पटना: कांग्रेस संसदीय बोर्ड की ओर से सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. सोनिया गांधी के हाथों में पार्टी का कमान देने के बाद सियासत तेज हो गई है. विपक्ष जहां कांग्रेस पर निशाना साध रहा है. वहीं, कांग्रेस नेता गांधी परिवार को देश की सियासत के लिए जरुरी बता रहे हैं.
'गैर-गांधी परिवार का नेतृत्व स्वीकार नहीं'
प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि देश की आजादी में गांधी परिवार का अहम योगदान है. गांधी परिवार से बढ़कर किसी का योगदान नहीं रहा. गांधी परिवार पार्टी का संस्थापक है. आज भी कांग्रेस के नेता, कार्यकर्ता पार्टी की कमान राहुल, प्रियंका या सोनिया के हाथों में देखना चाहते हैं. गांधी परिवार से बाहर का नेतृत्व उन्हें स्वीकार नहीं है.
कांग्रेस की ताकत 'गांधी परिवार'
कौकब कादरी ने कहा कि गांधी परिवार कांग्रेस की ताकत है. तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ता गांधी परिवार के नेतृत्व में काम करना चाहते हैं. गांधी परिवार कांग्रेस के लिए मजबूरी है या मजबूती? इस सवाल पर कादरी ने कहा कि गांधी परिवार कांग्रेस ही नहीं बल्कि देश के लिए भी मजबूरी है.
राजद ने किया गांधी परिवार का बचाव
वहीं, सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने पर राजद ने स्वागत किया है. राजद के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रदेश महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि यह कांग्रेस का मसला है. राजद नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि कांग्रेस गांधी परिवार से बाहर आखिर क्यों जाए? बीजेपी और उनके सहयोगी दलों ने गांधी परिवार को कांग्रेस से बाहर करने का एजेंडा चला रखा है. ताकि उनकी लड़ाई और भी आसान हो जाए. राजद नेता ने कहा कि देश की भागीदारी में गांधी परिवार का अहम योगदान रहा है. मुख्य मुद्दे से भटकाने के लिए बीजेपी, गांधी परिवार पर हमला करती है.
बुरे दौर में पार्टी को उबार चुकी हैं सोनिया
गौरतलब है कि फिर से पार्टी की कमान सोनिया गांधी के हाथों में चली गई है. इससे पहले भी सोनिया पार्टी का नेतृत्व कर चुकी हैं. पहली बार 1998 में पार्टी अध्यक्ष बनी थी. बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को 2004 से 2014 तक सत्ता में काबिज कराया था. हालांकि इस बार उनकी नियुक्ति स्थायी नहीं है. पार्टी को स्थायी अध्यक्ष मिलने तक पार्टी का नेतृत्व उनके हाथों में रहेगा.