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बिहार के स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नदारद.. शिक्षकों की भी भारी कमी, कैसे मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा?

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Published : Mar 11, 2022, 10:44 PM IST

बिहार में सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है. शिक्षकों की कमी के साथ-साथ लचर व्यवस्था से छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है. ना स्कूलों के पास अपना भवन है और ना ही ठीक से बैठने की व्यवस्था. जबकि शिक्षा पर बिहार बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना में सरकारी स्कूलों का हाल
पटना में सरकारी स्कूलों का हाल

पटना: बिहार में बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. इसलिए हर साल बजट में बढ़ोतरी की जा रही है. इस बार भी 2022-23 के शिक्षा बजट में काफी बढ़ोतरी की गई है. इस बार का शिक्षा के लिए बजट 39,191.87 करोड़ रुपए का है. यह बजट का कुल 16.5 फीसदी है, लेकिन करोड़ों रुपए के बजट होने के बावजूद प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बदतर (Condition of Government Schools in Bihar) है. प्रदेश के काफी स्कूलों के पास भवन नहीं है. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

यह भी पढ़ें- नीतीश सरकार के 15 साल.. फिर भी शिक्षा बदहाल, कॉमन स्कूल सिस्टम से सुधरेगी व्यवस्था?

लाखों शिक्षकों का पद रिक्तः शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों की मानें, बिहार में सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. प्रदेश में शिक्षकों की लगभग 2.5 लाख रिक्तियां हैं. कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी है. प्रदेश का कोई ऐसा विद्यालय नहीं है, जिस विद्यालय में सभी विषयों के शिक्षक मौजूद हैं. राजधानी पटना का भी यही हाल है. शिक्षकों की कमी होने की वजह से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. मानक के अनुरूप प्रत्येक 30 छात्र पर एक शिक्षक होने चाहिए, लेकिन प्रदेश में यह अनुपात 56 छात्र पर एक शिक्षक का है. राजधानी पटना के रिहायशी इलाकों में भी चल रहे सरकारी विद्यालय भवन और शिक्षकों की घोर अभाव से जूझ रहे हैं. इस वजह से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं प्राप्त हो रही है.

केस नंबर- 1ः राजधानी पटना के वीआईपी इलाके एजी कॉलोनी में 1987 से मध्य विद्यालय चल रहा है. यहां कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. इस विद्यालय में 408 छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं. विद्यालय की शिक्षिका संध्या कुमारी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. विद्यालय में मात्र 2 कमरे हैं, जो जुगाड़ से बनाए गए हैं. हाल में एक नई शिक्षिका के ज्वाइन करने के बाद 5 शिक्षक हो गए हैं. शिक्षकों की कमी और भवन की कमी होने की वजह से एक क्लास में तीन से चार क्लास के बच्चों को बिठाकर पढ़ाना पड़ता है. ना शिक्षक सही से बच्चों को पढ़ा पाते हैं ना ही बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं.

केस नंबर- 2ः राजधानी पटना के वीरचंद पटेल पथ इलाके में मिलर हाई स्कूल कैंपस के बगल में बालक मध्य विद्यालय का भवन है. इसी कैंपस में 6 कमरे का एक बालिका मध्य विद्यालय है. वहीं तीन कमरे के एस्बेस्टस वाले भवन में 2 विद्यालय चलते हैं. एक विद्यालय बालक मध्य विद्यालय दूसरा विद्यालय है मध्य विद्यालय, मीठापुर, अशोक मार्केट. मध्य विद्यालय मीठापुर के प्रभारी प्राचार्य जय किशोर प्रसाद ने बताया कि उनका विद्यालय पहले जहां चला करता था, वहां बिहार म्यूजियम बना है.

