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बिहार में शराबबंदी पर सर्वे के बाद पलटेंगे नीतीश? नफा नुकसान के बाद ले सकते हैं बड़ा फैसला - लोकसभा चुनाव 2024

CM Nitish Review On Bihar Liquor Ban: अप्रैल 2016 में 7 साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू की थी, लेकिन अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सीएम ने शराबबंदी के नए सर्वे का आदेश दिया है. इसके साथ ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या अगर शराबबंदी के खिलाफ लोगों की संख्या अधिक होगी तो नीतीश शराबबंदी कानून वापस ले लेंगे? विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में शराबबंदी पर सर्वे के बाद पलटेंगे नीतीश?
बिहार में शराबबंदी पर सर्वे के बाद पलटेंगे नीतीश?
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 14, 2023, 7:21 PM IST

शराबबंदी को लेकर हर घर सर्वे का निर्देश

पटना: बिहार में नीतीश कुमार ने जातीय गणना करवाया है और अब शराबबंदी के भी नए सर्वे के आदेश दिए हैं. मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. घर-घर सर्वे होगा. लोगों से जातीय गणना की तर्ज पर ही परफॉर्मा भराया जाएगा. शराबबंदी को लेकर राय भी ली जाएगी और जो रिपोर्ट तैयार होगा उसके आधार पर नीतीश सरकार कोई बड़ा फैसला भी 2024 चुनाव से पहले ले सकते हैं.

लोकसभा चुनाव पहले नीतीश की रणनीति: नीतीश कुमार 2024 चुनाव को लेकर एक के बाद एक रणनीति तैयार कर रहे हैं. जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाया है.नीतीश कुमार पिछले 7 सालों में दो बार जातीय गणना का सर्वे कर चुके हैं और दोनों रिपोर्ट सरकार के पक्ष में आया है. अब शराबबंदी का घर-घर सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार करेंगे और उस रिपोर्ट को भुनाने की कोशिश करेंगे. संभव है उस रिपोर्ट के आधार पर नीतीश कुमार शराबबंदी कानून में संशोधन भी करें.

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शराबबंदी को लेकर हर घर सर्वे का निर्देश: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की ओर से जातीय गणना की तर्ज पर शराबबंदी के घर-घर के सर्वे की तैयारी शुरू हो गई है. मद्य निषेध उत्पाद मंत्री सुनील कुमार का कहना है डिटेल सर्वे हम लोग करवा रहे हैं. लोगों से इसके पक्ष में हैं या विरोध में पूछा जाएगा.

"क्या लोग शराबबंदी में सुधार चाहते हैं, लोगों के सुझाव के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. सर्वे के लिए एजेंसी का चयन भी किया जा रहा है."- सुनील कुमार,मद्य निषेध उत्पाद मंत्री, बिहार

बीजेपी का नीतीश पर हमला: मुख्यमंत्री के फैसले पर बीजेपी निशान साध रही है. बीजेपी का कहना है यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग है. भाजपा प्रवक्ता योगेंद्र पासवान का कहना है कि बिहार में अब नीतीश कुमार का इकबाल खत्म हो गया है और शराबबंदी समाप्त करना इनके लिए असंभव है.

"मंत्री और अधिकारी से लेकर शराब माफिया सब मिले हुए हैं. यह सब आईवॉश है. लोगों को भ्रमित करने की कोशिश है. गलत रिपोर्ट तैयार करवाया जाएगा."- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता भाजपा

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'बिहार को राजस्व की बड़ी हानि'- एक्सपर्ट: राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार चतुर राजनेता हैं. शराबबंदी के 7 साल हो गए हैं. बिहार को राजस्व की बड़ी हानि हो रही है. लगातार शराबबंदी समाप्त करने की मांग भी हो रही है. बिहार में शराब का हजारों करोड़ का अवैध कारोबार है उसके कारण सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.

"घर-घर शराब पहुंच रहा है. ऐसे में रिपोर्ट में यदि शराबबंदी समाप्त करने के पक्ष में बातें आईं तो नीतीश कुमार शराबबंदी कानून में संशोधन कर सकते हैं."- अरुण पांडे,राजनीतिक विशेषज्ञ

बिहार में शराबबंदी के सात साल: शराबबंदी बिहार में 5 अप्रैल 2016 से लागू है. 2016 से 2023 तक शराबबंदी के 7 साल में पूरे राज्य में 2 करोड़ 69 लाख लीटर शराब की बरामदगी हो चुकी है और इस अवधि के दौरान शराब तस्करी से जुड़े 970000 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. 6000 से अधिक बिहार से बाहर दूसरे राज्यों के शराब के बड़े कारोबारी की गिरफ्तारी हुई है.

