ETV Bharat / state

'नागराज' और 'सुपर कमांडो ध्रुव' के दिवाने हैं ये IPS.. घर में 5 हजार से ज्यादा कॉमिक्स का कलेक्शन

'कॉमिक्स' से हर कोई परिचित होंगे लेकिन 5जी के जमाने में लोग इसे भूल गए. एक दौर था, जब सभी के घरों में कॉमिक्स (comic books) हुआ करती थी. धीरे-धीरे इसकी जगह एंड्रॉयड फोन (Android phone) ने ले लिया. लेकिन इस 5जी जमाना में भी ऐसे लोग हैं जिन्हें आज भी कॉमिक्स का शौक है. बिहार के सीनियर आईपीएस पंकज राज को कॉमिक्स पढ़ना काफी पसंद है. इन्होंने 5 हजार से भी ज्यादा कॉमिक्स का संग्रह (comic book collection) रखा है. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 10, 2023, 5:30 PM IST

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डिप्टी डायरेक्टर पंकज राज से खास बातचीत

पटनाः फिल्में देखना, गाना सुनना, खाना और घूमना सभी को पसंद है. कई लोग इसे हॉबी मानते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें किताबें पढ़ना पसंद है. वो भी ऐसी किताबें जो आज ज्यादातर घरों में देखने को नहीं मिलेगी. हम बिहार के 2006 बैच के सीनियर आईपीएस पंकज राज (Senior IPS Pankaj Raj 2006 batch) के बारे में बात कर रहे हैं. पंकज राज बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (Bihar State Sports Authority) के डिप्टी डायरेक्टर हैं. इतने बड़े अधिकारी हैं, तो सैलरी भी ज्यादा होगी. पैसों की कमी नहीं होगी. घर में महंगे फोन, लैपटॉप और टीवी भी जरूर होगा. लेकिन पंकज राज को ये सब उतने पसंद नहीं है, जितने कॉमिक्स पसंद है. पंकज जब दूसरी क्लास में थे तभी से कॉमिक्स पढ़ें रहे हैं. आज इनके पास 5 हजार से ज्यादा कॉमिक्स बुक हैं. पेश हैं पंकज राज से खास बातचीत...

यह भी पढ़ेंः women behind the lion:आईपीएस शिवदीप लांडे काे 'सिंघम' बनानेवाली शख्सियत की कहानी

सवाल: कब से आप कॉमिक्स पढ़ रहे हैं?
जवाब:जब मैं क्लास दो में पढ़ता था. उसी समय से कॉमिक्स और नंदन दोनों पढ़ते (comic lover) आ रहा हूं. कॉमिक्स के प्रति मेरा आकर्षण धीरे-धीरे बढ़ने लगा. उसी समय से मैं कॉमिक्स को इकट्ठा करने लगा था. यह 2003-04 तक चलता रहा. केवल 2 वर्ष के लिए कॉमिक्स जमा करना मेरा बंद हुआ. क्योंकि तब मैं यूपीएससी की तैयारी करता था. आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद चला गया था. हैदराबाद से वापस लौटने के दौरान स्टेशन पर देखा कि पिछले 2 वर्ष में कई सारी कॉमिक्स आ गई थी, जो मैंने नहीं पढ़ी थी. उसी वक्त में तकरीबन 20-25 कॉमिक्स को खरीद लिया.

सीनियर आईपीएस पंकज राज
सीनियर आईपीएस पंकज राज

सवाल: किस-किस पब्लिकेशंन के कॉमिक्स हैं आपके पास?
जवाब:अभी इस साल अभी तक मेरे पास राज कॉमिक्स, तुलसी कॉमिक्स आदि पब्लिकेशंस के जितने लेटेस्ट कॉमिक्स है, वह सब मेरे पास उपलब्ध है. मैने सभी को पढ़ा है. अब मेरे बच्चे भी पढ़ रहे हैं.