जहां विद्यालय था वहां बन गया म्यूजियमः बिहार म्यूजियम बनाने के क्रम में मध्य विद्यालय मीठापुर को बालक मध्य विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया. जय किशोर प्रसाद ने बताया कि पहले जब उनका विद्यालय था, तो 12 कमरों में विद्यालय चला करता था लेकिन अब यह विद्यालय तीन कमरों के विद्यालय में शिफ्ट कर गया है. उनका स्कूल मॉर्निंग शिफ्ट में चलता है. वहीं बालक मध्य विद्यालय डे शिफ्ट में चलता है. उन्होंने बताया कि तपती धूप में बच्चे एस्बेस्टस के नीचे पढ़ते हैं. ऐसे में एस्बेस्टस के तव जाने पर बच्चों को काफी गर्मी महसूस होती है और तबीयत भी बिगड़ती है. उन्होंने कहा कि उनके विद्यालय में 600 बच्चे हैं और कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है और शिक्षकों की संख्या मात्र 10 है.

शिक्षकों की है कमीः उनके विद्यालय में संस्कृत और हिंदी के शिक्षक मौजूद नहीं है और शिक्षकों की भी काफी कमी है. उन्होंने कहा कि छात्रों की संख्या के अनुपात में देखें तो शिक्षकों की भी कमी है और विद्यालय में भवन की भी कमी है. इन दोनों मसलों को लेकर वह कई बार विभाग में पत्र लिख चुके हैं और यह भी मांग कर चुके हैं कि इसी कैंपस में एक बहुमंजिला भवन बना कर इस विद्यालय को इसी में शिफ्ट कर दिया जाए. कम से कम 10 कमरों की व्यवस्था कराई जाए, ताकि सभी क्लास अलग-अलग सेपरेट होकर चल सके. क्लासेज अलग-अलग चलेंगे तो एक शिक्षक को अधिक संख्या में छात्रों को पढ़ाने में भी सहूलियत होगी. यदि सभी विषयों के शिक्षक विद्यालय में उपलब्ध हो जाते हैं, तो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी.

अधिकारियों ने नहीं की मुलाकातः विद्यालयों में सभी विषयों के शिक्षक की कमी के मसले पर विभाग की तरफ से इस कमी को दूर करने के लिए नए सत्र से क्या कुछ प्रयास हो रहा है यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम शिक्षा विभाग पहुंची. अधिकारियों के विभाग में मौजूद रहते हुए अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाई. अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए कर्मचारी इधर से उधर भेजते रहें और जब प्राथमिक शिक्षा के निदेशक को पर्ची भिजवाई गई तो 1 घंटे तक उन्होंने पर्ची पर कोई संज्ञान नहीं लिया. कैमरे से दूर होने पर विद्यालयों के छात्र और शिक्षक खुलकर यह कहते दिखे कि सरकार सिर्फ दावे करती है घोषणाएं करती है लेकिन होता कुछ नहीं. अधिकारी कोई सुध नहीं लेते हैं. नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी समस्याओं का कोई संज्ञान नहीं लेते हैं. विद्यालय से जो कुछ भी डिमांड जाती है चाहे वह अच्छे भवन की हो या फिर विद्यालय में बेंच की व्यवस्था की या फिर विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने की, किसी पर भी अधिकारी कोई संज्ञान नहीं लेते हैं.

शिक्षकों के सातवें चरण की बहाली शुरूः वहीं प्रदेश में शिक्षकों की कमी के बीच शिक्षकों के सातवें चरण की बहाली शुरू हुई है. शिक्षा मंत्री की मानें तो बीते 1 महीने में प्रदेश में 41000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दी गई है और आने वाले दिनों में 50000 और शिक्षकों की बहाली होने वाली है. इसके अलावा शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह भी जानकारी दी है कि प्रदेश में 1000 कंप्यूटर टीचर और 3500 पदों पर फिजिकल टीचर की नियुक्ति किए जाएंगे. शिक्षा मंत्री की मानें तो आने वाले दिनों में प्रदेश में 40,000 से अधिक प्रधान शिक्षक और हाईस्कूल के लिए 6412 हेड मास्टर की बहाली की जाएगी और इसके लिए बीपीएससी की तरफ से वैकेंसी भी निकाल दी गई है, जिसके लिए अभ्यर्थी 18 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं.

