पटना: बिहार के पटना में स्थित आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय की बीते 31 मई को आयोजित सामान्य सभा की 22वीं बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में विश्वविद्यालय से संबद्धता प्रदान महाविद्यालयों की जांच के लिए समिति का गठन कर दिया गया है. ये कमिटी संबद्धता प्रदान किए गए विभिन्न महाविद्यालयों और संस्थानों के बुनियादी ढांचे सहित सभी मापदंडों की जांच करेगी. इस पांच सदस्यीय कमिटी के गठन का आदेश शिक्षा मंत्री सह सामान्य सभा अध्यक्ष प्रो. चंद्रशेखर ने दिया है.
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जांच के लिए पांच सदस्यीय कमिटी गठितः शिक्षा विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कमिटी का अध्यक्ष बिहार विधानसभा के सदस्य शकील अहमद खान को बनाया गया है. इस समिति के अन्य सदस्य में प्रो. डॉ कामेश्वर झा, उपाध्यक्ष राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान पटना, प्रो डॉ बबन सिंह, पूर्व प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना, राजेंद्र प्रसाद सिंह, विशेष सचिव सेवानिवृत्त सह सलाहकार राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, पटना तथा डॉ राजीव रंजन, कुलसचिव आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय हैं.
कई निजी महाविद्यालयों की संबद्धता में गड़बड़ीः दरअसल आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के सामान्य सभा की 22वीं बैठक में कई सदस्यों और विधायकों द्वारा समाचार पत्रों में छपे खबरों के हवाले से शिक्षा मंत्री को बताया था कि विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता शुल्क, इंडाउनमेंट फंड आदि बिना जमा कराए ही कई निजी महाविद्यालयों को संबद्धता दिया गया है. सभा सदस्यों द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि कई संस्थान जमीन, भवन,शिक्षकों की संख्या आदि के मानक पूर्ण नहीं कर रहे थे, साथ ही तीन वर्ष के अंदर स्थाई भवन निर्माण करने की शर्त एवं शिक्षकों की संख्या पूर्ण किए बिना ही सीट वृद्धि की भी अनुमति दी गई.
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का हो रहा दुरुपयोग: तथाकथित रूप से यह भी आरोप लगाया गया है कि एक ही नाम के संस्थान एक ही भवन में अलग-अलग विश्वविद्यालयों से संबद्धता प्राप्त कर अधिकाधिक संख्या में छात्रों का नामांकन करा कर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं. यह भी कहा गया है कि एक ही भवन और भूमि पर अलग-अलग नाम से संस्थान अलग-अलग विश्विद्यालय से मान्यता लेकर चलाए जा रहे हैं.
दो सप्ताह के अंदर सौंपना है जांच रिपोर्ट: मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए तत्काल ही सर्वसम्मति से अध्यक्ष सह मंत्री द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन को उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर महाविद्यालयों की भौतिक जांच कराने का आदेश दिया था. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जांच समिति के सदस्यों का नाम अधिसूचित कर दिया गया है. साथ ही दो सप्ताह के अंदर सभी महाविद्यालयों का भौतिक एवम् अभिलेखीय जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने का अनुरोध किया गया है ताकि विश्वविद्यालय की सामान्य सभा की बैठक जल्द आयोजित कर इस पर विधिक निर्णय लिया जा सके.