पटना: बिहार में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 33 हजार को पार कर गया है. हर दिन करीब डेढ़ हजार नए मामले सामने आ रहे हैं. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद संक्रमण की दर कंट्रोल में आती नजर नहीं आ रही है. कई प्रमुख नेता, डॉक्टर और बड़ी संख्या में आम लोग कोरोना वायरस से जिंदगी की जंग हार चुके हैं. इस बीच विपक्ष ने सरकार की मॉनसून सत्र बुलाने की घोषणा पर सवाल खड़े किए हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो पाएगा पालन
बिहार विधान मंडल का मानसून सत्र 3 अगस्त से 6 अगस्त के बीच बुलाया गया है. पिछला सत्र लॉकडाउन की वजह से पूरा नहीं चल पाया था. इसे बीच में ही खत्म करना पड़ा था. एक बार फिर इस पर संकट के बादल गहरा रहे हैं, क्योंकि विपक्ष ने सवाल किया है कि जब संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हो रही है और बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हो रहे हैं. सरकार ने लॉकडाउन लगाया है, तो फिर चुनाव और उसके पहले सत्र की क्या जल्दी है, क्योंकि सत्र में किसी भी हाल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा.
'जिंदगी बचाने का करना चाहिए प्रयास'
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि जिस तरह से बीजेपी के नेता सुनील सिंह हाल में कोरोना संक्रमण के कारण जान गवा बैठे और बड़ी संख्या में डॉक्टर भी इस के शिकार हुए हैं. ऐसे में पहले सरकार को लोगों की जिंदगी बचाने का प्रयास करना चाहिए ना कि चुनाव और विधानमंडल सत्र का. इधर राजद अपने पत्ते नहीं खोल रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के नेता विधानमंडल सत्र को सरकार को घेरने का एक बेहतरीन मौका मान रहे हैं.
'कांग्रेस का सवाल उठाना उचित नहीं'
बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने कांग्रेस नेता के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही का अपना नियमन होता है. सभापति सत्र से पहले सभी दलों के साथ बैठक करते हैं और सर्वसम्मति से फैसला होता है. ऐसे में कांग्रेस का इस तरह का सवाल उठाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कोई परेशानी है, तो सभापति के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए.
सरकार ने की है अलग व्यवस्था
बता दें कि 3 अगस्त से 6 अगस्त के बीच होने वाले मानसून सत्र के लिए सरकार ने अलग व्यवस्था की है. विधान परिषद की कार्यवाही को विधानसभा में और विधानसभा की कार्यवाही को बिहार विधान मंडल के सेंट्रल हॉल में आयोजित करने की तैयारी हो रही है, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. लेकिन बड़ी संख्या में सदस्यों के एक साथ आने पर सोशल डिस्टेंसिंग का कितना पालन हो पाएगा यह बड़ा सवाल है.