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जातीय जनगणना पर CM का बड़ा बयान: उपचुनाव के बाद बुलाई जाएगी सर्वदलीय बैठक - ईटीवी न्यूज़

जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र के रुख और नीतीश कुमार की रणनीति पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. इस बीच मुख्यमंत्री ने जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर एक बार फिर से अपनी बात दोहराते हुए कहा कि उपचुनाव के बाद इस मुद्दे पर सभी पार्टियों के साथ बैठक की जाएगी. पढ़ें पूरी खबर..

Caste Based Census In Bihar
Caste Based Census In Bihar
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Published : Oct 11, 2021, 5:11 PM IST

पटना: जनता दरबार (Janta Darbar In Patna) के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जातीय जनगणना (Caste Based Census In Bihar) पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने साफ कर दिया कि जातीय जनगणना को लेकर विधानसभा और विधान परिषद से सभी की राय इस मुद्दे को लेकर सर्वसम्मति से पारित है. सीएम ने कहा कि बिहार की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बाद अब इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक की जाएगी. इस दौरान नीतीश कुमार ने एक बार फिर से जातीय जनगणना को देशहित में जरुरी बताया है.

यह भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर बिहार सरकार का अगला कदम क्या? नीतीश ने बताया

सीएम ने कहा कि कोई एक ऐसी जाति नहीं है जिसकी अनेक उपजाति न हो. इसपर तो काम करना ही होगा, जाति है उपजाति है. तभी तो ठीक ढंग से जान पाएंगे कि किसकी कितनी संख्या है, और किनके लिए अच्छे ढंग से काम किया जाए, ताकि समाज का हर तबका आगे की तरफ बढ़े. उससे राज्य का विकास होगा. इससे देश के विकास में भी सहयोग होगा. अभी दो जगह उपचुनाव है, इसलिए उचित नहीं लगा कि इस मुद्दे पर बात करें. उपचुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक की जाएगी.

यह भी पढ़ें- सुशील मोदी ने जातीय जनगणना पर केंद्र के फैसले को बताया सही, कहा- राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर से करा ले

"हमलोगों की राय तो सर्वसम्मति से है. जातीय जनगणना अगर केंद्र नहीं कराती है और अगर राज्य करवाता है तो वह बहुत अच्छे तरीके से होगा. अगर केंद्र से होगा तो कुछ सलाह भी हम दे सकते हैं. फिलहाल तो 1931 की जनगणना ही है. एससी एसटी को छोड़कर तो बाकी सभी का 1931 में ही जातीय जनगणना हुआ था,जो आज तक मोटे तौर पर आधार बनी हुई है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री,बिहार

साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि लेटेस्ट जनगणना होने से बहुत अच्छा होगा. लेकिन अगर राज्य के स्तर पर जनगणना करना पड़ा, तो सभी पार्टियों के साथ बैठकर एक एक चीज पर बातचीत होगी, ताकि कहीं कोई कमी न रहे जाए. दो सीटों का उपचुनाव हो जाए फिर इस मुद्दे पर बात होगी.अभी सब उपचुनाव में ही व्यस्त हैं.

यह भी पढ़ें- असहमति के बावजूद चल रही है BJP-JDU की 'समझौते की सरकार', लेकिन अब विवाद का कारण बन सकते हैं ये मुद्दे

बता दें कि केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना पर अपना रुख स्पष्ट करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बिहार के तमाम विपक्षी दलों के साथ जातिगत जनगणना को लेकर मुहिम चला रहे थे. उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की थी. इस प्रतिनिधमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), पूर्व सीएम जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) भी शामिल थे.

बता दें कि जातीय जनगणना कराने की मांग बिहार में काफी सालों से चल रही है. लेकिन ये मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है. इस बार बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने बीते 23 अगस्त को पीएम से मुलाकात कर अपनी मांग पुरजोर तरीके से रखी थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने ये साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी. जिसके बाद बिहार की छोटी बड़ी राजनीतिक पार्टियां सीएम नीतीश पर जातीय जनगणना के लिए दबाव बना रही है.

