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NDA में ड्राइविंग सीट पर CM नीतीश, 'चिराग' की राह में अंधेरा

मिल रही जानकारी के अनुसार जदयू 115 और बीजेपी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दोनों दलों के बाद जो सीट बचेगी वह लोजपा के खाते में जाएगी. नीतीश कुमार लोजपा के हरहाल में 30 सीट के अंदर रखना चाहते हैं.

NDA में ड्राइविंग सीट पर CM नीतीश
NDA में ड्राइविंग सीट पर CM नीतीश
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Published : Jul 10, 2020, 9:22 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ रही है. एक तरफ जहां महागठबंधन खेमे में सीटों के बंटवारे और समन्वय समीति को लेकर खींचतान है. वहीं राजग गठबंधन में भी सब कुछ सही नहीं चल रहा है. एनडीए गठबंधन के प्रमुख घटक दल में से एक लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान अपने अलग स्टैंड पर डटे हुए हैं.

इन सब के बीच भी सत्ता की राजनीति नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. नीतीश कुमार लोजपा और चिराग पासवान को कुछ खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं. चिराग पासवान विधानसभा से लेकर विधान परिषद की जितनी सीटें मांग रहे हैं. उसके लिए ना तो खुद सीएम तैयार है और ना ही बीजेपी. हालंकि, भाजपा बीच का रास्ता जरूर निकालने की कोशिश कर रही है. लेकिन भाजपा अभी किसी भी हाल में नीतीश कुमार को भी नाराज नहीं करना चाह रही है.

उपेंद्र कुशवाहा की तरह अलग राह पर अडिग चिराग
बिहार एनडीए में जदयू,बीजेपी और लोजपा भागीदार है. लोकसभा चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी एनडीए से नाता तोड़ लिया था और उसका बड़ा कारण सीएम नीतीश कुमार माने जा रहे थे. कहा जाता है कि उस समय नीतीश कुमार यह नहीं चाहते थे कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में बने रहे.

भाजपा कार्यालय, पटना
भाजपा कार्यालय, पटना

आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा को लोकसभा चुनाव में एनडीए से बाहर निकलना पड़ा था. समय का पहिया कुछ लोकसभा चुनाव की तरह ही घूमा है. वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर कहा जा रहा है कि एकबार फिर से सीएम नीतीश नहीं चाहते हैं कि एनडीए में लोजपा को बहुत ज्यादा तवज्जो मिले. लोकसभा चुनाव के दौरान भी लोजपा ने जो रवैया अख्तियार किया. इसके कारण बीजेपी को छह लोकसभा सीट के साथ एक राज्य सभा की सीट भी देना पड़ा था.

43 सीटों की मांग कर रहे चिराग
मिल रही जानकारी के अनुसार चिराग पासवान विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान लोकसभा की तर्ज पर ही सीट चाहते हैं. चिराग राजग गठबंधन में 43 सीट से अधिक की मांग कर रहे हैं. यही नहीं विधान परिषद में भी अपनी पार्टी की अच्छी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. इसके लिए चिराग राज्यपाल कोटे से चुने जाने वाले विधान पार्षदों के 12 सीटों में लोजपा की भागीदारी चाहते है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके खिलाफ हैं. इसलिए जो रवैया उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ नीतीश ने अख्तियार किया था. वहीं रणनीति लोजपा और चिराग पासवान के खिलाफ तैयार कर रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान के लिए विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ बने रहने के लिए या तो नीतीश कुमार के शरण में जाना होगा या फिर एनडीए की तरफ से जो सीट दिया जाएगा. उसे स्वीकार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर लोजपा को राजग से फिर बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है. विशेषज्ञ डीएम दिवाकर बताते हैं कि वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर यह कहा जा सकता है कि बिहार में नीतीश कुमार जिधर रहेंगे, सत्ता उधर ही जाएगी. इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार को नाराज कर लोजपा को खुश नहीं कर सकती है.

क्या नीतीश को फिर से आ रही मांझी की याद?
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश लोजपा की जगह जीतन राम मांझी को एक बार फिर से जदयू में शामिल कराना चाहते हैं. नीतीश दलित वोट की रणनीति पर काम कर रहे हैं. फिलहाल जीतन मांझी भी आरजेडी के रवैये से नाराज चल रहे हैं. कायास लागाए जा रहे हैं कि आगामी दिनों में मांझी जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

अरुण सिन्हा, भाजपा नेता
अरुण सिन्हा, भाजपा नेता

राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ने रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहा करते थे. क्योंकि जिधर पलड़ा भारी रहता है रामविलास उधर ही शिफ्ट करते रहे हैं. लेकिन फिलहाल तो लोजपा की ओर से अधिक सीट के लिये राजग पर दवाब बनाया जा रहा है.

