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Opposition Unity: विपक्षी एकता पर कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है, सॉल्यूशन कुछ पता नहीं.. - ईटीवी भारत न्यूज

बीजेपी के खिलाफ मिशन 2024 के लिए विपक्षी दलों की 12 जून को पटना में बैठक होने जा रही है. बैठक में अधिकांश दलों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निमंत्रण भेजा है लेकिन बैठक में कौन आएंगे, कौन नहीं आएंगे. अभी तक इस पर संशय बना हुआ है. राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के आने की स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन जिस प्रकार से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह बयान दे रहे हैं. उससे लग रहा है आने की संभावना नहीं है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 4, 2023, 8:39 PM IST

विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को पटना में बैठक

पटना: मिशन 2024 के तहत 12 जून को पटना के ज्ञान भवन में बैठक बुलाई गई है. इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी आने को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है. केसीआर और नवीन पटनायक के साथ मायावती को निमंत्रण नहीं भेजा गया है, तो वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अपनी व्यस्तता के कारण 12 जून को आने में असमर्थता जताई है. अब ऐसे में सवाल है कि 12 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक का क्या भविष्य होगा?

ये भी पढ़ें: Opposition Unity: बोली आरजेडी- 'एकजुटता से घबरा गई BJP'.. बीजेपी का पलटवार- 'बैठक महज पिकनिक पार्टी'

गेस्ट हाउस और होटलों में की जा रही व्यवस्था: नीतीश कुमार बैठक की तैयारी कर रहे हैं अपने पार्टी के शीर्ष नेताओं को इसमें लगाया है. स्टेट गेस्ट हाउस से लेकर होटलों तक में व्यवस्था की गई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि जिस मकसद से नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बैठक बुलाई है. वह पूरा हो रहा है या नहीं और पूरा होगा तो कैसे. यह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि अभी तक विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की तरफ से आने की पुष्टि नहीं की गई है.

केसीआर, नवीन पटनायक और मायावती को नहीं मिला निमंत्रण: जदयू नेताओं की तरफ से जो जानकारी मिल रही है. उसमें अधिकांश दलों को निमंत्रण भेजा गया है और मुख्यमंत्री ने एक-एक कर सभी विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत भी की है. अधिकांश दल इस बैठक में शामिल होंगे, लेकिन कौन नेता आएंगे यह उस दल का फैसला होगा. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने जानकारी दी है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती को बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है.

केसीआर ने पहले ही दे दिया था संकेत: केसीआर पहले थर्ड फ्रंट के लिए अभियान चला रहे थे, लेकिन उन्होंने इस अभियान से अपना हाथ पीछे खींच लिया है. केसीआर के बेटे केटीआर का बयान आया है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाने से कुछ होने वाला नहीं है. इसीलिए तेलंगाना विकास मॉडल को लेकर हम लोग आगे चलेंगे. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पिछले साल पटना भी आए थे और नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी. उसी समय यह तय हो गया था कि नीतीश कुमार के साथ वह आगे नहीं जाने वाले हैं और इसलिए विपक्षी दलों की पटना में होने वाली बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है.

नवीन पटनायक भी अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने साफ कर दिया है. पहले की तरह अपने दम पर ओडिशा में चुनाव लड़ेंगे. किसी फ्रंट की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार ओडिशा जाकर ऐसे नवीन पटनायक से मुलाकात की थी, लेकिन कोई बात नहीं बनी और इसलिए नवीन पटनायक को भी बैठक में नहीं बुलाया गया. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती से तो नीतीश कुमार ने मुलाकात भी नहीं की और मायावती विपक्षी एकजुटता के साथ दिख नहीं रही हैं और इसीलिए मायावती को भी विपक्षी दलों की बैठक में नहीं बुलाया गया है.

स्टालिन का पहले से कार्यक्रम तय: वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने 12 जून को व्यस्त होने के कारण बैठक में आने में असमर्थता जताई है. स्टालिन का पहले से कार्यक्रम तय है और उन्होंने 12 जून का समय बढ़ाने की भी सलाह दी, लेकिन अब जब बैठक हो रही है तो उनके पार्टी के नेता जरूर शामिल होंगे. जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में आने की बात जरूर कही है तो वहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से भी बैठक में लोग शामिल होंगे. शरद पवार और अखिलेश यादव भी बैठक में आ सकते हैं.