अब तक हुई कार्रवाई: शराब ढोने वाले 99000 गाड़ियां जब्त की जा चुकी हैं. इसमें 59000 गाड़ियों की नीलामी और करीब 8000 गाड़ियों से जुर्माना लेकर छोड़ा जा चुका है. शराबबंदी कानून में अप्रैल 2022 में संशोधन करते हुए गाड़ियों को जब्त करने के बजाय जुर्माना लेकर छोड़ने का प्रावधान किया गया था. जब्त कर लाई गई शराब की औसतन 150 सैंपल की जांच होती है. इसमें से 80 से 85 फीसदी अर्थात 120 से 128 सैंपल नकली पाए जा रहे हैं.

क्या कहता है 2018 का शराबबंदी सर्वे: बिहार सरकार ने 2018 में शराबबंदी का सर्वे करवाया था, जिसमें एक करोड़ 64 लाख लोगों के शराब छोड़ने की बात का पता चला. 2023 में भी बिहार सरकार की ओर से सर्वे करवाया गया और इसमें 1.82 करोड़ लोगों ने शराब छोड़ दिया है, इसकी जानकारी हुई. सर्वे में पता चला कि 99 फीसदी महिलाएं और 92 फीसदी पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं.

7 साल में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने छोड़ी शराब: चाणक्य लॉ विश्वविद्यालय और जीविका के सर्वे में खुलासा हुआ कि 7 साल में 1.82 करोड़ लोगों ने शराब छोड़ दी. इस साल 10 लाख 22467 लोगों से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की गई. इसके लिए 1.15 लाख जीविका समूह में से 10000 लोगों का चयन किया गया था. इन लोगों ने 98 फ़ीसदी पंचायत और 90 फ़ीसदी गांव में लोगों के बीच जाकर सर्वे किया. 7968 पंचायत और 33000 गांव के लोगों से संपर्क किया गया.

नीतीश ने दिया था ये तर्क: शराबबंदी का अध्ययन करने राजस्थान छत्तीसगढ़ की टीम बिहार का दौरा कर चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं 5000 करोड़ सरकार को शराब से राजस्व प्राप्त हो रहा था. लेकिन 10000 करोड़ लोगों का शराब पर खर्च हो रहा था जो अब बचत हो रहा है और लोग खानपान शिक्षा और रहन-सहन में उसे लगा रहे हैं.

सर्वे में लोगों से कई सवाल पूछे जाएंगे: नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जातीय गणना की तरह हर घर में शराबबंदी की समीक्षा करने का ऐलान किया है. इसमें कई सवाल किए जाएंगे. कुछ सवाल जो लोगों से पूछे जा सकते हैं उनमें महिलाओं से शराबबंदी को लेकर उनकी राय ली जाएगी. साथ ही पुरुषों से भी शराबबंदी को लेकर राय ली जाएगी.

बारीकी से किया जाएगा अध्ययन: शराबबंदी से क्या लाभ हुआ यह भी जानने की कोशिश होगी. शराबबंदी से यदि नुकसान हो रहा है तो उसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी. शराबबंदी से क्या-क्या बदलाव हुआ है उसकी भी रिपोर्ट तैयार होगी. शराबबंदी को लेकर यदि कोई सुझाव है तो वह भी फार्म में भरा जाएगा.

अब तक दो बार तैयार हो चुकी है रिपोर्ट: 2018 में नीतीश कुमार ने शराबबंदी के बाद पहला सर्वे करवाया था. एक करोड़ 64 लाख लोगों के शराब छोड़ने की बात का पता चला था. 2023 में भी बिहार सरकार की ओर से सर्वे करवाया गया. एक करोड़ 82 करोड़ लोगों के शराब छोड़ दिये जाने की जानकारी मिली. 99 फ़ीसदी महिलाएं और 92 फ़ीसदी पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं यह भी पता चला.

10000 करोड़ का राजस्व का नुकसान: ऐसे शराबबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार की तारीफ कर चुके हैं. लेकिन पूर्व सीएम जीतन मांझी इसके खिलाफ बोलते रहे हैं. शराबबंदी को राजद की तरफ से भी फेल बताया जाता रहा है. शराबबंदी से बिहार सरकार को हर साल अब 10000 करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा है. जिस समय 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी उस समय लगभग 4000 करोड़ शराब से राजस्व मिल रहा था.

