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.. तो क्या AIMIM में टूट से बिहार की राजनीति में मजबूत हुए नीतीश? जानें समीकरण - उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन

बिहार में एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायकों के राजद में शामिल हो जाने के बाद से बिहार की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है. एक ओर जहां राजद विधानसभा में बड़ी पार्टी (RJD Big Party In Bihar Assembly) बन गई है. वहीं, बड़ी पार्टी बनने पर जदयू ने भी राजद को बझाई दी है. पढ़ें पूरी खबर..

CM Nitish Kumar
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
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Published : Jun 30, 2022, 9:56 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में चूहा-बिल्ली का खेल चल रहा है. कभी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होती है तो कभी यह तमगा राजद को मिल जाता है. बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बिहार में खेल हुआ. जहां एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायकों ने राजद का दामन थाना लिया और राजद विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी (RJD Strength Increased In Bihar Assembly) हो गई. राजनीतिक उलटफेर में जदयू को खुश होने का मौका मिल गया है.

ये भी पढ़ें-बिहार के हर जिले में बनेंगे मोदी-नीतीश नगर, जानें क्या है सरकार का प्लान

अंक गणित के लिहाज से राजद की ताकत बढ़ी: बिहार में भाजपा और राजद के बीच शह और मात का खेल चल रहा है. पहले भाजपा ने राजद और मुकेश साहनी को झटका देते हुए नंबर एक का तमगा हासिल किया और पार्टी के कुल 77 विधायक हो गए. जिसके बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने का दम्भ भरने लगी. 22 मार्च को वीआईपी में टूट के बाद भाजपा बड़ी पार्टी हो गई थी.

विधानसभा में राजद बनी बड़ी पार्टी: अभी इस घटना को हुए 4 महीने भी नहीं बीते थे कि भाजपा से नंबर एक का तमगा छीन गया और राजद पहले स्थान पर काबिज हो गई. राजद ने एआईएमआईएम को झटका देते हुए उसके चार विधायकों को अपने खेमे में शामिल करा लिया. जिसके बाद राजद के विधायकों की संख्या 80 पहुंच गई. इस घटना के बाद विधानसभा में राजद की ताकत बढ़ी लेकिन जदयू खेमे में उत्साह दिखा.

जदयू नेताओं ने राजद को दी बधाई: जदयू के नेताओं ने राजद को बड़ी पार्टी होने पर बधाई भी दिया. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) विकल्प की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं. अतीत में नीतीश कुमार ने वैकल्पिक राजनीति के मिसाल भी पेश किए हैं. साल 2015 में जब नीतीश कुमार और भाजपा में तनातनी हो गई तो नीतीश महागठबंधन में शामिल हो गए और जब लालू से विवाद हुआ तो फिर से एनडीए में वापस आ गए.

हाल के दिनों में जदयू-बीजेपी में मतभेद: अभी हाल के कुछ दिनों में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीधा तकरार हुआ और कई मुद्दों पर दोनों दलों के बीच गहरे मतभेद उभरकर सामने आए. सीए-एनआरसी, स्पेशल स्टेटस का दर्जा, जातिगत जनगणना और अग्निपथ योजना को लेकर दोनों दलों के नेता आमने-सामने दिखे. अब, जब राजद बड़ी पार्टी हो गई है और राजद और जदयू के विधायकों की संख्या को जोड़ दें तो आंकड़ा बहुमत से अधिक पहुंच जाता है.

भाजपा पर बढ़ा मानसिक दबाव: अभी जदयू खेमे में 46 और राजद खेमे में 80 विधायक हैं. दोनों को मिलाकर कुल संख्यां 126 पहुंच जाती है. 243 विधानसभा की सीटों वाले बिहार में बहुमत के आंकड़े से 4 ज्यादा है. समीकरण में बदलाव से भाजपा के ऊपर जदयू का मानसिक दबाव बढ़ना लाजमी है. जेडीयू नेता भाजपा को डर दिखाते रहे हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हाल के कुछ दिनों में मेलजोल भी बढ़ी है. नीतीश कुमार को जहां वामदलों के साथ सरकार बनाने से परहेज है. वहीं, राजद कांग्रेस से दूरी बना कर रखना चाहती है. अगर दोनों दलों के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं, तो दोनों नेता गठबंधन में कांग्रेस और वामदलों के बिना सहज रहेंगे.