चिराग पर बोलने से बच रहे भाजपा नेता
चिराग मामले पर अभी राजग गठबंधन में कोई भी नेता खुलकर नहीं बोल रहा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण सिन्हा का कहना है कि एनडीए एकजुट है. सीएम नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. इन सब के बीच जदयू के मंत्री अप्रत्यक्ष तौर पर लोजपा को जरूर मैसेज दे रहे हैं. जदयू कोटे से मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है कि राजग गठबंधन में जिस दल की जितनी शक्ति होगी, उसी के हिसाब से सीट मिलेगा. जदयू नेता चिराग को यह भी मैसेज दे रहे हैं कि इससे पहले भी जदयू और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा है और बहुमत की सरकार भी बनाई है.

अरुण सिन्हा, भाजपा नेता
अरुण सिन्हा, भाजपा नेता

लोकसभा की तर्ज सीटों का बंटवारा संभव
बिहार विधानसभा चुनाव में और बीजेपी के बीच कमोबेश लोकसभा की तर्ज पर ही सीटों का बंटवारा होना तय है. एनडीए ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान पहले की कर चुकी है. ऐसे में जदयू को बीजेपी से कुछ अधिक सीट मिल सकती है. सूत्र बता रहे हैं जदयू 115 और बीजेपी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दोनों दलों के बाद जो सीट बचेगी वह लोजपा के खाते में जाएगी. बता दें कि नीतीश कुमार लोजपा के हरहाल में 30 सीट के अंदर रखना चाहते हैं. सीट को लेकर चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश की नियत को भांप चुके हैं. जिस वजह से चिराग ने समय रहते राजग पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है.

लोजपा कार्यालय पटना
लोजपा कार्यालय पटना

अटका हुआ है विधान परिषदों का मनोनयन
बीते दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच बातचीत भी हुई थी. वहीं, भाजपा नेता भूपेंद्र यादव चिराग पासवान के साथ भी बैठक कर चुके हैं. विधानसभा की सीटों को लेकर अभी वार्ता शुरुआती दौड़ में है. आने वाले दिनों में सीटों की संख्या और किस विधानसभा सीट किस दल के खाते में जाएगी, उसपर चर्चा शुरू होगी. हालांकि, चिराग पासवान की ओर से रणनीति के तहत राजग पर दबाव जरूर बनाया जा रहा है. बता दें कि चिराग के कारण ही विधान परिषद के राज्यपाल कोटे से नॉमिनेट किए जानेवाले वाले 12 सीटों पर भी देखने को मिला था. ऐसे में यह तय है कि नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद एनडीए में चिराग की राह आसान नहीं होगी.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ रही है. एक तरफ जहां महागठबंधन खेमे में सीटों के बंटवारे और समन्वय समीति को लेकर खींचतान है. वहीं राजग गठबंधन में भी सब कुछ सही नहीं चल रहा है. एनडीए गठबंधन के प्रमुख घटक दल में से एक लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान अपने अलग स्टैंड पर डटे हुए हैं.

इन सब के बीच भी सत्ता की राजनीति नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. नीतीश कुमार लोजपा और चिराग पासवान को कुछ खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं. चिराग पासवान विधानसभा से लेकर विधान परिषद की जितनी सीटें मांग रहे हैं. उसके लिए ना तो खुद सीएम तैयार है और ना ही बीजेपी. हालंकि, भाजपा बीच का रास्ता जरूर निकालने की कोशिश कर रही है. लेकिन भाजपा अभी किसी भी हाल में नीतीश कुमार को भी नाराज नहीं करना चाह रही है.

उपेंद्र कुशवाहा की तरह अलग राह पर अडिग चिराग
बिहार एनडीए में जदयू,बीजेपी और लोजपा भागीदार है. लोकसभा चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी एनडीए से नाता तोड़ लिया था और उसका बड़ा कारण सीएम नीतीश कुमार माने जा रहे थे. कहा जाता है कि उस समय नीतीश कुमार यह नहीं चाहते थे कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में बने रहे.

भाजपा कार्यालय, पटना
भाजपा कार्यालय, पटना

आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा को लोकसभा चुनाव में एनडीए से बाहर निकलना पड़ा था. समय का पहिया कुछ लोकसभा चुनाव की तरह ही घूमा है. वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर कहा जा रहा है कि एकबार फिर से सीएम नीतीश नहीं चाहते हैं कि एनडीए में लोजपा को बहुत ज्यादा तवज्जो मिले. लोकसभा चुनाव के दौरान भी लोजपा ने जो रवैया अख्तियार किया. इसके कारण बीजेपी को छह लोकसभा सीट के साथ एक राज्य सभा की सीट भी देना पड़ा था.