जहरीली शराब से मौत के मामले: ऐसे में पिछले 7 सालों में शराबबंदी से 40000 करोड़ से अधिक का नुकसान बिहार को हो चुका है और इसलिए सरकार पर राजस्व को लेकर भी दबाव है. बिहार की शराबबंदी का अध्ययन करने राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों की टीम आई लेकिन राजस्व नुकसान के कारण ही उन राज्यों की सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया. बिहार सरकार भी लगातार संशोधन कर रही है. यही नहीं जहरीली शराब से मौत मामले में डेढ़ सौ लोगों को अब तक मुआवजा भी नीतीश सरकार दे चुकी है.

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लोकसभा चुनाव पहले नीतीश की रणनीति: नीतीश कुमार 2024 चुनाव को लेकर एक के बाद एक रणनीति तैयार कर रहे हैं. जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को बढ़ाया है.नीतीश कुमार पिछले 7 सालों में दो बार जातीय गणना का सर्वे कर चुके हैं और दोनों रिपोर्ट सरकार के पक्ष में आया है. अब शराबबंदी का घर-घर सर्वे कराकर रिपोर्ट तैयार करेंगे और उस रिपोर्ट को भुनाने की कोशिश करेंगे. संभव है उस रिपोर्ट के आधार पर नीतीश कुमार शराबबंदी कानून में संशोधन भी करें.

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शराबबंदी को लेकर हर घर सर्वे का निर्देश: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की ओर से जातीय गणना की तर्ज पर शराबबंदी के घर-घर के सर्वे की तैयारी शुरू हो गई है. मद्य निषेध उत्पाद मंत्री सुनील कुमार का कहना है डिटेल सर्वे हम लोग करवा रहे हैं. लोगों से इसके पक्ष में हैं या विरोध में पूछा जाएगा.

"क्या लोग शराबबंदी में सुधार चाहते हैं, लोगों के सुझाव के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. सर्वे के लिए एजेंसी का चयन भी किया जा रहा है."- सुनील कुमार,मद्य निषेध उत्पाद मंत्री, बिहार

बीजेपी का नीतीश पर हमला: मुख्यमंत्री के फैसले पर बीजेपी निशान साध रही है. बीजेपी का कहना है यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग है. भाजपा प्रवक्ता योगेंद्र पासवान का कहना है कि बिहार में अब नीतीश कुमार का इकबाल खत्म हो गया है और शराबबंदी समाप्त करना इनके लिए असंभव है.

"मंत्री और अधिकारी से लेकर शराब माफिया सब मिले हुए हैं. यह सब आईवॉश है. लोगों को भ्रमित करने की कोशिश है. गलत रिपोर्ट तैयार करवाया जाएगा."- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता भाजपा

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'बिहार को राजस्व की बड़ी हानि'- एक्सपर्ट: राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि नीतीश कुमार चतुर राजनेता हैं. शराबबंदी के 7 साल हो गए हैं. बिहार को राजस्व की बड़ी हानि हो रही है. लगातार शराबबंदी समाप्त करने की मांग भी हो रही है. बिहार में शराब का हजारों करोड़ का अवैध कारोबार है उसके कारण सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.

"घर-घर शराब पहुंच रहा है. ऐसे में रिपोर्ट में यदि शराबबंदी समाप्त करने के पक्ष में बातें आईं तो नीतीश कुमार शराबबंदी कानून में संशोधन कर सकते हैं."- अरुण पांडे,राजनीतिक विशेषज्ञ

बिहार में शराबबंदी के सात साल: शराबबंदी बिहार में 5 अप्रैल 2016 से लागू है. 2016 से 2023 तक शराबबंदी के 7 साल में पूरे राज्य में 2 करोड़ 69 लाख लीटर शराब की बरामदगी हो चुकी है और इस अवधि के दौरान शराब तस्करी से जुड़े 970000 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. 6000 से अधिक बिहार से बाहर दूसरे राज्यों के शराब के बड़े कारोबारी की गिरफ्तारी हुई है.

अब तक हुई कार्रवाई: शराब ढोने वाले 99000 गाड़ियां जब्त की जा चुकी हैं. इसमें 59000 गाड़ियों की नीलामी और करीब 8000 गाड़ियों से जुर्माना लेकर छोड़ा जा चुका है. शराबबंदी कानून में अप्रैल 2022 में संशोधन करते हुए गाड़ियों को जब्त करने के बजाय जुर्माना लेकर छोड़ने का प्रावधान किया गया था. जब्त कर लाई गई शराब की औसतन 150 सैंपल की जांच होती है. इसमें से 80 से 85 फीसदी अर्थात 120 से 128 सैंपल नकली पाए जा रहे हैं.