भाजपा को लगा दोहरा झटका: राजद के मुख्य प्रवक्ता और विधायक भाई बीरेंद्र ने कहा है कि राजद बड़ी पार्टी हो गई है और सरकार बनाने का न्योता भी भविष्य में हमें ही मिलने वाला है. आगे-आगे देखिए होता है क्या. वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक डॉ शकील अहमद ने कहा है कि अब राजद बड़ी पार्टी है और जब भी संकट की स्थिति होगी तो राज्यपाल महोदय सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राजद को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे. वहीं, जदयू विधायक डॉ संजीव का कहना है कि राजद भले ही सबसे बड़ी पार्टी हुई है लेकिन इससे जदयू और सरकार के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे. वैसे बड़ी पार्टी होने के लिए उन्होंने राजद को बधाई भी दिया.

"इंतजार कीजिए बड़ी पार्टी हो गई है और जब कभी होगा. इस दल को ही मिलेगा मौका आरजेडी और महागठबंधन को."- भाई बीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद

"भारतीय जनता पार्टी यह क्लेम करती थी कि हम बड़ी पार्टी हैं. अब वो ये क्लेम नहीं कर पाएगी और फ्यूचर में कभी ये मौका आएगा तो बड़ी पार्टी होने के नाते गवर्नर साहब को राजद को ही बुलाना पड़ेगा."- डॉ शकील अहमद, कांग्रेस विधायक

"देखिए इससे कोई खास अंतर नहीं परता है सरकार को. बड़ी पार्टी बीच में पहले भी थी वो, फिर बीजेपी हो गई. हमारा सरकार स्टेबल है बिहार में. एनडीए स्टेबल है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महलोग अच्छा से काम कर रहे हैं. बड़ी पार्टी होने पर आरजेडी को हम अपने तरफ से बधाई देते हैं."- डॉ संजीव, जदयू विधायक

नीतीश अपनी शर्तों पर कर सकते हैं राजनीति: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Industries Minister Shahnawaz Hussain) ने कहा है कि राजद में जो लोग शामिल हुए हैं, वह पहले उन्हीं की पार्टी में थे. उनकी घर वापसी हुई है. उन्होंने कहा कि संख्या भले ही उनकी बड़ी हो लेकिन उन्हें रहना विपक्ष में ही है. 2025 में भी उन्हें विपक्ष में ही रहना है. बिहार की राजनीति पर नजर रख रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्र ने बताया कि राजनीति में हमेशा दो और दो चार नहीं होता है. राजद की शक्ति भले ही बड़े हो लेकिन मानसिक बढ़त जदयू को मिली है और भाजपा पर दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक रूप से एक अवसर सामने जरूर दिख रहे हैं. नीतीश अब अपनी शर्तों पर राजनीति कर सकते हैं.

"आरजेडी विपक्ष के अंदर 2025 तक विपक्ष में रहेगी और बड़ी पार्टी बनकर रहेगी. लेकिन गठबंधन आज भी हमारा बड़ा है और कोई जो हसीन सपने देखने वालों को मालूम होना चाहिए की जब वो 76 थे तब भी उनकी कोई ऐसी स्थिति नहीं थी. आज भी वो विपक्ष की पार्टी हैं और 2025 तक बैठेंगे. क्योंकि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में ये सरकार 2025 तक के लिए चुनी गई है. हमारी सरकार विकास के रास्ते पर है, उद्योग और रोजगार लगाने के रास्ते पर है. इसलिए ये सरकार चलती रहेगी."- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार सरकार

"राजनीति में दो और दो चार नहीं होता है पांच होता है. आपको यह दिख रहा होगा कि ओवैसी के चार विधायकों ने पाला बदलकर आरजेडी का दामन थाम दिया है. तो आरजेडी की हैसियत विधानसभा में बढ़ गई है. आंकड़ों के खेल में आरजेडी ने बाजी मार ली है और ये आरजेडी के लिए जरूरी भी था. चूंकि, आरजेडी अभी तक दूसरे नंबर की पार्टी थी और बीजेपी नंबर एक की पार्टी थी. इसका एक साइड इफैक्ट भी है. आरजेडी की ताकत ने नीतीश की ताकत को और मजबूत किया है. इस विलय से नीतीश प्रसन्न दिखे. इसका मतलब ये है कि दोनों अगर मिल जाएं तो दोनों अकेले दम पर सरकार बना सकते हैं."- अशोक मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार

