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'जल, जीवन, हरियाली' को लेकर एक्टिव हुए CM नीतीश, लुप्त जल स्रोतों के लिए बनेगा एटलस - cm nitish kumar

सीएम नीतीश कुमार ने 'जल, जीवन, हरियाली' अभियान के तहत एक समीक्षा बैठक बुलाई. इस बैठक में ए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को एटलस बनाने का निर्देश दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
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Published : Jan 4, 2021, 8:34 PM IST

पटना : सीएम नीतीश कुमार ने पिछले कार्यकाल में 'जल जीव हरियाली' अभियान की शुरूआत की थी. इसके लिए एक मानव श्रृंखला भी बनाई गई, जिसने रिकॉर्ड दर्ज कराया. अपने नए कार्यकाल में नीतीश कुमार अपने इसी अभियान को लेकर सक्रिय हो गए हैं. लिहाजा, वे अधिकारियों के साथ लगातार समीक्षा बैठक कर रहे हैं. बैठक में योजना के तहत राज्य के तमाम नदी, तालाब, पोखर, कुएं सहित सभी जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का जो लक्ष्य रखा गया था, उसपर चर्चा की गई है.

विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते बिहार में कई योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी ब्रेक लग गया था. अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं, तो सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर अधिकारियों से पुरानी योजनाओं को लेकर टास्क दे रहे हैं. जल, जीवन, हरियाली अभियान को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक करते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश दिया है. सीएम ने विभागों को कहा कि दोनों विभाग मिलकर राज्य के सभी जल निकायों के लिए एक एटलस बनाएं.

पटना से अभिषेक की रिपोर्ट

एटलस पर हुई चर्चा
मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक बुलाई. इस दौरान जल जीवन हरियाली को लेकर बैठक में एटलस पर विस्तार से चर्चा हुई. क्या है एटलस, चलिए जान लेते हैं.

सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
  • एटलस में राज्य के सभी जल निकायों का असली चित्र होगा.
  • साथ ही ऐसी व्यवस्था होगी कि तालाब अथवा जल निकाय विभिन्न गांवों और पंचायतों की पहचान की जा सके.
  • सरकार के इस नए एटलस में राज्य के प्राकृतिक प्रशासनिक भूमि उपयोग से संबंधित मानचित्र भी होंगे.
  • तथ्यों के साथ संक्षिप्त परिचयात्मक विश्लेषण भी होगा.
  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्राम विकास विभाग को साझा टास्क दिया है.
  • इसके तहत राजस्व और भूमि सुधार विभाग जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इस स्टेटस का प्रकाशन करेगा.
  • बिहार के विभिन्न जिलों में उपलब्ध सतही जल निकायों का मानचित्र होगा.
  • राजस्व भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त प्रयास से इसका अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशन होगा.
  • ग्रामीण विकास विभाग को तालाबों और अन्य जलस्रोतों का डाटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.
  • इस आंकड़े को जुटाने के लिए राज्य की नदियों को सर्वे ऑफ इंडिया की टॉप साइट की मदद ली जाएगी.

सतही जल संसाधन के प्रबंधन में इस एटलस के मानचित्र में राज्य सरकार एक प्रभावशाली रोडमैप तैयार कर सकेगी. हर जिले के मानचित्र को इस प्रकार से प्रकाशित किया जाएगा कि सार्वजनिक व निजी तालाबों की अलग अलग पहचान की जा सके. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 250 पन्ने का एड्रेस तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है, जिसमें 100 से अधिक रंगीन नक्शे होंगे. एटलस में गांव स्तर पर राज्य की 100 से अधिक नदियों तथा 40 हजार से अधिक तालाबों के मानचित्र को माध्यम से दिखाया जाएगा.

सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक

जल संरक्षण अभियान को मिलेगा जोर
गौरतलब है कि राज्य सरकार जल संरक्षण अभियान चला रही है. जल बचत तकनीक लोगों को बताई जा रही है. इसके लिए हर जिले में जागरूकता अभियान को और तेज किया जाएगा. इस सिलसिले में प्रदर्शित प्रदूषण से बचाव तथा लुप्त एवं अधिक्रमित पारंपरिक जल निकायों की पहचान भी की जा रही है. पहचान के बाद जल निकायों की सटीक जानकारी के लिए उसका मानचित्र बनाया जाएगा, जो कि प्रकाशित होगा.