राहुल गांधी, खरगे और केजरीवाल पर नजर: सबकी नजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के आला नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे पर लगी है. अब ऐसी जानकारी मिल रही है कि न तो राहुल गांधी आ रहे हैं और ना ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे. केजरीवाल को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से कोई ना कोई नेता जरूर इस बैठक में शामिल होंगे. राहुल गांधी की बात करें तो इन दिनों विदेश दौरे पर हैं. अमेरिका में उनका कार्यक्रम चल रहा है. इंडिया लौटने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे का 12 जून को पहले से कार्यक्रम तय है. ऐसे में उनके आने की संभावना भी कम है.

केजरीवाल ने फेंका है अध्यादेश के खिलाफत का पेच: अब हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात कर लेते हैं. अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों की एकजुटता की मुहिम में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं. फिलहाल दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लाया है. उसको लेकर विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में लगे हैं. बैठक में केजरीवाल आएंगे या नहीं स्पष्ट नहीं है, क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक उन्हें अध्यादेश को लेकर समर्थन देने की बात नहीं कही है. पेच यहीं फंस रहा है.

ऐसे में यदि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, महाराष्ट्र के एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आ भी जाती हैं तो बैठक में बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा फैसला होगा इसकी संभावना कम है. बिहार में पहले से ही कांग्रेस के साथ महागठबंधन काम कर रहा है. झारखंड में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन है. दोनों जगह सरकार में भी कांग्रेस शामिल है. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन है.

सीटों का बंटवारा बड़ा मुद्दा: अब चुनौती पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली, केरल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना को लेकर है. यहां कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दलों का सीधा मुकाबला है. इन राज्यों में फिलहाल कांग्रेस की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है और इसीलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि कांग्रेस इन राज्यों में जो भी विपक्ष मजबूत हैं उसको मदद करें. राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की मुहिम में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा, कॉमन एजेंडा और चेहरा एक बड़ा मुद्दा है और इसके कारण विपक्षी एकजुटता एक टेढ़ी खीर है.

अन्य विपक्षी दलों के लिए कांग्रेस को सीट छोड़ने की होगी बात: अरुण पांडे का यह भी कहना है कि पटना में होने वाली बैठक में कांग्रेस से अपील की जाएगी कि जिन राज्यों में विपक्षी दल मजबूत है. उनका समर्थन करें और कुल मिलाकर ढाई सौ के करीब सीट होगा, जिसे कांग्रेस को छोड़ने के लिए कहा जाएगा और इसी कारण विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि नीतीश कुमार का सपना सपना रह जाएगा. क्योंकि विपक्षी एकजुटता की बैठक में विपक्षी दलों के किसी भी बड़े नेता के आने की अब तक पुष्टि नहीं हुई है.

"पटना में होने वाली बैठक में कांग्रेस से अपील की जाएगी कि जिन राज्यों में विपक्षी दल मजबूत है. उनका समर्थन करें और कुल मिलाकर ढाई सौ के करीब सीट होगा, जिसे कांग्रेस को छोड़ने के लिए कहा जाएगा और इसी कारण विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं" - अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

नीतीश कुमार का हाल चंद्रबाबू नायडु वाला: बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी दलों को पता है 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी तरह का प्रयास किया था. उनका क्या हाल हो गया. सबके सामने हैं ऐसे में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने की संभावना कम है. 12 जून को होने वाली बैठक को लेकर जदयू और महागठबंधन के अन्य घटक दल के नेता लगातार सफलता की बात कर रहे हैं और पूरे देश में इससे मैसेज जाएगा यह भी बोल रहे हैं.

"नीतीश कुमार का सपना सपना रह जाएगा. क्योंकि विपक्षी एकजुटता की बैठक में विपक्षी दलों के किसी भी बड़े नेता के आने की अब तक पुष्टि नहीं हुई है. विपक्षी दलों को पता है 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी तरह का प्रयास किया था. उनका क्या हाल हो गया. सबके सामने हैं ऐसे में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने की संभावना कम है" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं के आने का दावा: जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा था कि अधिकांश दलों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आमंत्रण भेजा है. विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से फोन पर भी बातचीत मुख्यमंत्री ने की है. अब दल की ओर से तय होगा कि कौन नेता आएंगे. जदयू प्रवक्ता हिमराज राम का कहना है कि मुख्यमंत्री विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रही है. राज्यों में जाकर खुद मिले हैं अब 12 जून के महा जुटान में जो भी दल बीजेपी मुक्त भारत चाहते हैं जरूर शामिल होंगे.