ये भी पढ़ें-'नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी बर्दाश्त नहीं', BJP नेताओं को धर्मेंद्र प्रधान का सख्त निर्देश

पटना: बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में चूहा-बिल्ली का खेल चल रहा है. कभी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होती है तो कभी यह तमगा राजद को मिल जाता है. बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बिहार में खेल हुआ. जहां एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायकों ने राजद का दामन थाना लिया और राजद विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी (RJD Strength Increased In Bihar Assembly) हो गई. राजनीतिक उलटफेर में जदयू को खुश होने का मौका मिल गया है.

ये भी पढ़ें-बिहार के हर जिले में बनेंगे मोदी-नीतीश नगर, जानें क्या है सरकार का प्लान

अंक गणित के लिहाज से राजद की ताकत बढ़ी: बिहार में भाजपा और राजद के बीच शह और मात का खेल चल रहा है. पहले भाजपा ने राजद और मुकेश साहनी को झटका देते हुए नंबर एक का तमगा हासिल किया और पार्टी के कुल 77 विधायक हो गए. जिसके बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने का दम्भ भरने लगी. 22 मार्च को वीआईपी में टूट के बाद भाजपा बड़ी पार्टी हो गई थी.

विधानसभा में राजद बनी बड़ी पार्टी: अभी इस घटना को हुए 4 महीने भी नहीं बीते थे कि भाजपा से नंबर एक का तमगा छीन गया और राजद पहले स्थान पर काबिज हो गई. राजद ने एआईएमआईएम को झटका देते हुए उसके चार विधायकों को अपने खेमे में शामिल करा लिया. जिसके बाद राजद के विधायकों की संख्या 80 पहुंच गई. इस घटना के बाद विधानसभा में राजद की ताकत बढ़ी लेकिन जदयू खेमे में उत्साह दिखा.

जदयू नेताओं ने राजद को दी बधाई: जदयू के नेताओं ने राजद को बड़ी पार्टी होने पर बधाई भी दिया. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) विकल्प की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं. अतीत में नीतीश कुमार ने वैकल्पिक राजनीति के मिसाल भी पेश किए हैं. साल 2015 में जब नीतीश कुमार और भाजपा में तनातनी हो गई तो नीतीश महागठबंधन में शामिल हो गए और जब लालू से विवाद हुआ तो फिर से एनडीए में वापस आ गए.

हाल के दिनों में जदयू-बीजेपी में मतभेद: अभी हाल के कुछ दिनों में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीधा तकरार हुआ और कई मुद्दों पर दोनों दलों के बीच गहरे मतभेद उभरकर सामने आए. सीए-एनआरसी, स्पेशल स्टेटस का दर्जा, जातिगत जनगणना और अग्निपथ योजना को लेकर दोनों दलों के नेता आमने-सामने दिखे. अब, जब राजद बड़ी पार्टी हो गई है और राजद और जदयू के विधायकों की संख्या को जोड़ दें तो आंकड़ा बहुमत से अधिक पहुंच जाता है.

भाजपा पर बढ़ा मानसिक दबाव: अभी जदयू खेमे में 46 और राजद खेमे में 80 विधायक हैं. दोनों को मिलाकर कुल संख्यां 126 पहुंच जाती है. 243 विधानसभा की सीटों वाले बिहार में बहुमत के आंकड़े से 4 ज्यादा है. समीकरण में बदलाव से भाजपा के ऊपर जदयू का मानसिक दबाव बढ़ना लाजमी है. जेडीयू नेता भाजपा को डर दिखाते रहे हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हाल के कुछ दिनों में मेलजोल भी बढ़ी है. नीतीश कुमार को जहां वामदलों के साथ सरकार बनाने से परहेज है. वहीं, राजद कांग्रेस से दूरी बना कर रखना चाहती है. अगर दोनों दलों के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं, तो दोनों नेता गठबंधन में कांग्रेस और वामदलों के बिना सहज रहेंगे.