यह भी पढ़ें- जातीय जनगणना: केंद्र के इंकार पर दिल्ली में बोले नीतीश, 'बिहार जाकर लूंगा आगे का निर्णय'

आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

यह भी पढ़ें- मंत्री नीरज बबलू का तंज, कहा- मांझी पर हो गया है उम्र का असर

अब इस मुद्दे पर सीएम ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. तारापुर और कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर फिलहाल जातीय जनगणना का मुद्दा ठंडा पड़ा हुआ है. लेकिन उपचुनाव के बाद एक बार फिर से तमाम पार्टियां इसे लेकर सरकार से सवाल पूछेगी. हालांकि सीएम ने भी उपचुनाव के बाद ही इस दिशा में ठोस कदम उठाने की बात भी कही है.

पटना: जनता दरबार (Janta Darbar In Patna) के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जातीय जनगणना (Caste Based Census In Bihar) पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने साफ कर दिया कि जातीय जनगणना को लेकर विधानसभा और विधान परिषद से सभी की राय इस मुद्दे को लेकर सर्वसम्मति से पारित है. सीएम ने कहा कि बिहार की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बाद अब इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक की जाएगी. इस दौरान नीतीश कुमार ने एक बार फिर से जातीय जनगणना को देशहित में जरुरी बताया है.

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सीएम ने कहा कि कोई एक ऐसी जाति नहीं है जिसकी अनेक उपजाति न हो. इसपर तो काम करना ही होगा, जाति है उपजाति है. तभी तो ठीक ढंग से जान पाएंगे कि किसकी कितनी संख्या है, और किनके लिए अच्छे ढंग से काम किया जाए, ताकि समाज का हर तबका आगे की तरफ बढ़े. उससे राज्य का विकास होगा. इससे देश के विकास में भी सहयोग होगा. अभी दो जगह उपचुनाव है, इसलिए उचित नहीं लगा कि इस मुद्दे पर बात करें. उपचुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक की जाएगी.

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"हमलोगों की राय तो सर्वसम्मति से है. जातीय जनगणना अगर केंद्र नहीं कराती है और अगर राज्य करवाता है तो वह बहुत अच्छे तरीके से होगा. अगर केंद्र से होगा तो कुछ सलाह भी हम दे सकते हैं. फिलहाल तो 1931 की जनगणना ही है. एससी एसटी को छोड़कर तो बाकी सभी का 1931 में ही जातीय जनगणना हुआ था,जो आज तक मोटे तौर पर आधार बनी हुई है."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री,बिहार

साथ ही नीतीश कुमार ने कहा कि लेटेस्ट जनगणना होने से बहुत अच्छा होगा. लेकिन अगर राज्य के स्तर पर जनगणना करना पड़ा, तो सभी पार्टियों के साथ बैठकर एक एक चीज पर बातचीत होगी, ताकि कहीं कोई कमी न रहे जाए. दो सीटों का उपचुनाव हो जाए फिर इस मुद्दे पर बात होगी.अभी सब उपचुनाव में ही व्यस्त हैं.

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बता दें कि केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना पर अपना रुख स्पष्ट करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बिहार के तमाम विपक्षी दलों के साथ जातिगत जनगणना को लेकर मुहिम चला रहे थे. उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की थी. इस प्रतिनिधमंडल में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), पूर्व सीएम जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) भी शामिल थे.

बता दें कि जातीय जनगणना कराने की मांग बिहार में काफी सालों से चल रही है. लेकिन ये मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है. इस बार बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने बीते 23 अगस्त को पीएम से मुलाकात कर अपनी मांग पुरजोर तरीके से रखी थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने ये साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी. जिसके बाद बिहार की छोटी बड़ी राजनीतिक पार्टियां सीएम नीतीश पर जातीय जनगणना के लिए दबाव बना रही है.

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आपको बताएं कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे. इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

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अब इस मुद्दे पर सीएम ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. तारापुर और कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर फिलहाल जातीय जनगणना का मुद्दा ठंडा पड़ा हुआ है. लेकिन उपचुनाव के बाद एक बार फिर से तमाम पार्टियां इसे लेकर सरकार से सवाल पूछेगी. हालांकि सीएम ने भी उपचुनाव के बाद ही इस दिशा में ठोस कदम उठाने की बात भी कही है.

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