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पटना में हाथी का दांत साबित हो रहा ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल - Automatic traffic signal

डाक बंगला चौराहा पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिनेश ने बताया कि डाक बंगला चौराहा पर मौजूद ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल पूरी तरह से काम कर रहा है. ट्रैफिक का अधिक दबाव होने के बाद मौके पर मौजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअली तरीके से ट्रैफिक को हैंडल करते हैं.

पटना
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Published : Sep 15, 2020, 10:28 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 1:29 PM IST

पटना: नीदरलैंड की तर्ज पर राजधानी पटना में ट्रैफिक सिग्नल को हाईटेक करने का दावा फेल हो रहा है. दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक ट्रैफिक लाइट सिस्टम के नाम पर ट्रैफिक विभाग ने 26 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

पटना
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जिसमें 23 करोड़ रुपए की लागत से राजधानी पटना के तमाम चौक-चौराहे पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिस्टम लगाए गए थे और 3 करोड़ रूपये मेंटेनेंस करने वाली एजेंसी ने मेंटेनेंस के नाम पर लिया था. लेकिन आज हालात यह है कि राजधानी पटना के तमाम चौक-चौराहों पर कार्यरत ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल में से 90% ट्रैफिक सिग्नल काम नहीं कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

26 करोड़ ट्रैफिक लाइट बना हाथी का दांत
पटना के चौक-चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिस्टम की बात करें, तो 90 फीसदी ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल खराब पड़े हैं. इसके जरिए जो चालान काटने और ट्रैफिक नियंत्रण करने का कार्य शुरू हुआ था. उसे अब ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअल तरीके से चौक-चौराहों पर करते नजर आ रहे है. दरअसल, करोड़ों की लागत से इस योजना का लोकार्पण 24 फरवरी 2016 को हुआ था.

एसएसपी ऑफिस के डायल 100 के बगल में इसका कंट्रोल रूम भी बना था. वुडको ने वर्ष 2015 में नीदरलैंड की कंपनी को यह काम दिया था. राजधानी पटना के 97 स्थानों पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए. एक ट्रैफिक सिग्नल की कीमत उस समय 25 लाख रुपये बताई गई थी . इस योजना के तहत शहरी 72 स्थानों पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल व 25 ग्रामीण इलाकों में आने वाले प्रमुख चौराहों पर सिग्नल लाइट लगाने का कार्य हुआ था, लेकिन आज 4 साल के बाद भी 26 करोड़ की ये पूरी योजना हाथी का दांत साबित हो रही है.

कॉन्ट्रैक्ट का नहीं हुआ नवीनीकरण
सूत्रों की माने तो ट्राफिक सिग्नल की देखरेख और मॉनिटरिंग करने के लिए जिस कंपनी को जिम्मा दिया गया था. उसका कॉन्ट्रैक्ट 30 दिसंबर 2018 को ही खत्म हो गया. इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ. जिस कारण चौक-चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल का मेंटेनेंस नहीं हो पाया.

90% खराब पड़े हैं ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल
वहीं पटना के सबसे व्यस्ततम डाक बंगला चौराहा पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिनेश ने बताया कि डाक बंगला चौराहा पर मौजूद ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल पूरी तरह से काम कर रहा है. ट्रैफिक का अधिक दबाव होने के बाद मौके पर मौजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअली तरीके से ट्रैफिक को हैंडल करते हैं. हालाकी राजधानी पटना ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल 90% तक खराब पड़े हुए हैं और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. पटना के कुछ एक चौक-चौराहे को छोड़ सभी चौक-चौराहों पर मौजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअल तरीके से ट्रैफिक नियंत्रण करते देखे जा रहे हैं.

पटना: नीदरलैंड की तर्ज पर राजधानी पटना में ट्रैफिक सिग्नल को हाईटेक करने का दावा फेल हो रहा है. दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक ट्रैफिक लाइट सिस्टम के नाम पर ट्रैफिक विभाग ने 26 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

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जिसमें 23 करोड़ रुपए की लागत से राजधानी पटना के तमाम चौक-चौराहे पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिस्टम लगाए गए थे और 3 करोड़ रूपये मेंटेनेंस करने वाली एजेंसी ने मेंटेनेंस के नाम पर लिया था. लेकिन आज हालात यह है कि राजधानी पटना के तमाम चौक-चौराहों पर कार्यरत ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल में से 90% ट्रैफिक सिग्नल काम नहीं कर रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

26 करोड़ ट्रैफिक लाइट बना हाथी का दांत
पटना के चौक-चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिस्टम की बात करें, तो 90 फीसदी ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल खराब पड़े हैं. इसके जरिए जो चालान काटने और ट्रैफिक नियंत्रण करने का कार्य शुरू हुआ था. उसे अब ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअल तरीके से चौक-चौराहों पर करते नजर आ रहे है. दरअसल, करोड़ों की लागत से इस योजना का लोकार्पण 24 फरवरी 2016 को हुआ था.

एसएसपी ऑफिस के डायल 100 के बगल में इसका कंट्रोल रूम भी बना था. वुडको ने वर्ष 2015 में नीदरलैंड की कंपनी को यह काम दिया था. राजधानी पटना के 97 स्थानों पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए. एक ट्रैफिक सिग्नल की कीमत उस समय 25 लाख रुपये बताई गई थी . इस योजना के तहत शहरी 72 स्थानों पर ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल व 25 ग्रामीण इलाकों में आने वाले प्रमुख चौराहों पर सिग्नल लाइट लगाने का कार्य हुआ था, लेकिन आज 4 साल के बाद भी 26 करोड़ की ये पूरी योजना हाथी का दांत साबित हो रही है.

कॉन्ट्रैक्ट का नहीं हुआ नवीनीकरण
सूत्रों की माने तो ट्राफिक सिग्नल की देखरेख और मॉनिटरिंग करने के लिए जिस कंपनी को जिम्मा दिया गया था. उसका कॉन्ट्रैक्ट 30 दिसंबर 2018 को ही खत्म हो गया. इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ. जिस कारण चौक-चौराहों पर लगे ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल का मेंटेनेंस नहीं हो पाया.

90% खराब पड़े हैं ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल
वहीं पटना के सबसे व्यस्ततम डाक बंगला चौराहा पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिनेश ने बताया कि डाक बंगला चौराहा पर मौजूद ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिग्नल पूरी तरह से काम कर रहा है. ट्रैफिक का अधिक दबाव होने के बाद मौके पर मौजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअली तरीके से ट्रैफिक को हैंडल करते हैं. हालाकी राजधानी पटना ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिगनल 90% तक खराब पड़े हुए हैं और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. पटना के कुछ एक चौक-चौराहे को छोड़ सभी चौक-चौराहों पर मौजूद ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअल तरीके से ट्रैफिक नियंत्रण करते देखे जा रहे हैं.

Last Updated : Sep 19, 2020, 1:29 PM IST
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