नई दिल्ली/पटनाः कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रंजीत रंजन (Former MP Ranjeet Ranjan Advice to CM Nitish) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार में बीजेपी और जदयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. नीतीश कुमार बिहार के हित के लिए जो भी मुद्दे उठाते हैं, बीजेपी उसके खिलाफ में रहती है. नीतीश के मुद्दों का बीजेपी विरोध करती है. ऐसी परिस्थिति में नीतीश को बीजेपी से गठबंधन तोड़ (Congress Offer To CM Nitish) देना चाहिए.
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रंजीत रंजन ने कहा कि शराबबंदी, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, जातीय जनगणना, पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने आदि मुद्दों पर बीजेपी नीतीश कुमार के विरोध में है. अगर नीतीश कुमार को लगता है कि जनता इन मुद्दों पर उनके साथ है तो बीजेपी से गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ें या हम लोगों के (Offer To CM Nitish Form Government with Mahagathbandhan) साथ आएं.
रंजीत रंजन ने महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऑफर दिया. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर हमलोग बिहार में मिलकर काम करेंगे. अगर इन मुद्दों पर मतभेद होने के बाद भी नीतीश कुमार BJP के साथ बने रहेंगे तो यही लगेगा कि दोनों दल सिर्फ सत्ता के लिए साथ हैं.
बता दें शराबबंदी को जदयू व खुद सीएम नीतीश ऐतिहासिक फैसला बताते हैं लेकिन बीजेपी के कुछ नेता इसे हटाने की मांग कर रहे हैं. यह इसलिए क्योंकि आए दिन बिहार में शराब बरामद होने की खबरें आती हैं. जहरीली शराब के कारण कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं. आरोप है कि दूसरे राज्यों से लाकर बिहार में शराब बेची जाती है.
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार केन्द्र से लगातार कर रहे हैं. इसकी मांग तो तब और तेज हो गई जब नीति आयोग के द्वारा जारी रिपोर्ट में बिहार को गरीब, पिछड़ा हुआ दिखाया गया. लेकिन बीजेपी इसके पक्ष में नहीं है. बीजेपी ने कहा है कि केंद्र सरकार बिहार को विशेष पैकेज दी है. विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान यूपीए के शासनकाल में खत्म कर दिया गया था.
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जातीय जनगणना कराने की मांग भी नीतीश कुमार केंद्र सरकार से की थी, लेकिन संसद में केंद्र सरकार ने कहा कि आजादी के बाद से केंद्र की किसी सरकार ने जाति आधारित जनगणना नहीं कराई. यह करा पाना संभव नहीं है. हालांकि, नीतीश कुमार ऐलान कर चुके हैं कि ऐसी स्थिति में राज्य सरकार अपने खर्चे पर जातीय जनगणना कराएगी. इसमें भी बीजेपी उनका समर्थन नहीं कर रही है. पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग को भी केंद्र सरकार ठुकरा चुकी है.
बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है. राजद, कांग्रेस और वामदलों को मिलाकर महागठबंधन के पास 110 विधायक हैं. राजनीति संभावनाओं का खेल है. अगर नीतीश महागठबंधन में आते हैं तो प्रचंड बहुमत वाली सरकार बिहार में बनेगी. जदयू के पास कुल 45 विधायक हैं. दूसरी तरफ बिहार में हुए विधानसभा उपचुनाव से पहले ही राजद और कांग्रेस का गठबंधन टूट गया था लेकिन संभावना जताई जा रही है कि नए साल में दोनों दल फिर से साथ आ जाएंगे.
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