43 सीटों की मांग कर रहे चिराग
मिल रही जानकारी के अनुसार चिराग पासवान विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान लोकसभा की तर्ज पर ही सीट चाहते हैं. चिराग राजग गठबंधन में 43 सीट से अधिक की मांग कर रहे हैं. यही नहीं विधान परिषद में भी अपनी पार्टी की अच्छी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है. इसके लिए चिराग राज्यपाल कोटे से चुने जाने वाले विधान पार्षदों के 12 सीटों में लोजपा की भागीदारी चाहते है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसके खिलाफ हैं. इसलिए जो रवैया उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ नीतीश ने अख्तियार किया था. वहीं रणनीति लोजपा और चिराग पासवान के खिलाफ तैयार कर रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान के लिए विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ बने रहने के लिए या तो नीतीश कुमार के शरण में जाना होगा या फिर एनडीए की तरफ से जो सीट दिया जाएगा. उसे स्वीकार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर लोजपा को राजग से फिर बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है. विशेषज्ञ डीएम दिवाकर बताते हैं कि वर्तमान राजनीतिक हालात को देखकर यह कहा जा सकता है कि बिहार में नीतीश कुमार जिधर रहेंगे, सत्ता उधर ही जाएगी. इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार को नाराज कर लोजपा को खुश नहीं कर सकती है.

क्या नीतीश को फिर से आ रही मांझी की याद?
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश लोजपा की जगह जीतन राम मांझी को एक बार फिर से जदयू में शामिल कराना चाहते हैं. नीतीश दलित वोट की रणनीति पर काम कर रहे हैं. फिलहाल जीतन मांझी भी आरजेडी के रवैये से नाराज चल रहे हैं. कायास लागाए जा रहे हैं कि आगामी दिनों में मांझी जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

अरुण सिन्हा, भाजपा नेता
अरुण सिन्हा, भाजपा नेता

राजनीतिक विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ने रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहा करते थे. क्योंकि जिधर पलड़ा भारी रहता है रामविलास उधर ही शिफ्ट करते रहे हैं. लेकिन फिलहाल तो लोजपा की ओर से अधिक सीट के लिये राजग पर दवाब बनाया जा रहा है.

चिराग पर बोलने से बच रहे भाजपा नेता
चिराग मामले पर अभी राजग गठबंधन में कोई भी नेता खुलकर नहीं बोल रहा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण सिन्हा का कहना है कि एनडीए एकजुट है. सीएम नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. इन सब के बीच जदयू के मंत्री अप्रत्यक्ष तौर पर लोजपा को जरूर मैसेज दे रहे हैं. जदयू कोटे से मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है कि राजग गठबंधन में जिस दल की जितनी शक्ति होगी, उसी के हिसाब से सीट मिलेगा. जदयू नेता चिराग को यह भी मैसेज दे रहे हैं कि इससे पहले भी जदयू और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा है और बहुमत की सरकार भी बनाई है.

अरुण सिन्हा, भाजपा नेता
अरुण सिन्हा, भाजपा नेता

लोकसभा की तर्ज सीटों का बंटवारा संभव
बिहार विधानसभा चुनाव में और बीजेपी के बीच कमोबेश लोकसभा की तर्ज पर ही सीटों का बंटवारा होना तय है. एनडीए ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान पहले की कर चुकी है. ऐसे में जदयू को बीजेपी से कुछ अधिक सीट मिल सकती है. सूत्र बता रहे हैं जदयू 115 और बीजेपी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दोनों दलों के बाद जो सीट बचेगी वह लोजपा के खाते में जाएगी. बता दें कि नीतीश कुमार लोजपा के हरहाल में 30 सीट के अंदर रखना चाहते हैं. सीट को लेकर चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश की नियत को भांप चुके हैं. जिस वजह से चिराग ने समय रहते राजग पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है.

लोजपा कार्यालय पटना
लोजपा कार्यालय पटना

अटका हुआ है विधान परिषदों का मनोनयन
बीते दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच बातचीत भी हुई थी. वहीं, भाजपा नेता भूपेंद्र यादव चिराग पासवान के साथ भी बैठक कर चुके हैं. विधानसभा की सीटों को लेकर अभी वार्ता शुरुआती दौड़ में है. आने वाले दिनों में सीटों की संख्या और किस विधानसभा सीट किस दल के खाते में जाएगी, उसपर चर्चा शुरू होगी. हालांकि, चिराग पासवान की ओर से रणनीति के तहत राजग पर दबाव जरूर बनाया जा रहा है. बता दें कि चिराग के कारण ही विधान परिषद के राज्यपाल कोटे से नॉमिनेट किए जानेवाले वाले 12 सीटों पर भी देखने को मिला था. ऐसे में यह तय है कि नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद एनडीए में चिराग की राह आसान नहीं होगी.

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