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पटना: बिहार में बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. इसलिए हर साल बजट में बढ़ोतरी की जा रही है. इस बार भी 2022-23 के शिक्षा बजट में काफी बढ़ोतरी की गई है. इस बार का शिक्षा के लिए बजट 39,191.87 करोड़ रुपए का है. यह बजट का कुल 16.5 फीसदी है, लेकिन करोड़ों रुपए के बजट होने के बावजूद प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बदतर (Condition of Government Schools in Bihar) है. प्रदेश के काफी स्कूलों के पास भवन नहीं है. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

यह भी पढ़ें- नीतीश सरकार के 15 साल.. फिर भी शिक्षा बदहाल, कॉमन स्कूल सिस्टम से सुधरेगी व्यवस्था?

लाखों शिक्षकों का पद रिक्तः शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों की मानें, बिहार में सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. प्रदेश में शिक्षकों की लगभग 2.5 लाख रिक्तियां हैं. कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी है. प्रदेश का कोई ऐसा विद्यालय नहीं है, जिस विद्यालय में सभी विषयों के शिक्षक मौजूद हैं. राजधानी पटना का भी यही हाल है. शिक्षकों की कमी होने की वजह से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. मानक के अनुरूप प्रत्येक 30 छात्र पर एक शिक्षक होने चाहिए, लेकिन प्रदेश में यह अनुपात 56 छात्र पर एक शिक्षक का है. राजधानी पटना के रिहायशी इलाकों में भी चल रहे सरकारी विद्यालय भवन और शिक्षकों की घोर अभाव से जूझ रहे हैं. इस वजह से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं प्राप्त हो रही है.

केस नंबर- 1ः राजधानी पटना के वीआईपी इलाके एजी कॉलोनी में 1987 से मध्य विद्यालय चल रहा है. यहां कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. इस विद्यालय में 408 छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं. विद्यालय की शिक्षिका संध्या कुमारी ने बताया कि विद्यालय में शिक्षकों की घोर कमी है. विद्यालय में मात्र 2 कमरे हैं, जो जुगाड़ से बनाए गए हैं. हाल में एक नई शिक्षिका के ज्वाइन करने के बाद 5 शिक्षक हो गए हैं. शिक्षकों की कमी और भवन की कमी होने की वजह से एक क्लास में तीन से चार क्लास के बच्चों को बिठाकर पढ़ाना पड़ता है. ना शिक्षक सही से बच्चों को पढ़ा पाते हैं ना ही बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं.

केस नंबर- 2ः राजधानी पटना के वीरचंद पटेल पथ इलाके में मिलर हाई स्कूल कैंपस के बगल में बालक मध्य विद्यालय का भवन है. इसी कैंपस में 6 कमरे का एक बालिका मध्य विद्यालय है. वहीं तीन कमरे के एस्बेस्टस वाले भवन में 2 विद्यालय चलते हैं. एक विद्यालय बालक मध्य विद्यालय दूसरा विद्यालय है मध्य विद्यालय, मीठापुर, अशोक मार्केट. मध्य विद्यालय मीठापुर के प्रभारी प्राचार्य जय किशोर प्रसाद ने बताया कि उनका विद्यालय पहले जहां चला करता था, वहां बिहार म्यूजियम बना है.