पटना : सीएम नीतीश कुमार ने पिछले कार्यकाल में 'जल जीव हरियाली' अभियान की शुरूआत की थी. इसके लिए एक मानव श्रृंखला भी बनाई गई, जिसने रिकॉर्ड दर्ज कराया. अपने नए कार्यकाल में नीतीश कुमार अपने इसी अभियान को लेकर सक्रिय हो गए हैं. लिहाजा, वे अधिकारियों के साथ लगातार समीक्षा बैठक कर रहे हैं. बैठक में योजना के तहत राज्य के तमाम नदी, तालाब, पोखर, कुएं सहित सभी जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का जो लक्ष्य रखा गया था, उसपर चर्चा की गई है.

विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते बिहार में कई योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी ब्रेक लग गया था. अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं, तो सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर अधिकारियों से पुरानी योजनाओं को लेकर टास्क दे रहे हैं. जल, जीवन, हरियाली अभियान को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक करते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश दिया है. सीएम ने विभागों को कहा कि दोनों विभाग मिलकर राज्य के सभी जल निकायों के लिए एक एटलस बनाएं.

पटना से अभिषेक की रिपोर्ट

एटलस पर हुई चर्चा
मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक बुलाई. इस दौरान जल जीवन हरियाली को लेकर बैठक में एटलस पर विस्तार से चर्चा हुई. क्या है एटलस, चलिए जान लेते हैं.

सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
  • एटलस में राज्य के सभी जल निकायों का असली चित्र होगा.
  • साथ ही ऐसी व्यवस्था होगी कि तालाब अथवा जल निकाय विभिन्न गांवों और पंचायतों की पहचान की जा सके.
  • सरकार के इस नए एटलस में राज्य के प्राकृतिक प्रशासनिक भूमि उपयोग से संबंधित मानचित्र भी होंगे.
  • तथ्यों के साथ संक्षिप्त परिचयात्मक विश्लेषण भी होगा.
  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और ग्राम विकास विभाग को साझा टास्क दिया है.
  • इसके तहत राजस्व और भूमि सुधार विभाग जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इस स्टेटस का प्रकाशन करेगा.
  • बिहार के विभिन्न जिलों में उपलब्ध सतही जल निकायों का मानचित्र होगा.
  • राजस्व भूमि सुधार विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त प्रयास से इसका अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशन होगा.
  • ग्रामीण विकास विभाग को तालाबों और अन्य जलस्रोतों का डाटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है.
  • इस आंकड़े को जुटाने के लिए राज्य की नदियों को सर्वे ऑफ इंडिया की टॉप साइट की मदद ली जाएगी.

सतही जल संसाधन के प्रबंधन में इस एटलस के मानचित्र में राज्य सरकार एक प्रभावशाली रोडमैप तैयार कर सकेगी. हर जिले के मानचित्र को इस प्रकार से प्रकाशित किया जाएगा कि सार्वजनिक व निजी तालाबों की अलग अलग पहचान की जा सके. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 250 पन्ने का एड्रेस तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है, जिसमें 100 से अधिक रंगीन नक्शे होंगे. एटलस में गांव स्तर पर राज्य की 100 से अधिक नदियों तथा 40 हजार से अधिक तालाबों के मानचित्र को माध्यम से दिखाया जाएगा.

सीएम नीतीश ने की समीक्षा बैठक
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जल संरक्षण अभियान को मिलेगा जोर
गौरतलब है कि राज्य सरकार जल संरक्षण अभियान चला रही है. जल बचत तकनीक लोगों को बताई जा रही है. इसके लिए हर जिले में जागरूकता अभियान को और तेज किया जाएगा. इस सिलसिले में प्रदर्शित प्रदूषण से बचाव तथा लुप्त एवं अधिक्रमित पारंपरिक जल निकायों की पहचान भी की जा रही है. पहचान के बाद जल निकायों की सटीक जानकारी के लिए उसका मानचित्र बनाया जाएगा, जो कि प्रकाशित होगा.

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