"मुख्यमंत्री विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रही है. राज्यों में जाकर खुद मिले हैं अब 12 जून के महा जुटान में जो भी दल बीजेपी मुक्त भारत चाहते हैं जरूर शामिल होंगे" - हिमराज राम, प्रवक्ता, जेडीयू
सात राज्यों में बीजेपी को झटका देने पर होगी बात: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में विपक्षी दलों की बैठक के माध्यम से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, ओडिशा में ढाई सौ सीटों में बीजेपी को झटका दिया जाए. इसके अलावा पंजाब की 13 सीटों पर भी बीजेपी को नुकसान पहुंचाया जाए, यही कोशिश है. क्योंकि अभी 6 राज्यों में जहां ढाई सौ से अधिक सीटें हैं. बीजेपी का 168 पर सीटों पर कब्जा है और कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब है. बैठक में इस पर सफलता मिलती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.

सात राज्यों में लोकसभा सीटों पर बीजेपी की बढ़त: उत्तर प्रदेश में कुल 80 सीट पर एनडीए के खाते में 64 और अन्य विपक्षी दलों के पास 16 सीट है. वहीं महाराष्ट्र के कुल 48 सीटों में बीजेपी के खाते में 37 और विपक्षी दलों 11 सीटों पर हैं. बिहार में कुल 40 सीट में 23 बीजेपी के पास और 11 अन्य विपक्षी दलों के खाते में है. उसी तरह बंगाल में कुल 42 सीटों में 18 पर बीजेपी और 24 पर विपक्षी दल काबिज हैं. ओडिशा में भी 21 सीटों में से 8 पर बीजेपी और 13 सीटों पर अन्य विपक्षी दल हैं. झारखंड में 14 लोकसभा में 11 पर बीजेपी और तीन पर अन्य विपक्षी दल हैं. इसी तरह दिल्ली में सात लोकसभा सीटों में सभी पर बीजेपी काबिज है. इस तरह से इन राज्यों में कुल 252 सीटों में 168 बीजेपी के खाते में है और बाकी 84 विपक्षी दलों के पास.

12 जून की बैठक पर सबकी नजर: विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने को लेकर जो संशय बना हुआ है. उसी कारण पटना में होने वाली विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक की सफलता पर अभी से संदेह जताया जा रहा है. ऐसे बिहार में जदयू और आरजेडी नेताओं को बहुत उम्मीद है और दोनों दलों का दावा भी है कि पूरे देश में 12 जून को होने वाली बैठक से एक बड़ा मैसेज आएगा और इस बैठक के कारण ही बीजेपी में बेचैनी है. ऐसे में अब 12 जून पर सबकी नजर है.

विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को पटना में बैठक

पटना: मिशन 2024 के तहत 12 जून को पटना के ज्ञान भवन में बैठक बुलाई गई है. इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी आने को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है. केसीआर और नवीन पटनायक के साथ मायावती को निमंत्रण नहीं भेजा गया है, तो वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अपनी व्यस्तता के कारण 12 जून को आने में असमर्थता जताई है. अब ऐसे में सवाल है कि 12 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक का क्या भविष्य होगा?

ये भी पढ़ें: Opposition Unity: बोली आरजेडी- 'एकजुटता से घबरा गई BJP'.. बीजेपी का पलटवार- 'बैठक महज पिकनिक पार्टी'

गेस्ट हाउस और होटलों में की जा रही व्यवस्था: नीतीश कुमार बैठक की तैयारी कर रहे हैं अपने पार्टी के शीर्ष नेताओं को इसमें लगाया है. स्टेट गेस्ट हाउस से लेकर होटलों तक में व्यवस्था की गई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि जिस मकसद से नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बैठक बुलाई है. वह पूरा हो रहा है या नहीं और पूरा होगा तो कैसे. यह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि अभी तक विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की तरफ से आने की पुष्टि नहीं की गई है.

केसीआर, नवीन पटनायक और मायावती को नहीं मिला निमंत्रण: जदयू नेताओं की तरफ से जो जानकारी मिल रही है. उसमें अधिकांश दलों को निमंत्रण भेजा गया है और मुख्यमंत्री ने एक-एक कर सभी विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत भी की है. अधिकांश दल इस बैठक में शामिल होंगे, लेकिन कौन नेता आएंगे यह उस दल का फैसला होगा. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने जानकारी दी है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती को बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है.

