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घर लौट रहे मजदूरों को काम की दरकार, सरकार के लिए रोजगार मुहैया कराना बड़ी चुनौती

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Published : Apr 11, 2021, 5:48 PM IST

कोरोना एक बार फिर विकराल रूप धारण कर चुका है. बीते 24 घंटे में डेढ़ लाख से अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं. बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला भी काफी बढ़ गया है. वहीं, राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने को लेकर बैठक कर रही हैं.

प्रवासी मजदूर
पटना

पटना: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बाद एक बार फिर से बिहार में अन्य राज्यों से लौटने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है. लौटने वाले प्रवासी मजदूर और कामगारों को रोजगार देना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है. इस चुनौती का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबंधित विभागों को दिशा निर्देश जारी किए हैं.

यह भी पढ़ें: पटना एयरपोर्ट पर कोरोना का कहर, 5 यात्री मिले कोरोना पॉजिटिव

ग्रामीण विकास विभाग को सीएम ने दिए निर्देश
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सभी जिलों को अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूर और कामगार वर्ग के लोगों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है. विभाग द्वारा निर्देश दिया गया है कि जल्द ही शिविर लगाकर मनरेगा से जुड़े जॉब कार्ड बनवाया जाए और लौटने वाले लोगों में जो मनरेगा व अन्य योजना के तहत मजदूरी करना चाहते हैं, उन्हें जल्द से जल्द जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.

देखें रिपोर्ट

इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य भर के डीएम और अन्य आला अफसरों के साथ बैठक की. बैठक में जीविका समूह से महिलाओं को जोड़ने का भी निर्देश दिया गया. वहीं, जो मजदूरी करना चाहते हैं उन्हें 100 दिन रोजगार गारंटी के तहत काम दिया जाएगा.

फिर लॉकडाउन के डर से घर लौट रहे मजदूर
गौरतलब है कि इस बार महामारी के फैलने के अंदेशा को देखते हुए अन्य राज्यों में रहने वाले बिहारी प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेन और अन्य माध्यमों से अपने घर को लौट रहे हैं. लोगों को यह डर फिर सता रहा है कि कहीं अगर लॉकडाउन लग गया तो वह मुश्किल में पड़ जाएंगे और समय से अपने घर भी नहीं पहुंच सकेंगे.

बता दें कि बीते साल लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रवासी मजदूर बिहार लौटे. कोई 1232 किलोमीटर साइकिल चलाकर दिल्ली से सहरसा लौटा तो किसी ने दिल्ली से पैदल ही नवगछिया कूच किया. करीब 22 लाख बिहारी मजदूरों ने लॉकडाउन की मार झेली. इन्हीं सब वजहों से प्रवासी मजदूर कोरोना संक्रमण के दूसरे वेव को देखते हुए एक बार फिर घर की ओर बड़ी संख्या में रुख कर रहे हैं, और इन घर लौटते मजदूरों को रोजगार महुैया कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती नजर आ रही है.

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यह भी पढ़ें: फिर लौटा कोरोना का खौफ, दिल्ली-मुंबई से आ रही ट्रेनें फुल, खिड़कियों से घुस रहे यात्री

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ग्रामीण विकास विभाग को सीएम ने दिए निर्देश
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सभी जिलों को अन्य राज्यों से लौटने वाले मजदूर और कामगार वर्ग के लोगों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है. विभाग द्वारा निर्देश दिया गया है कि जल्द ही शिविर लगाकर मनरेगा से जुड़े जॉब कार्ड बनवाया जाए और लौटने वाले लोगों में जो मनरेगा व अन्य योजना के तहत मजदूरी करना चाहते हैं, उन्हें जल्द से जल्द जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा.

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इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य भर के डीएम और अन्य आला अफसरों के साथ बैठक की. बैठक में जीविका समूह से महिलाओं को जोड़ने का भी निर्देश दिया गया. वहीं, जो मजदूरी करना चाहते हैं उन्हें 100 दिन रोजगार गारंटी के तहत काम दिया जाएगा.

फिर लॉकडाउन के डर से घर लौट रहे मजदूर
गौरतलब है कि इस बार महामारी के फैलने के अंदेशा को देखते हुए अन्य राज्यों में रहने वाले बिहारी प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेन और अन्य माध्यमों से अपने घर को लौट रहे हैं. लोगों को यह डर फिर सता रहा है कि कहीं अगर लॉकडाउन लग गया तो वह मुश्किल में पड़ जाएंगे और समय से अपने घर भी नहीं पहुंच सकेंगे.

बता दें कि बीते साल लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रवासी मजदूर बिहार लौटे. कोई 1232 किलोमीटर साइकिल चलाकर दिल्ली से सहरसा लौटा तो किसी ने दिल्ली से पैदल ही नवगछिया कूच किया. करीब 22 लाख बिहारी मजदूरों ने लॉकडाउन की मार झेली. इन्हीं सब वजहों से प्रवासी मजदूर कोरोना संक्रमण के दूसरे वेव को देखते हुए एक बार फिर घर की ओर बड़ी संख्या में रुख कर रहे हैं, और इन घर लौटते मजदूरों को रोजगार महुैया कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती नजर आ रही है.

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