क्या कहता है 2018 का शराबबंदी सर्वे: बिहार सरकार ने 2018 में शराबबंदी का सर्वे करवाया था, जिसमें एक करोड़ 64 लाख लोगों के शराब छोड़ने की बात का पता चला. 2023 में भी बिहार सरकार की ओर से सर्वे करवाया गया और इसमें 1.82 करोड़ लोगों ने शराब छोड़ दिया है, इसकी जानकारी हुई. सर्वे में पता चला कि 99 फीसदी महिलाएं और 92 फीसदी पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं.

7 साल में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने छोड़ी शराब: चाणक्य लॉ विश्वविद्यालय और जीविका के सर्वे में खुलासा हुआ कि 7 साल में 1.82 करोड़ लोगों ने शराब छोड़ दी. इस साल 10 लाख 22467 लोगों से बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की गई. इसके लिए 1.15 लाख जीविका समूह में से 10000 लोगों का चयन किया गया था. इन लोगों ने 98 फ़ीसदी पंचायत और 90 फ़ीसदी गांव में लोगों के बीच जाकर सर्वे किया. 7968 पंचायत और 33000 गांव के लोगों से संपर्क किया गया.

नीतीश ने दिया था ये तर्क: शराबबंदी का अध्ययन करने राजस्थान छत्तीसगढ़ की टीम बिहार का दौरा कर चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कहते रहे हैं 5000 करोड़ सरकार को शराब से राजस्व प्राप्त हो रहा था. लेकिन 10000 करोड़ लोगों का शराब पर खर्च हो रहा था जो अब बचत हो रहा है और लोग खानपान शिक्षा और रहन-सहन में उसे लगा रहे हैं.

सर्वे में लोगों से कई सवाल पूछे जाएंगे: नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में जातीय गणना की तरह हर घर में शराबबंदी की समीक्षा करने का ऐलान किया है. इसमें कई सवाल किए जाएंगे. कुछ सवाल जो लोगों से पूछे जा सकते हैं उनमें महिलाओं से शराबबंदी को लेकर उनकी राय ली जाएगी. साथ ही पुरुषों से भी शराबबंदी को लेकर राय ली जाएगी.

बारीकी से किया जाएगा अध्ययन: शराबबंदी से क्या लाभ हुआ यह भी जानने की कोशिश होगी. शराबबंदी से यदि नुकसान हो रहा है तो उसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी. शराबबंदी से क्या-क्या बदलाव हुआ है उसकी भी रिपोर्ट तैयार होगी. शराबबंदी को लेकर यदि कोई सुझाव है तो वह भी फार्म में भरा जाएगा.

अब तक दो बार तैयार हो चुकी है रिपोर्ट: 2018 में नीतीश कुमार ने शराबबंदी के बाद पहला सर्वे करवाया था. एक करोड़ 64 लाख लोगों के शराब छोड़ने की बात का पता चला था. 2023 में भी बिहार सरकार की ओर से सर्वे करवाया गया. एक करोड़ 82 करोड़ लोगों के शराब छोड़ दिये जाने की जानकारी मिली. 99 फ़ीसदी महिलाएं और 92 फ़ीसदी पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं यह भी पता चला.

10000 करोड़ का राजस्व का नुकसान: ऐसे शराबबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार की तारीफ कर चुके हैं. लेकिन पूर्व सीएम जीतन मांझी इसके खिलाफ बोलते रहे हैं. शराबबंदी को राजद की तरफ से भी फेल बताया जाता रहा है. शराबबंदी से बिहार सरकार को हर साल अब 10000 करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा है. जिस समय 2016 में शराबबंदी लागू की गई थी उस समय लगभग 4000 करोड़ शराब से राजस्व मिल रहा था.

जहरीली शराब से मौत के मामले: ऐसे में पिछले 7 सालों में शराबबंदी से 40000 करोड़ से अधिक का नुकसान बिहार को हो चुका है और इसलिए सरकार पर राजस्व को लेकर भी दबाव है. बिहार की शराबबंदी का अध्ययन करने राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों की टीम आई लेकिन राजस्व नुकसान के कारण ही उन राज्यों की सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया. बिहार सरकार भी लगातार संशोधन कर रही है. यही नहीं जहरीली शराब से मौत मामले में डेढ़ सौ लोगों को अब तक मुआवजा भी नीतीश सरकार दे चुकी है.

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