केसीआर ने पहले ही दे दिया था संकेत: केसीआर पहले थर्ड फ्रंट के लिए अभियान चला रहे थे, लेकिन उन्होंने इस अभियान से अपना हाथ पीछे खींच लिया है. केसीआर के बेटे केटीआर का बयान आया है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाने से कुछ होने वाला नहीं है. इसीलिए तेलंगाना विकास मॉडल को लेकर हम लोग आगे चलेंगे. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पिछले साल पटना भी आए थे और नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी. उसी समय यह तय हो गया था कि नीतीश कुमार के साथ वह आगे नहीं जाने वाले हैं और इसलिए विपक्षी दलों की पटना में होने वाली बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है.

नवीन पटनायक भी अपने दम पर लड़ेंगे चुनाव: ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने साफ कर दिया है. पहले की तरह अपने दम पर ओडिशा में चुनाव लड़ेंगे. किसी फ्रंट की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार ओडिशा जाकर ऐसे नवीन पटनायक से मुलाकात की थी, लेकिन कोई बात नहीं बनी और इसलिए नवीन पटनायक को भी बैठक में नहीं बुलाया गया. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती से तो नीतीश कुमार ने मुलाकात भी नहीं की और मायावती विपक्षी एकजुटता के साथ दिख नहीं रही हैं और इसीलिए मायावती को भी विपक्षी दलों की बैठक में नहीं बुलाया गया है.

स्टालिन का पहले से कार्यक्रम तय: वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने 12 जून को व्यस्त होने के कारण बैठक में आने में असमर्थता जताई है. स्टालिन का पहले से कार्यक्रम तय है और उन्होंने 12 जून का समय बढ़ाने की भी सलाह दी, लेकिन अब जब बैठक हो रही है तो उनके पार्टी के नेता जरूर शामिल होंगे. जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में आने की बात जरूर कही है तो वहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से भी बैठक में लोग शामिल होंगे. शरद पवार और अखिलेश यादव भी बैठक में आ सकते हैं.

राहुल गांधी, खरगे और केजरीवाल पर नजर: सबकी नजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के आला नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे पर लगी है. अब ऐसी जानकारी मिल रही है कि न तो राहुल गांधी आ रहे हैं और ना ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे. केजरीवाल को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से कोई ना कोई नेता जरूर इस बैठक में शामिल होंगे. राहुल गांधी की बात करें तो इन दिनों विदेश दौरे पर हैं. अमेरिका में उनका कार्यक्रम चल रहा है. इंडिया लौटने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे का 12 जून को पहले से कार्यक्रम तय है. ऐसे में उनके आने की संभावना भी कम है.

केजरीवाल ने फेंका है अध्यादेश के खिलाफत का पेच: अब हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात कर लेते हैं. अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों की एकजुटता की मुहिम में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं. फिलहाल दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लाया है. उसको लेकर विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में लगे हैं. बैठक में केजरीवाल आएंगे या नहीं स्पष्ट नहीं है, क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक उन्हें अध्यादेश को लेकर समर्थन देने की बात नहीं कही है. पेच यहीं फंस रहा है.

ऐसे में यदि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, महाराष्ट्र के एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आ भी जाती हैं तो बैठक में बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा फैसला होगा इसकी संभावना कम है. बिहार में पहले से ही कांग्रेस के साथ महागठबंधन काम कर रहा है. झारखंड में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन है. दोनों जगह सरकार में भी कांग्रेस शामिल है. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन है.

सीटों का बंटवारा बड़ा मुद्दा: अब चुनौती पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली, केरल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना को लेकर है. यहां कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दलों का सीधा मुकाबला है. इन राज्यों में फिलहाल कांग्रेस की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है और इसीलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि कांग्रेस इन राज्यों में जो भी विपक्ष मजबूत हैं उसको मदद करें. राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की मुहिम में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा, कॉमन एजेंडा और चेहरा एक बड़ा मुद्दा है और इसके कारण विपक्षी एकजुटता एक टेढ़ी खीर है.

अन्य विपक्षी दलों के लिए कांग्रेस को सीट छोड़ने की होगी बात: अरुण पांडे का यह भी कहना है कि पटना में होने वाली बैठक में कांग्रेस से अपील की जाएगी कि जिन राज्यों में विपक्षी दल मजबूत है. उनका समर्थन करें और कुल मिलाकर ढाई सौ के करीब सीट होगा, जिसे कांग्रेस को छोड़ने के लिए कहा जाएगा और इसी कारण विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि नीतीश कुमार का सपना सपना रह जाएगा. क्योंकि विपक्षी एकजुटता की बैठक में विपक्षी दलों के किसी भी बड़े नेता के आने की अब तक पुष्टि नहीं हुई है.