भाजपा को लगा दोहरा झटका: राजद के मुख्य प्रवक्ता और विधायक भाई बीरेंद्र ने कहा है कि राजद बड़ी पार्टी हो गई है और सरकार बनाने का न्योता भी भविष्य में हमें ही मिलने वाला है. आगे-आगे देखिए होता है क्या. वहीं, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक डॉ शकील अहमद ने कहा है कि अब राजद बड़ी पार्टी है और जब भी संकट की स्थिति होगी तो राज्यपाल महोदय सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राजद को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे. वहीं, जदयू विधायक डॉ संजीव का कहना है कि राजद भले ही सबसे बड़ी पार्टी हुई है लेकिन इससे जदयू और सरकार के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे. वैसे बड़ी पार्टी होने के लिए उन्होंने राजद को बधाई भी दिया.

"इंतजार कीजिए बड़ी पार्टी हो गई है और जब कभी होगा. इस दल को ही मिलेगा मौका आरजेडी और महागठबंधन को."- भाई बीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद

"भारतीय जनता पार्टी यह क्लेम करती थी कि हम बड़ी पार्टी हैं. अब वो ये क्लेम नहीं कर पाएगी और फ्यूचर में कभी ये मौका आएगा तो बड़ी पार्टी होने के नाते गवर्नर साहब को राजद को ही बुलाना पड़ेगा."- डॉ शकील अहमद, कांग्रेस विधायक

"देखिए इससे कोई खास अंतर नहीं परता है सरकार को. बड़ी पार्टी बीच में पहले भी थी वो, फिर बीजेपी हो गई. हमारा सरकार स्टेबल है बिहार में. एनडीए स्टेबल है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महलोग अच्छा से काम कर रहे हैं. बड़ी पार्टी होने पर आरजेडी को हम अपने तरफ से बधाई देते हैं."- डॉ संजीव, जदयू विधायक

नीतीश अपनी शर्तों पर कर सकते हैं राजनीति: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Industries Minister Shahnawaz Hussain) ने कहा है कि राजद में जो लोग शामिल हुए हैं, वह पहले उन्हीं की पार्टी में थे. उनकी घर वापसी हुई है. उन्होंने कहा कि संख्या भले ही उनकी बड़ी हो लेकिन उन्हें रहना विपक्ष में ही है. 2025 में भी उन्हें विपक्ष में ही रहना है. बिहार की राजनीति पर नजर रख रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्र ने बताया कि राजनीति में हमेशा दो और दो चार नहीं होता है. राजद की शक्ति भले ही बड़े हो लेकिन मानसिक बढ़त जदयू को मिली है और भाजपा पर दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक रूप से एक अवसर सामने जरूर दिख रहे हैं. नीतीश अब अपनी शर्तों पर राजनीति कर सकते हैं.

"आरजेडी विपक्ष के अंदर 2025 तक विपक्ष में रहेगी और बड़ी पार्टी बनकर रहेगी. लेकिन गठबंधन आज भी हमारा बड़ा है और कोई जो हसीन सपने देखने वालों को मालूम होना चाहिए की जब वो 76 थे तब भी उनकी कोई ऐसी स्थिति नहीं थी. आज भी वो विपक्ष की पार्टी हैं और 2025 तक बैठेंगे. क्योंकि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में ये सरकार 2025 तक के लिए चुनी गई है. हमारी सरकार विकास के रास्ते पर है, उद्योग और रोजगार लगाने के रास्ते पर है. इसलिए ये सरकार चलती रहेगी."- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार सरकार

"राजनीति में दो और दो चार नहीं होता है पांच होता है. आपको यह दिख रहा होगा कि ओवैसी के चार विधायकों ने पाला बदलकर आरजेडी का दामन थाम दिया है. तो आरजेडी की हैसियत विधानसभा में बढ़ गई है. आंकड़ों के खेल में आरजेडी ने बाजी मार ली है और ये आरजेडी के लिए जरूरी भी था. चूंकि, आरजेडी अभी तक दूसरे नंबर की पार्टी थी और बीजेपी नंबर एक की पार्टी थी. इसका एक साइड इफैक्ट भी है. आरजेडी की ताकत ने नीतीश की ताकत को और मजबूत किया है. इस विलय से नीतीश प्रसन्न दिखे. इसका मतलब ये है कि दोनों अगर मिल जाएं तो दोनों अकेले दम पर सरकार बना सकते हैं."- अशोक मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार

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