सवाल: कॉमिक्स एक अलग दुनिया है, जब आप पढ़ते थे, कितना एंज्वाय करते थे?, आपके पसंदीदा किरदार कौन था?
जवाब:कॉमिक्स के सभी पात्र मुझे अच्छे लगते हैं. लेकिन विशेष रूप से सुपर कमांडो ध्रुव जो राज कॉमिक्स के हीरो हैं. वह मुझे बहुत पसंद है. वह एक ऐसा यंग नौजवान शख्स है जो दृढ़ निश्चय के लिए समस्याओं से जूझने के लिए जाना जाता था. हमारे जीवन में भी बहुत सारी समस्याएं आ जाती हैं. उस पात्र से सीखना चाहिए कि कैसे निश्चय होकर समस्या का समाधान कर सकें.

सवाल: आज का दौर मोबाइल का है. बहुत सारी चीजें मोबाइल में कैद हो गई. कॉमिक्स मोबाइल के तुलना में लाभप्रद है या हानिप्रद?
जवाब:कॉमिक्स शुरू से ही लाभप्रद रहा है. मैं इस तरीके से देखता हूं. मैंने देखा है कि जो भी बच्चे कॉमिक्स पढ़ते थे, उनकी पढ़ने की गति तेज होती थी. पढ़ने के दौरान कहानियों को दिमाग में सामंजस्य कर पाते थे. चीजों को अच्छी तरीके से समझते और सीखते थे. जो लोग अच्छे पद पर गए तो कहीं न कहीं कॉमिक्स को पढ़ते थे. आजकल के बच्चे मोबाइल में इस तरीके से फंस गए हैं. आप देखेंगे कि उनकी हिंदी कमजोर हो गई है. कॉमिक्स पढ़ने से हिंदी भी बेहतर होती है. मैं सलाह देता हूं कि बच्चों को मोबाइल से बाहर निकालने के लिए कॉमिक्स एक बेहतर और अच्छा विकल्प है.

सवाल: आपके भी बच्चे हैं क्या वे कॉमिक्स पढ़ते हैं?
जवाब:मैं उन्हें प्रेरित करता हूं. कहानियां भी सुनाता हूं. मेरे बच्चे भी धीरे-धरे पढ़ रहे हैं. मैं चाहता हूं कि उनकी भी पढ़ने की गति, बढ़ें चीजों को समझने की क्षमता बढ़े. यह हर बच्चे में होनी चाहिए. मैं सलाह दूंगा कि गार्जियन अपने बच्चों को कॉमिक्स के प्रति आकर्षित करें. क्योंकि बच्चे मोबाइल की ओर जा रहे हैं, उससे बचें. अभी मेरे पास पांच हजार से ज्यादा कॉमिक्स होंगे. कुछ नई, कुछ पुरानी और सब को मैंने सहेज कर रखा हुआ है.

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डिप्टी डायरेक्टर पंकज राज से खास बातचीत

पटनाः फिल्में देखना, गाना सुनना, खाना और घूमना सभी को पसंद है. कई लोग इसे हॉबी मानते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें किताबें पढ़ना पसंद है. वो भी ऐसी किताबें जो आज ज्यादातर घरों में देखने को नहीं मिलेगी. हम बिहार के 2006 बैच के सीनियर आईपीएस पंकज राज (Senior IPS Pankaj Raj 2006 batch) के बारे में बात कर रहे हैं. पंकज राज बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (Bihar State Sports Authority) के डिप्टी डायरेक्टर हैं. इतने बड़े अधिकारी हैं, तो सैलरी भी ज्यादा होगी. पैसों की कमी नहीं होगी. घर में महंगे फोन, लैपटॉप और टीवी भी जरूर होगा. लेकिन पंकज राज को ये सब उतने पसंद नहीं है, जितने कॉमिक्स पसंद है. पंकज जब दूसरी क्लास में थे तभी से कॉमिक्स पढ़ें रहे हैं. आज इनके पास 5 हजार से ज्यादा कॉमिक्स बुक हैं. पेश हैं पंकज राज से खास बातचीत...

