पटना:बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Liquor Ban in bihar) है इसके बावजूद भी बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी कानून लागू नहीं हो पा रहा है. शराब का व्यवसाय बिहार में अवैध रूप से फल फूल रहा है. लॉकडाउन (Lockdown) के बाद एक बार फिर से राज्य में शराब के कारोबार में वृद्धि दर्ज की जा रही है.
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शराब की बड़ी तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मद्य निषेध विभाग (Excise & Prohibition Dept.) एवं निबंधन विभाग की ओर से पूरे राज्य में लगातार कार्रवाई की जा रही है इसके बावजूद भी शराब तस्कर बाज नहीं आ रहे हैं. बिहार की राजधानी पटना शराब बिक्री मामले में टॉप 5 जिलों में शामिल है.
मई माह में लॉकडाउन के बाद एक बार फिर से राज्य में शराब के कारोबार में वृद्धि दर्ज हुई है. शराब की बढ़ती तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मद्य निषेध विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है. वहीं जून माह के दौरान पूरे राज्य में शराब की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए की गई कार्रवाई जैसे छापेमारी, केस दर्ज, गिरफ्तारी और शराब बरामदगी को लेकर रिपोर्ट सामने आई है.
जून माह की रिपोर्ट के अनुसार 1 माह में पूर्वी चंपारण में सबसे अधिक 12839.90 लीटर और इसके बाद पटना जिला में 10024.50 लीटर शराब पकड़ी गई. इसके साथ ही शराब तस्करी के मामले में मुजफ्फरपुर में 55 और भोजपुर में 51 लोगों की गिरफ्तारी की गई. जून माह के दौरान मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग की ओर से सभी जिले में कार्रवाई की गई. इस दौरान एक माह में 115771 लीटर देशी विदेशी शराब जब्त की गई.
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जून माह के दौरान मद्य निषेध विभाग के निर्देश पर केंद्रीय टीम और पटना की टीम ने मिलकर 9269 जगह पर छापेमारी की जबकि 1224 मामले दर्ज किए गए. छापेमारी के बाद शराब तस्करी उत्पाद उपयोग के मामले में 655 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. इसके अलावा तस्करी में संलिप्त 324 वाहनों को भी जब्त किया गया है.
शराब जब्ती मामले में पूर्वी चंपारण टॉप पर है तो दूसरे स्थान पर पटना, तीसरे स्थान पर औरंगाबाद, चौथे पर सिवान और पांचवें पर भागलपुर है. वहीं गिरफ्तारी के मामले में भी मुजफ्फरपुर प्रथम स्थान पर, भोजपुर दूसरे स्थान पर, नवादा तीसरे स्थान पर और पटना चौथे स्थान पर है जबकि सीतामढ़ी पांचवें स्थान पर है.
एक ही पुलिस पर कई तरह की कामों की जिम्मेदारी है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अवैध बालू खनन तक को देखने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. इसलिए शराबबंदी को लागू करवाना पुलिसवालों के लिए मुश्किल हो रहा है.- डॉ संजय कुमार, एक्सपर्ट
बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन किया जा सके इसको लेकर छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. राज्य के अंदर शराब की बड़ी खेप या फैक्ट्री पकड़े जाने पर उस जगह पर जियो टैगिंग भी किया जा रहा है. इसके अलावा मद्य निषेध विभाग की टीम के द्वारा अन्य राज्यों से भी बड़े शराब तस्करों को गिरफ्तार किया गया है.
मद्य निषेध विभाग की ओर से दो टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है. 18003456268 और 15545 नंबर पर कोई भी व्यक्ति शराब तस्कर, क्रय विक्रय वितरण, संग्रह भंडारण. परिवहन एवं सेवन की जानकारी दे सकता है.
पुलिस की मिली भगत के बिना भी बिहार में शराब की व्यवस्था नहीं हो सकती है. रोजगार नहीं होने के कारण युवा वर्ग इस काम को धड़ल्ले से अपना रहा है और शराब तस्करों का एक नेक्सेस बिहार में खड़ा हो गया है. जिस वजह से जहरीली शराब पीने की वजह से भी अब तक सैकड़ों लोगों की मौत शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी हुई है. इसके लिए बिहार सरकार जिम्मेदार है.- डॉ संजय कुमार, एक्सपर्ट
शराबबंदी कानून पर एक्सपर्ट्स की राय मानें तो बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी कानून लागू नहीं होने के पीछे का बड़ा कारण समाज में जागरुकता की कमी भी है. सरकार ने बिना राय मशविरा के ही बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर दिया. जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य और देश में शराबबंदी कानून लागू नहीं है. जिसका पड़ोसी राज्य भी फायदा उठा रहे हैं.
बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सके, जिसको लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं. इसके बावजूद भी प्रतिदिन राज्य के कई जिलों में लगातार शराब का सेवन या उसके अवैध व्यवसाय करने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी की जा रही है. इसी का नतीजा है कि बिहार की जेलो में क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं.
बिहार में आए दिन किसी न किसी जिले में अवैध शराब पीने से लोगों को असमय मौत या आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. उसके बावजूद भी पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी लागू नहीं हो पा रहा है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर होती है, तस्कर भी पकड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से ही पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सकता है या राज्य सरकार को कुछ और सोचना होगा.
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