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दीघा रेल ब्रिज का दोहरीकरण का कार्य जल्द होगा पूरा, पटना से कई शहरों का सफर होगा आसान - Digha Rail Bridge

दीघा रेल ब्रिज (Digha Rail Bridge) के बन जाने से पटना के साथ सोनपुर, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी एवं बेतिया का सफर सुगम हो जाएगा. इसका निर्माण जल्द ही पूरा हो जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

दीघा रेल ब्रिज
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Published : Dec 13, 2021, 10:08 AM IST

पटनाः पाटलिपुत्र से पहलेजाघाट के बीच विद्युतीकरण (Patliputra Peheljaghat Doubling Project) सहित दोहरीकरण का कार्य तेज गति से जारी है. इस दोहरीरकण परियोजना को चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. लगभग 11.50 किलोमीटर लंबे पाटलिपुत्र-पहलेजाघाट दोहरीकरण परियोजना की स्वीकृति 159 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वर्ष 2016-17 में प्रदान की गई थी.

इसे भी पढ़ें- जमालपुर में रेल ओवरब्रिज निर्माण कार्य जारी, निरीक्षण के दौरान सुरक्षा उपायों की अनदेखी से श्रम अधीक्षक नाराज

यह पुल उत्तरी छोर पर, छपरा-हाजीपुर लाइन को परमानंदपुर एवं सोनपुर स्टेशन से होते हुए एवं दक्षिणी छोर पर, दिल्ली-हावड़ा लाइन को फुलवारीशरीफ एवं दानापुर स्टेशन होते हुए जोड़ती है. पुल के उत्तरी छोर पर पहलेजाघाट स्टेशन एवं दक्षिणी छोर पर पाटलिपुत्र स्टेशन बनाया गया है.

पुल के दोहरीकरण पूरा हो जाने के बाद पटना के आस-पास उत्तरी बिहार के शहरों जैसे सोनपुर, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी एवं बेतिया इत्यादि के लिए यात्री एवं माल यातायात और अधिक सुगम हो जायेगा. यह तमाम जानकारी पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने राजेश कुमार ने दिया उन्होंने कहा कि काम अंतिम पड़ाव में है.

इसे भी पढ़ें- हाल-ए-मुंगेर रेलवे स्टेशन: नहीं है स्थाई TC, 5 साल में एक करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान

उत्तर व दक्षिण बिहार को रेल से लिंक करने के लिए रेल पुल की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए साल 1997-98 में 600 करोड़ रूपए की लागत से पटना में गंगा नदी पर रेल पुल का कार्य स्वीकृत किया गया था. इसके बाद राइट्स ने 2001 में डीपीआर प्रस्तुत किया और सीसीईए की मंजूरी उसी वर्ष 05.11.2001 को प्राप्त की गई. पुनः रेलवे बोर्ड द्वारा दिनांक 07.01.2002 को इस पुल के निर्माण के लिए 624.47 करोड़ स्वीकृत किए गए.

इस बीच महात्मा गांधी सेतु के विकल्प के रूप में 2006-07 में रेल पुल के कार्य का दायरा बढ़ाकर रेल सह सड़क पुल में परिणत कर दिया गया. इसकी अनुमानित लागत 1389 करोड़ निर्धारित की गई, जिसमें रेलवे का हिस्सा 835 करोड़ और रोड शेयर के रूप में 554 करोड़ की राशि तय की गई.

इस लागत को एक बार फिर संशोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के द्वारा दिनांक 12.03.2012 को संशोधित लागत 2921.46 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई. जिसमें रेलवे का हिस्सा 1681.36 करोड़ रूपए और 1240.09 करोड़ रूपए रोड शेयर के रूप में तय की गई.

बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के द्वारा 03.02.2002 को इस पुल की आधारशिला रखी गयी थी. उसके बाद पुल के निर्माण कार्य में गति लाते हुए कार्य पूरा होने के बाद माननीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने वाली नई जीवन रेखा के रूप में नवनिर्मित रेल-सह-सड़क पुल, पटना के रेल भाग का दिनांक 12.03.2016 को लोकार्पण किया गया.

इसे भी पढ़ें- जमालपुर होकर चलेगी राजधानी एक्सप्रेस, समय सारणी का हुआ निर्धारण

सड़क संपर्क 11 जून 2017 को चालू कर दिया गया और दीघा हॉल्ट स्टेशन का काम भी पूरा किया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय राज्य मंत्री राम कृपाल यादव ने 25.11.2017 को किया.