जहां विद्यालय था वहां बन गया म्यूजियमः बिहार म्यूजियम बनाने के क्रम में मध्य विद्यालय मीठापुर को बालक मध्य विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया. जय किशोर प्रसाद ने बताया कि पहले जब उनका विद्यालय था, तो 12 कमरों में विद्यालय चला करता था लेकिन अब यह विद्यालय तीन कमरों के विद्यालय में शिफ्ट कर गया है. उनका स्कूल मॉर्निंग शिफ्ट में चलता है. वहीं बालक मध्य विद्यालय डे शिफ्ट में चलता है. उन्होंने बताया कि तपती धूप में बच्चे एस्बेस्टस के नीचे पढ़ते हैं. ऐसे में एस्बेस्टस के तव जाने पर बच्चों को काफी गर्मी महसूस होती है और तबीयत भी बिगड़ती है. उन्होंने कहा कि उनके विद्यालय में 600 बच्चे हैं और कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है और शिक्षकों की संख्या मात्र 10 है.

शिक्षकों की है कमीः उनके विद्यालय में संस्कृत और हिंदी के शिक्षक मौजूद नहीं है और शिक्षकों की भी काफी कमी है. उन्होंने कहा कि छात्रों की संख्या के अनुपात में देखें तो शिक्षकों की भी कमी है और विद्यालय में भवन की भी कमी है. इन दोनों मसलों को लेकर वह कई बार विभाग में पत्र लिख चुके हैं और यह भी मांग कर चुके हैं कि इसी कैंपस में एक बहुमंजिला भवन बना कर इस विद्यालय को इसी में शिफ्ट कर दिया जाए. कम से कम 10 कमरों की व्यवस्था कराई जाए, ताकि सभी क्लास अलग-अलग सेपरेट होकर चल सके. क्लासेज अलग-अलग चलेंगे तो एक शिक्षक को अधिक संख्या में छात्रों को पढ़ाने में भी सहूलियत होगी. यदि सभी विषयों के शिक्षक विद्यालय में उपलब्ध हो जाते हैं, तो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी.

अधिकारियों ने नहीं की मुलाकातः विद्यालयों में सभी विषयों के शिक्षक की कमी के मसले पर विभाग की तरफ से इस कमी को दूर करने के लिए नए सत्र से क्या कुछ प्रयास हो रहा है यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम शिक्षा विभाग पहुंची. अधिकारियों के विभाग में मौजूद रहते हुए अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाई. अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए कर्मचारी इधर से उधर भेजते रहें और जब प्राथमिक शिक्षा के निदेशक को पर्ची भिजवाई गई तो 1 घंटे तक उन्होंने पर्ची पर कोई संज्ञान नहीं लिया. कैमरे से दूर होने पर विद्यालयों के छात्र और शिक्षक खुलकर यह कहते दिखे कि सरकार सिर्फ दावे करती है घोषणाएं करती है लेकिन होता कुछ नहीं. अधिकारी कोई सुध नहीं लेते हैं. नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी समस्याओं का कोई संज्ञान नहीं लेते हैं. विद्यालय से जो कुछ भी डिमांड जाती है चाहे वह अच्छे भवन की हो या फिर विद्यालय में बेंच की व्यवस्था की या फिर विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने की, किसी पर भी अधिकारी कोई संज्ञान नहीं लेते हैं.

शिक्षकों के सातवें चरण की बहाली शुरूः वहीं प्रदेश में शिक्षकों की कमी के बीच शिक्षकों के सातवें चरण की बहाली शुरू हुई है. शिक्षा मंत्री की मानें तो बीते 1 महीने में प्रदेश में 41000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दी गई है और आने वाले दिनों में 50000 और शिक्षकों की बहाली होने वाली है. इसके अलावा शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह भी जानकारी दी है कि प्रदेश में 1000 कंप्यूटर टीचर और 3500 पदों पर फिजिकल टीचर की नियुक्ति किए जाएंगे. शिक्षा मंत्री की मानें तो आने वाले दिनों में प्रदेश में 40,000 से अधिक प्रधान शिक्षक और हाईस्कूल के लिए 6412 हेड मास्टर की बहाली की जाएगी और इसके लिए बीपीएससी की तरफ से वैकेंसी भी निकाल दी गई है, जिसके लिए अभ्यर्थी 18 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं.

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