियों के लिए तैयारियों के बारे में प्रदेश के श्रम संसाधन मंत्री से बात की. मंत्री जीवेश मिश्रा ने दावा किया कि बाहर से आने वाले मजदूरों के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है. हमने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है, जिस पर बड़ी संख्या में कॉल आ रहे हैं और हम उनकी मदद कर रहे हैं.

क्या है श्रम विभाग की तैयारी?
बिहार सरकार की मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख तक का लोन मिलेगा, इसमें से 5 लाख का अनुदान होगा. टोल फ्री नंबर 18003456138 से मदद की जा रही है. बाहर से आने वाले श्रमवीरों की स्किल मैपिंग हो रही है. अब तक 9.5 लाख प्रवासियों को चिन्हित किया गया है. इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपने हुनर का इस्तेमाल कर काम प्रारंभ कर चुके हैं.

राज्य सरकार पर भारी दबाव
राजनीतिक विरोधाभासी बयानबाजी के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी बिहार लौट रहे हैं. ऐसे में बिहार सरकार पर प्रवासियों की आर्थिक मदद के साथ-साथ उन्हें स्वस्थ रखते हुए बिहार में ही रोजगार मुहैया कराने का दबाव भी है. पिछले साल भी प्रवासी बिहारियों को बिहार में रोजगार देने का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठा था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार किस हद तक बाहर से आ रहे लोगों को बिहार में रोजगार मुहैया करा पाती है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में ऑक्सीजन संकट : सेंट स्टीफंस और गंगाराम में कुछ ही घंटे का स्टॉक

बता दें कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत 2020-21 में 18 करोड़ 1 लाख 70 हजार 980 मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया था. 14 करोड़ 17 लाख 26 हजार 850(69.31%) मानव दिवस का सृजन किया गया.

पटना: कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच महानगरों और बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन इस साल भी जारी है. बस अड्डों, रेलवे स्‍टेशनों पर भीड़ बढ़ने लगी है, जो 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है. एक बार फिर कोविड-19 के बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार देश में लॉकडाउन की पक्षधर नहीं है. उन्होंने राज्यों से अपील कि है लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करें.

पीएम ने प्रवासियों के लिए स्थानीय अधिकारियों को व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. पीएम ने देश के नाम संबोधन में प्रवासियों से नहीं घबराने की अपील की है. उन्होंने कहा कि उन्हें हर संभव मदद किया जाएगा. वहीं, नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले ही बाहर रहने वाले लोगों से अपील की है कि जिन्हें बिहार वापस आना है. वे जल्द लौट आएं. अब विपक्ष के नेताओं का कहना है कि बाहर रहने वाले लोग किसकी बात मानें. अगर प्रवासी बिहार लौटते हैं तो उनके लिए बिहार कितना तैयार है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'डबल इंजन की सरकार में लोगों में कंफ्यूज क्यों'
राजनीतिक विरोधाभासी बयानों के बीच प्रवासियों का बिहार आना जारी है. बड़ी संख्या में विभिन्न जगहों से ट्रेनें बिहार के लिए चलाई जा रही हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है कि आखिर 'डबल इंजन' की सरकार लोगों को कंफ्यूज क्यों कर रही है. कोविड-19 संक्रमण के इस मुश्किल भरे दौर में लोग पहले से ही परेशान हैं ऊपर से केंद्र और राज्य के विरोधाभासी बयानों से प्रवासी और ज्यादा संकट में पड़ेंगे.

विपक्ष का सवाल- कितना तैयार बिहार?
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सवाल पूछा है कि बिहार सरकार को यह बताना चाहिए कि प्रवासियों के लिए बिहार ने क्या तैयारी की है. पिछली बार जो लोग आए उन्हें तो सरकार रोजगार नहीं दे पाई. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अपनी जगह सही हो सकते हैं. लेकिन मुद्दा तो यही है कि लोग किसकी बात मानें.

'मजदूरों के लिए सरकार पूरी तरह तैयार'
ईटीवी भारत ने प्रवासी बिहारियों के लिए तैयारियों के बारे में प्रदेश के श्रम संसाधन मंत्री से बात की. मंत्री जीवेश मिश्रा ने दावा किया कि बाहर से आने वाले मजदूरों के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है. हमने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है, जिस पर बड़ी संख्या में कॉल आ रहे हैं और हम उनकी मदद कर रहे हैं.

क्या है श्रम विभाग की तैयारी?
बिहार सरकार की मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख तक का लोन मिलेगा, इसमें से 5 लाख का अनुदान होगा. टोल फ्री नंबर 18003456138 से मदद की जा रही है. बाहर से आने वाले श्रमवीरों की स्किल मैपिंग हो रही है. अब तक 9.5 लाख प्रवासियों को चिन्हित किया गया है. इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपने हुनर का इस्तेमाल कर काम प्रारंभ कर चुके हैं.

राज्य सरकार पर भारी दबाव
राजनीतिक विरोधाभासी बयानबाजी के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी बिहार लौट रहे हैं. ऐसे में बिहार सरकार पर प्रवासियों की आर्थिक मदद के साथ-साथ उन्हें स्वस्थ रखते हुए बिहार में ही रोजगार मुहैया कराने का दबाव भी है. पिछले साल भी प्रवासी बिहारियों को बिहार में रोजगार देने का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठा था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बिहार सरकार किस हद तक बाहर से आ रहे लोगों को बिहार में रोजगार मुहैया करा पाती है.

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बता दें कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत 2020-21 में 18 करोड़ 1 लाख 70 हजार 980 मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया था. 14 करोड़ 17 लाख 26 हजार 850(69.31%) मानव दिवस का सृजन किया गया.

Last Updated : Apr 21, 2021, 10:39 PM IST
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