बता दें कि इस पुल में कुल 38 स्पैन हैं, जिनमें 36 स्पैन की लंबाई 123 मीटर है और शेष 2 स्पैन की लंबाई 64 मीटर है. इसकी लंबाई 4.56 किलोमीटर एवं नई रेल लाइन की कुल लंबाई 28.40 किलोमीटर है. दो लेन वाले इस पुल के रोड भाग की चौड़ाई 9.075 मीटर है. इसके दोनों ओर 1.5 मीटर चौड़े फुटपाथ का प्रावधान किया गया है.

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पटनाः पाटलिपुत्र से पहलेजाघाट के बीच विद्युतीकरण (Patliputra Peheljaghat Doubling Project) सहित दोहरीकरण का कार्य तेज गति से जारी है. इस दोहरीरकण परियोजना को चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. लगभग 11.50 किलोमीटर लंबे पाटलिपुत्र-पहलेजाघाट दोहरीकरण परियोजना की स्वीकृति 159 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वर्ष 2016-17 में प्रदान की गई थी.

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यह पुल उत्तरी छोर पर, छपरा-हाजीपुर लाइन को परमानंदपुर एवं सोनपुर स्टेशन से होते हुए एवं दक्षिणी छोर पर, दिल्ली-हावड़ा लाइन को फुलवारीशरीफ एवं दानापुर स्टेशन होते हुए जोड़ती है. पुल के उत्तरी छोर पर पहलेजाघाट स्टेशन एवं दक्षिणी छोर पर पाटलिपुत्र स्टेशन बनाया गया है.

पुल के दोहरीकरण पूरा हो जाने के बाद पटना के आस-पास उत्तरी बिहार के शहरों जैसे सोनपुर, हाजीपुर, छपरा, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी एवं बेतिया इत्यादि के लिए यात्री एवं माल यातायात और अधिक सुगम हो जायेगा. यह तमाम जानकारी पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने राजेश कुमार ने दिया उन्होंने कहा कि काम अंतिम पड़ाव में है.

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उत्तर व दक्षिण बिहार को रेल से लिंक करने के लिए रेल पुल की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए साल 1997-98 में 600 करोड़ रूपए की लागत से पटना में गंगा नदी पर रेल पुल का कार्य स्वीकृत किया गया था. इसके बाद राइट्स ने 2001 में डीपीआर प्रस्तुत किया और सीसीईए की मंजूरी उसी वर्ष 05.11.2001 को प्राप्त की गई. पुनः रेलवे बोर्ड द्वारा दिनांक 07.01.2002 को इस पुल के निर्माण के लिए 624.47 करोड़ स्वीकृत किए गए.

इस बीच महात्मा गांधी सेतु के विकल्प के रूप में 2006-07 में रेल पुल के कार्य का दायरा बढ़ाकर रेल सह सड़क पुल में परिणत कर दिया गया. इसकी अनुमानित लागत 1389 करोड़ निर्धारित की गई, जिसमें रेलवे का हिस्सा 835 करोड़ और रोड शेयर के रूप में 554 करोड़ की राशि तय की गई.

इस लागत को एक बार फिर संशोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के द्वारा दिनांक 12.03.2012 को संशोधित लागत 2921.46 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई. जिसमें रेलवे का हिस्सा 1681.36 करोड़ रूपए और 1240.09 करोड़ रूपए रोड शेयर के रूप में तय की गई.

बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के द्वारा 03.02.2002 को इस पुल की आधारशिला रखी गयी थी. उसके बाद पुल के निर्माण कार्य में गति लाते हुए कार्य पूरा होने के बाद माननीय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने वाली नई जीवन रेखा के रूप में नवनिर्मित रेल-सह-सड़क पुल, पटना के रेल भाग का दिनांक 12.03.2016 को लोकार्पण किया गया.

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सड़क संपर्क 11 जून 2017 को चालू कर दिया गया और दीघा हॉल्ट स्टेशन का काम भी पूरा किया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय राज्य मंत्री राम कृपाल यादव ने 25.11.2017 को किया.

बता दें कि इस पुल में कुल 38 स्पैन हैं, जिनमें 36 स्पैन की लंबाई 123 मीटर है और शेष 2 स्पैन की लंबाई 64 मीटर है. इसकी लंबाई 4.56 किलोमीटर एवं नई रेल लाइन की कुल लंबाई 28.40 किलोमीटर है. दो लेन वाले इस पुल के रोड भाग की चौड़ाई 9.075 मीटर है. इसके दोनों ओर 1.5 मीटर चौड़े फुटपाथ का प्रावधान किया गया है.

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