यह भी पढ़ेंः women behind the lion:आईपीएस शिवदीप लांडे काे 'सिंघम' बनानेवाली शख्सियत की कहानी

सवाल: कब से आप कॉमिक्स पढ़ रहे हैं?
जवाब:जब मैं क्लास दो में पढ़ता था. उसी समय से कॉमिक्स और नंदन दोनों पढ़ते (comic lover) आ रहा हूं. कॉमिक्स के प्रति मेरा आकर्षण धीरे-धीरे बढ़ने लगा. उसी समय से मैं कॉमिक्स को इकट्ठा करने लगा था. यह 2003-04 तक चलता रहा. केवल 2 वर्ष के लिए कॉमिक्स जमा करना मेरा बंद हुआ. क्योंकि तब मैं यूपीएससी की तैयारी करता था. आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद चला गया था. हैदराबाद से वापस लौटने के दौरान स्टेशन पर देखा कि पिछले 2 वर्ष में कई सारी कॉमिक्स आ गई थी, जो मैंने नहीं पढ़ी थी. उसी वक्त में तकरीबन 20-25 कॉमिक्स को खरीद लिया.

सीनियर आईपीएस पंकज राज
सीनियर आईपीएस पंकज राज

सवाल: किस-किस पब्लिकेशंन के कॉमिक्स हैं आपके पास?
जवाब:अभी इस साल अभी तक मेरे पास राज कॉमिक्स, तुलसी कॉमिक्स आदि पब्लिकेशंस के जितने लेटेस्ट कॉमिक्स है, वह सब मेरे पास उपलब्ध है. मैने सभी को पढ़ा है. अब मेरे बच्चे भी पढ़ रहे हैं.

सवाल: कॉमिक्स एक अलग दुनिया है, जब आप पढ़ते थे, कितना एंज्वाय करते थे?, आपके पसंदीदा किरदार कौन था?
जवाब:कॉमिक्स के सभी पात्र मुझे अच्छे लगते हैं. लेकिन विशेष रूप से सुपर कमांडो ध्रुव जो राज कॉमिक्स के हीरो हैं. वह मुझे बहुत पसंद है. वह एक ऐसा यंग नौजवान शख्स है जो दृढ़ निश्चय के लिए समस्याओं से जूझने के लिए जाना जाता था. हमारे जीवन में भी बहुत सारी समस्याएं आ जाती हैं. उस पात्र से सीखना चाहिए कि कैसे निश्चय होकर समस्या का समाधान कर सकें.

सवाल: आज का दौर मोबाइल का है. बहुत सारी चीजें मोबाइल में कैद हो गई. कॉमिक्स मोबाइल के तुलना में लाभप्रद है या हानिप्रद?
जवाब:कॉमिक्स शुरू से ही लाभप्रद रहा है. मैं इस तरीके से देखता हूं. मैंने देखा है कि जो भी बच्चे कॉमिक्स पढ़ते थे, उनकी पढ़ने की गति तेज होती थी. पढ़ने के दौरान कहानियों को दिमाग में सामंजस्य कर पाते थे. चीजों को अच्छी तरीके से समझते और सीखते थे. जो लोग अच्छे पद पर गए तो कहीं न कहीं कॉमिक्स को पढ़ते थे. आजकल के बच्चे मोबाइल में इस तरीके से फंस गए हैं. आप देखेंगे कि उनकी हिंदी कमजोर हो गई है. कॉमिक्स पढ़ने से हिंदी भी बेहतर होती है. मैं सलाह देता हूं कि बच्चों को मोबाइल से बाहर निकालने के लिए कॉमिक्स एक बेहतर और अच्छा विकल्प है.

सवाल: आपके भी बच्चे हैं क्या वे कॉमिक्स पढ़ते हैं?
जवाब:मैं उन्हें प्रेरित करता हूं. कहानियां भी सुनाता हूं. मेरे बच्चे भी धीरे-धरे पढ़ रहे हैं. मैं चाहता हूं कि उनकी भी पढ़ने की गति, बढ़ें चीजों को समझने की क्षमता बढ़े. यह हर बच्चे में होनी चाहिए. मैं सलाह दूंगा कि गार्जियन अपने बच्चों को कॉमिक्स के प्रति आकर्षित करें. क्योंकि बच्चे मोबाइल की ओर जा रहे हैं, उससे बचें. अभी मेरे पास पांच हजार से ज्यादा कॉमिक्स होंगे. कुछ नई, कुछ पुरानी और सब को मैंने सहेज कर रखा हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.