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PM ने नकार दिया तो क्या हुआ? बिहार सरकार अपने खर्चे से कराए जातीय जनगणना: कांग्रेस

बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर एक बार फिर सियासी बवंडर खड़ा होना शुरू हो गया है. केन्द्र सरकार के जाति आधारित जनगणना नहीं कराने के फैसले के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने सवाल उठाए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

अजीत शर्मा
अजीत शर्मा
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Published : Sep 24, 2021, 3:51 PM IST

पटनाः केन्द्र सरकार (Central Government) के द्वारा जातीय जनगणना (Caste Census) नहीं कराने का फैसला आने के बाद बिहार में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने जातीय जनगणना कराने से साफ इनकार कर दिया तो बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं.

इसे भी पढे़ं- नीतीश-तेजस्वी को मोदी का झटका, केंद्र सरकार नहीं कराएगी जातीय जनगणना

अजीत शर्मा ने कहा कि हम लोगों ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. साथ ही इसकी जरूरत भी बताया था. उस दौरान प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को गौर से सुना भी था लेकिन पता नहीं क्या हुआ जो केन्द्र सरकार ने इससे साफ इंकार कर दिया.

देखें वीडियो

"जातिगत जनगणना के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए प्रधानमंत्री को हमलोग एक पत्र लिखेंगे. बिहार के परिपेक्ष्य में जातीय जनगणना जरूरी है. जब तक यह पता नहीं चलेगा कि समाज के किस वर्ग की आर्थिक स्थिति क्या है, तब तक उन वर्गों को योजनाओं को समुचित लाभ नहीं मिल सकेगा."- अजीत शर्मा, नेता, कांग्रेस विधायक दल

इसे भी पढे़ं- जातीय जनगणना का लालू ने किया समर्थन, कहा- नीतियां और बजट बनाने में मिलेगी मदद

जब उनसे यह पूछा गया कि जब केन्द्र ने साफ मना कर दिया है तब अब आप क्या करेंगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य के खर्चे पर जातिगत जनगणना कराने की मांग करते हैं. क्योंकि अभी राज्य के गरीबों के विकास के लिए यह पता करना जरूरी है कि वे किस जाति के हैं. ताजा आंकड़ों के आधार पर ही योजनाएं बन सकेंगी और इसके बाद हर तबके का इसका पूरा लाभ मिल सकेगा.

बता दें कि बिहार सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों पीएम मोदी से मुलाकात कर बिहार सहित देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. जिसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दें.

इसे भी पढे़ं- जातीय जनगणना पर PM की ओर से जवाब आया? CM नीतीश ने बताया

इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

पटनाः केन्द्र सरकार (Central Government) के द्वारा जातीय जनगणना (Caste Census) नहीं कराने का फैसला आने के बाद बिहार में एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. मोदी सरकार ने जातीय जनगणना कराने से साफ इनकार कर दिया तो बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं.

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अजीत शर्मा ने कहा कि हम लोगों ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. साथ ही इसकी जरूरत भी बताया था. उस दौरान प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को गौर से सुना भी था लेकिन पता नहीं क्या हुआ जो केन्द्र सरकार ने इससे साफ इंकार कर दिया.

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"जातिगत जनगणना के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए प्रधानमंत्री को हमलोग एक पत्र लिखेंगे. बिहार के परिपेक्ष्य में जातीय जनगणना जरूरी है. जब तक यह पता नहीं चलेगा कि समाज के किस वर्ग की आर्थिक स्थिति क्या है, तब तक उन वर्गों को योजनाओं को समुचित लाभ नहीं मिल सकेगा."- अजीत शर्मा, नेता, कांग्रेस विधायक दल

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जब उनसे यह पूछा गया कि जब केन्द्र ने साफ मना कर दिया है तब अब आप क्या करेंगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य के खर्चे पर जातिगत जनगणना कराने की मांग करते हैं. क्योंकि अभी राज्य के गरीबों के विकास के लिए यह पता करना जरूरी है कि वे किस जाति के हैं. ताजा आंकड़ों के आधार पर ही योजनाएं बन सकेंगी और इसके बाद हर तबके का इसका पूरा लाभ मिल सकेगा.

बता दें कि बिहार सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों पीएम मोदी से मुलाकात कर बिहार सहित देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. जिसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दें.

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इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

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