"पटना में होने वाली बैठक में कांग्रेस से अपील की जाएगी कि जिन राज्यों में विपक्षी दल मजबूत है. उनका समर्थन करें और कुल मिलाकर ढाई सौ के करीब सीट होगा, जिसे कांग्रेस को छोड़ने के लिए कहा जाएगा और इसी कारण विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं" - अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

नीतीश कुमार का हाल चंद्रबाबू नायडु वाला: बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि विपक्षी दलों को पता है 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी तरह का प्रयास किया था. उनका क्या हाल हो गया. सबके सामने हैं ऐसे में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने की संभावना कम है. 12 जून को होने वाली बैठक को लेकर जदयू और महागठबंधन के अन्य घटक दल के नेता लगातार सफलता की बात कर रहे हैं और पूरे देश में इससे मैसेज जाएगा यह भी बोल रहे हैं.

"नीतीश कुमार का सपना सपना रह जाएगा. क्योंकि विपक्षी एकजुटता की बैठक में विपक्षी दलों के किसी भी बड़े नेता के आने की अब तक पुष्टि नहीं हुई है. विपक्षी दलों को पता है 2019 में चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी तरह का प्रयास किया था. उनका क्या हाल हो गया. सबके सामने हैं ऐसे में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने की संभावना कम है" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं के आने का दावा: जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा था कि अधिकांश दलों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आमंत्रण भेजा है. विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से फोन पर भी बातचीत मुख्यमंत्री ने की है. अब दल की ओर से तय होगा कि कौन नेता आएंगे. जदयू प्रवक्ता हिमराज राम का कहना है कि मुख्यमंत्री विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रही है. राज्यों में जाकर खुद मिले हैं अब 12 जून के महा जुटान में जो भी दल बीजेपी मुक्त भारत चाहते हैं जरूर शामिल होंगे.

"मुख्यमंत्री विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रही है. राज्यों में जाकर खुद मिले हैं अब 12 जून के महा जुटान में जो भी दल बीजेपी मुक्त भारत चाहते हैं जरूर शामिल होंगे" - हिमराज राम, प्रवक्ता, जेडीयू
सात राज्यों में बीजेपी को झटका देने पर होगी बात: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में विपक्षी दलों की बैठक के माध्यम से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, ओडिशा में ढाई सौ सीटों में बीजेपी को झटका दिया जाए. इसके अलावा पंजाब की 13 सीटों पर भी बीजेपी को नुकसान पहुंचाया जाए, यही कोशिश है. क्योंकि अभी 6 राज्यों में जहां ढाई सौ से अधिक सीटें हैं. बीजेपी का 168 पर सीटों पर कब्जा है और कांग्रेस की स्थिति बहुत ही खराब है. बैठक में इस पर सफलता मिलती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.

सात राज्यों में लोकसभा सीटों पर बीजेपी की बढ़त: उत्तर प्रदेश में कुल 80 सीट पर एनडीए के खाते में 64 और अन्य विपक्षी दलों के पास 16 सीट है. वहीं महाराष्ट्र के कुल 48 सीटों में बीजेपी के खाते में 37 और विपक्षी दलों 11 सीटों पर हैं. बिहार में कुल 40 सीट में 23 बीजेपी के पास और 11 अन्य विपक्षी दलों के खाते में है. उसी तरह बंगाल में कुल 42 सीटों में 18 पर बीजेपी और 24 पर विपक्षी दल काबिज हैं. ओडिशा में भी 21 सीटों में से 8 पर बीजेपी और 13 सीटों पर अन्य विपक्षी दल हैं. झारखंड में 14 लोकसभा में 11 पर बीजेपी और तीन पर अन्य विपक्षी दल हैं. इसी तरह दिल्ली में सात लोकसभा सीटों में सभी पर बीजेपी काबिज है. इस तरह से इन राज्यों में कुल 252 सीटों में 168 बीजेपी के खाते में है और बाकी 84 विपक्षी दलों के पास.

12 जून की बैठक पर सबकी नजर: विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के आने को लेकर जो संशय बना हुआ है. उसी कारण पटना में होने वाली विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक की सफलता पर अभी से संदेह जताया जा रहा है. ऐसे बिहार में जदयू और आरजेडी नेताओं को बहुत उम्मीद है और दोनों दलों का दावा भी है कि पूरे देश में 12 जून को होने वाली बैठक से एक बड़ा मैसेज आएगा और इस बैठक के कारण ही बीजेपी में बेचैनी है. ऐसे में अब 12 जून पर सबकी नजर है.

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