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अगस्त क्रांति: 7 शहीदों को बिहार ने किया नमन, CM नीतीश ने भी दी श्रद्धांजलि

अगस्त क्रांति (August Revolution) के मौके पर देश के शहीदों को नमन किया जा रहा है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने 7 शहीदों को श्रद्धांजलि दी. वहीं मसौढ़ी के एसडीएम समेत सभी आलाधिकारियों ने पुनपुन के शहीद हुए रामानंद और रामगोविंद सिंह को याद किया गया.

freedom fighters of bihar
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Published : Aug 11, 2021, 4:23 PM IST

पटना: अगस्त क्रांति दिवस (August Revolution Day) पर शहीदों और सेनानियों को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने 11 अगस्त 1942 को आजादी के लिए शहीद हुए 7 शहीदों (Freedom Fighters Of Bihar) को मुख्यमंत्री आवास के लोक संवाद में श्रद्धांजलि दी.

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उमाकांत प्रसाद सिंह, रामाकांत सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगतपति कुमार, देवी प्रसाद चौधरी, राजेंद्र सिंह और राम गोविंद सिंह 11 अगस्त के ही दिन आजादी के लिए बलिदान दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सातों शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए उनके चलचित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें नमन किया.

11 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शहीद हुए 7 युवा स्कूली छात्र में 2 नाम पुनपुन से भी जुड़े हैं. जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दी थी. पुनपुन के शहादत नगर में पले बढ़े शहीद रामानंद सिंह और दशरथा गांव के शहीद रामगोविंद सिंह को पटना सचिवालय के समीप तिरंगा लहराने के दौरान 7 युवाओं के साथ अंग्रेजों ने गोली मार दी थी.

दोनों शहीदों में बचपन से ही देश की आजादी के लिए और काले कानून के खिलाफ आक्रोश था. अगस्त क्रांति के मौके पर पुनपुन पार्क स्थित बने स्मारक पर शहीद रामानंद एवं राम गोविंद सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए एसडीएम समेत सभी आला अधिकारी और कई सामाजिक संगठनों के लोगों ने उनके आदर्श उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया.

अगस्त क्रांति देशवासियों के लिए अहम है. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 8 अगस्त 1942 को मुंबई में अगस्त क्रांति का प्रस्ताव लाया था और 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति का एलान किया गया था.

भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तमाम छोटे-बड़े आंदोलन किए गए. अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अंतिम लड़ाई लड़ी गई थी उसे 'अगस्त क्रांति' के नाम से जाना गया है. इस लड़ाई में 'करो या मरो' का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया गया था. यही वजह है कि इसे 'भारत छोड़ो आंदोलन' या क्विट इंडिया मूवमेंट भी कहते हैं. इस आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी, इसलिए इसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं.

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उमाकांत प्रसाद सिंह, रामाकांत सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगतपति कुमार, देवी प्रसाद चौधरी, राजेंद्र सिंह और राम गोविंद सिंह 11 अगस्त के ही दिन आजादी के लिए बलिदान दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सातों शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए उनके चलचित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें नमन किया.

11 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शहीद हुए 7 युवा स्कूली छात्र में 2 नाम पुनपुन से भी जुड़े हैं. जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दी थी. पुनपुन के शहादत नगर में पले बढ़े शहीद रामानंद सिंह और दशरथा गांव के शहीद रामगोविंद सिंह को पटना सचिवालय के समीप तिरंगा लहराने के दौरान 7 युवाओं के साथ अंग्रेजों ने गोली मार दी थी.

दोनों शहीदों में बचपन से ही देश की आजादी के लिए और काले कानून के खिलाफ आक्रोश था. अगस्त क्रांति के मौके पर पुनपुन पार्क स्थित बने स्मारक पर शहीद रामानंद एवं राम गोविंद सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए एसडीएम समेत सभी आला अधिकारी और कई सामाजिक संगठनों के लोगों ने उनके आदर्श उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया.

अगस्त क्रांति देशवासियों के लिए अहम है. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 8 अगस्त 1942 को मुंबई में अगस्त क्रांति का प्रस्ताव लाया था और 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति का एलान किया गया था.

भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तमाम छोटे-बड़े आंदोलन किए गए. अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अंतिम लड़ाई लड़ी गई थी उसे 'अगस्त क्रांति' के नाम से जाना गया है. इस लड़ाई में 'करो या मरो' का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया गया था. यही वजह है कि इसे 'भारत छोड़ो आंदोलन' या क्विट इंडिया मूवमेंट भी कहते हैं. इस आंदोलन की शुरुआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी, इसलिए इसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं.

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