पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य से कई जगहों पर कई योजनाओं और भवनों का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इसी मौके पर राजधानी के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल कैंपस में स्थिति इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के नवनिर्मित नौ तले भवन का भी सीएम नीतीश कुमार ने उद्घाटन किया. मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित भवन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया.
इसके बाद इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार ने शीला पट से कॉटन हटा विधिवत उद्घाटन किया. दरअसल, यह 9 तला भवन को बनाने में 60 करोड़ की लागत आई है. वही इस भवन में 20 करोड़ के फर्नीचर और 53 करोड़ के अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाने हैं. इस तरह स्वास्थ्य विभाग इस नवनिर्मित भवन पर लगभग 133 करोड़ रुपए खर्च कर रही है.
CTNGO की फैसिलिटी होगी उपलब्ध
इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि इस भवन के शुभारंभ होने से संस्थान को ढाई सौ अतिरिक्त बेड अब उपलब्ध हो गए हैं. उन्होंने बताया कि अब इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में कुल 400 बेड उपलब्ध हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कई अनेक सुविधाएं भी बढ़ी हैं. पहले आईजीआईसी में कार्डियक कैथ लैब सिर्फ एक था और अब तीन हो जाएगा. इसके साथ ही पहले ओपन हार्ट सर्जरी के लिए मात्र एक ऑपरेशन थिएटर था और अब तीन और नए मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर उपलब्ध हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि इको मशीन 3 से 6 हो गया है और अब CTNGO की फैसिलिटी भी संस्थान में उपलब्ध होगी.
दर्जनभर प्राइवेट रूम्स भी है मौजूद
डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि यह 9 तला पूरा भवन पूरी तरह से एयर कंडीशंड है और इसकी खासियत यह है कि इस भवन में दर्जनभर प्राइवेट रूम्स भी है. जिसे पेईंग पेशेंट के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. उन्होंने कहा कि आगे चलकर जब इस संस्थान में 3 ओटी पूरी तरह उपलब्ध हो जाएगी, तब आगे चलकर हृदय परिवर्तन का भी एक कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ सही रहा तो 6 महीने से 1 साल के अंदर अस्पताल में एक हार्ट ट्रांसप्लांट भी होगा.
हार्ट अटैक के पेशेंट का हो अच्छा इलाज
डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि अब इस अस्पताल में एंबुलेंस सेवाएं भी बढ़ाई जाएंगी, ताकि दूर से आने वाले हार्ट अटैक के मरीजों को आने में दिक्कत ना हो और हम त्वरित रूप से सेवा प्रदान कर पाएं. उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक के पेशेंट को माना जाता है कि अटैक के बाद के 4 घंटे गोल्डन आवर होते हैं. इस पीरियड में अगर उनका ट्रीटमेंट होता है, तो उनकी जान बचने की काफी अधिक संभावना होती है. उन्होंने कहा कि हार्ट अटैक के पेशेंट को अच्छा इलाज उपलब्ध हो यही उनका ध्येय है.