पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ अग्निपथ योजना को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच बढ़ रहे विवाद पर चर्चा की है. इस दौरान सीएम ने डीजीपी और आला अधिकारियों के साथ भी बैठक कर स्थिति की रिपोर्ट ली है. मुख्यमंत्री से आज 50 कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मुलाकात की है. सभी कार्यकर्ता काफी पहले मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा था.
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अग्निपथ योजना को लेकर सीएम की बैठक: ऐसे तो पार्टी कार्यालय में कार्यक्रम होना था, लेकिन अचानक मुख्यमंत्री ने एक अन्ने मार्ग में कार्यकर्ताओं से मिलने का फैसला लिया और अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित ललन सिंह, संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, पार्टी के वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा समेत सभी वरिष्ठ नेताओं को भी बुला लिया. मुख्यमंत्री ने पहले ही तय किया है कि महीने में एक से दो बार पार्टी के कार्यकर्ताओं से जदयू कार्यालय में मुलाकात करेंगे. जिसमें पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे. उसी के तहत आज यह कार्यक्रम किया गया था.
जदयू और बीजेपी नेताओं में बढ़ी तकरार: जिस प्रकार से अग्निपथ योजना को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच विवाद बढ़ा है. उसमें नीतीश कुमार का पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मुख्यमंत्री ने पार्टी नेताओं के साथ मंथन के बाद डीजीपी और आला अधिकारियों के साथ भी पूरी स्थिति पर चर्चा की है. ऐसे तो घटना के दिन से ही मुख्यमंत्री लगातार अपने आला अधिकारियों से रिपोर्ट ले रहे हैं और दिशा निर्देश भी दे रहे हैं. लेकिन जिस प्रकार से राजनीतिक घटनाक्रम लगातार बदल रहे हैं, खासकर जदयू और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बीच बयानबाजी हो रही है, उसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
संजय जायसवाल ने उठाए प्रशासन पर सवाल: एक तरफ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल प्रशासन के रवैए पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. बीजेपी कार्यालय और बीजेपी नेताओं के टारगेट किए जाने पर भी सवाल उठा रहे हैं. इधर, इसको लेकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी मोर्चा खोल रखा है. दोनों ओर से हो रहे बयानबाजी को लेकर कई तरह की चर्चा भी होने लगी है.
केंद्र ने बढ़ाई 12 नेताओं की सुरक्षा: दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने बीजेपी के 12 नेताओं की सुरक्षा भी बढ़ा दी है. जो बिहार सरकार पर एक तरह से केंद्र का तमाजा सजझा जा रहा है, क्योंकि अपने ही गठबंधन की सरकार में बीजेपी नेताओं पर जिस प्रकार से हमला हुआ और बीजेपी कार्यालय को कई जगह जलाया गया. उसके कारण बीजेपी खेमे में नाराजगी है और उसके बाद ही केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. लेकिन बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व नीतीश कुमार को नाराज करने से बच रहा है, क्योंकि अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है. जिसमें जदयू की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.ऐसे में नीतीश कुमार की नाराजगी बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है.
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