पटना: 17 फरवरी से हड़ताल पर गए नियोजित शिक्षक अब अपने परिवार के साथ धरने पर बैठेंगे. समान काम और समान वेतन की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे शिक्षकों का आक्रोश सरकार की कार्रवाई के बाद और बढ़ गया है. दूसरी तरफ सरकार उनसे किसी तरह की वार्ता न कर लगातार कार्रवाई कर रही है.
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर बुधवार को दसवें दिन भी बिहार के सभी शिक्षक हड़ताल पर रहे. वहीं, जिन शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में प्रतिनियुक्त किया गया था, वो शिक्षक भी मूल्यांकन केंद्रों पर नहीं पहुंचे. शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के मीडिया प्रभारी मनोज कुमार ने बताया कि बिहार के 90 फीसदी से ज्यादा हाई स्कूल पूरी तरह बंद हैं, जबकि प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में शिक्षण कार्य पहले से ही ठप है. उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक हम आंदोलन जारी रखेंगे. मनोज कुमार ने कहा कि सरकार जब तक सम्मानजनक समझौता नहीं करती और बर्खास्तगी का दंश झेल रहे शिक्षकों पर कार्रवाई वापस नहीं लेती, तब तक शिक्षक पीछे नहीं हटने वाले.
27 फरवरी को पूरे बिहार के सभी प्रखंडों में शिक्षक अपने पूरे परिवार के साथ मांगों के समर्थन में धरना पर बैठेंगे. 1 मार्च को सभी शिक्षक अपने अपने क्षेत्र में विधायक के आवास पर धरना देंगे और अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन भी सौंपेंगे.- मनोज कुमार, मीडिया प्रभारी, शिक्षक संघ
समान काम, समान वेतन की मांग
मई 2019 में बिहार के करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को झटका देते हुये सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया था, जिसमें नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की अपील मंजूर कर ली थी.
समान कार्य के लिए समान वेतन देने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने 11 याचिकाएं दायर की थी. इस मामले में केंद्र सरकार समर्थन भी मिला था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद साफ हो गया था कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के आधार पर समान वेतन नहीं मिलेगा.
बिहार सरकार को मिला केंद्र का साथ
केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36 पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.