पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के साथ सरकार में कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से पार्टी का परफॉर्मेंस हुआ है, नीतीश अब पार्टी संगठन के हर स्तर पर मंथन कर रहे हैं. अपने क्षेत्रीय पदाधिकारियों को हारे हुए सभी सीटों की पूरी रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है. तो वहीं जहां जीते हैं, वहां किस तरह की परेशानी हुई, उसकी भी रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है.
नीतीश पुराने साथियों को भी अपने साथ जोड़ने में लगे हैं. वहीं सरकार बनने के बाद दूसरी कैबिनेट में ही सात निश्चय पार्ट 2 और सहयोगी दलों की प्रमुख घोषणाओं को जमीन पर उतारने का बड़ा फैसला लिया है.
नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बनी है. वैसे एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा है. बहुमत भी मिली है. लेकिन जदयू का परफॉर्मेंस पहले से काफी खराब रहा और यह एक तरह से नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका है. विपक्ष ने भी इसको लेकर निशाना साधा है.
पुराने तेवर में दिखने की कोशिश
नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार तो जरूर बन गई है. लेकिन बीजेपी पहली बार बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है. यह नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका है. इससे उबरने के लिए नीतीश अपने पुराने तेवर में दिखने की कोशिश कर रहे हैं. 2005 के बाद जिस प्रकार से बिहार में काम किया.
कैबिनेट में लगी मुहर
वहीं इस बार भी सरकार के एक महीने के अंदर चुनाव में जो वादा किया था, कैबिनेट में उस पर मुहर लगा दी है और उस पर काम भी शुरू कर दिया है. हालांकि विधानसभा चुनाव में जो रिजल्ट आया है, उसके बाद विपक्ष लगातार कह रहा है कि जनता ने नीतीश कुमार को खारिज कर दिया है. अब कुछ भी कर ले उन्हें इसका लाभ मिलने वाला नहीं है.
"पार्टी को मजबूत करने के लिए हम लोग कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं और उसका रिजल्ट भी मिलेगा. जो नाराज साथी हैं, उन्हें भी फिर से जोड़ने की कोशिश भी हो रही है"- जय कुमार सिंह, पूर्व मंत्री
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में जितने काम हुए उसके बावजूद जो रिजल्ट आया है, वह परेशान करने वाला है. लेकिन आगे की रणनीति अब तैयार हो रही है- नीरज कुमार, पूर्व मंत्री और विधान पार्षद
एमएलसी सीटों पर मामला फंसा
बीजेपी के नेता लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में मजबूती के साथ सरकार चल रही है. लेकिन जिस प्रकार से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ, एमएलसी सीटों का भी मामला फंसा हुआ है तो कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन से साफ लग रहा है कि बीजेपी दबाव की रणनीति तैयार कर रही है. लेकिन बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि किसी तरह का अरंगा नहीं लगाया जा रहा है.
"नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो बन गए हैं. लेकिन पहली बार उन्हें बीजेपी ने चुनौती दी है. इसके बावजूद नीतीश जिसके लिए जाने जाते हैं, उसी ताकत के साथ अपने को प्रस्तुत करने की कोशिश भी कर रहे हैं. लेकिन इस बार चुनौती कठिन है"- अजय झा, विशेषज्ञ
एक्शन में नीतीश कुमार
नीतीश कुमार कई मोर्चों पर एक्शन में है और उसका सबसे बड़ा उदाहरण एक महीने के अंदर मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के बावजूद चुनाव में जो जनता से वादा किया था, उस पर कैबिनेट से मुहर लगवा ली है. जदयू ने जो सात निश्चय पार्ट 2 घोषणा की थी, उसे लागू करने का कैबिनेट से फैसला तो लिया है.
पंचायत चुनाव पर नजर
सहयोगी बीजेपी और अन्य दलों के जो प्रमुख घोषणा थे, जैसे कि 19 लाख रोजगार देने की और मुफ्त में वैक्सीन देने की, उसे भी कैबिनेट से पास करा लिया है. नीतीश कुमार की नजर पंचायत चुनाव पर भी है और उसमें पार्टी की ताकत दिखाने का एक और मौका मिलेगा.