पटना: राफेल लड़ाकू विमानों को गुरुवार को भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली भी मौजूद रहीं. मौके पर हरियाणा के अंबाला में एयरफोर्स स्टेशन पर 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के पायलटों ने राफेल विमानों के साथ कलाबाजियां भी दिखाईं. वहीं लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी ट्वीट कर राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने को ऐतिहासिक पल बताया.
चिराग पासवान ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें बधाई दी है. बता दें कि इन दिनों चिराग बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. वहीं एनडीए सहयोगी दल जेडीयू की कार्यशैली पर लगातार बगावती सुर छेड़ रहे हैं. इसलिए इन दिनों चिराग काफी चर्चा में हैं.
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वायुसेना में राफ़ेल का शामिल होना, एक ऐतिहासिक पल है।राफ़ेल के वायुसेना में शामिल होने से फ़्रांस और भारत के प्रगाढ़ रिश्ते को दर्शाता है।समस्त देश वासीयों को इस अवसर को हार्दिक बधाई।आदरणीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी व आदरणीय रक्षा मंत्री @rajnathsingh जी को विशेष बधाई। pic.twitter.com/NzkVnF80GG
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— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) September 10, 2020
राफेल विमान की खासियत
- दुनिया के सबसे ताकतवर लडाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
- यह विमान एक मिनट में 2,500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
- इसकी अधिकतम स्पीड 2,130 किमी/ घंटा है और यह 3,700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
- इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5,300 किलो ज्यादा है.
- राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी यह खूबी नहीं है.
हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाली स्कॉल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.
द गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन को मिलेगी कमान
राफेल विमानों का यह बेड़ा वायुसेना की 17वीं स्क्वॉड्रन को सौंपा जाएगा. इस स्क्वॉड्रन को द गोल्डन एरोज (The Golden Arrows) के नाम से जाना जाता है. इस स्क्वॉड्रन का बड़ा गौरवशाली इतिहास है. अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित यह वही स्क्वॉड्रन है, जिसने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. तब इस स्क्वॉड्रन की कमांड पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के हाथों में थी. तव वह इस स्क्वॉड्रन के विंग कमांडर थे. 17वीं स्क्वॉड्रन के बमवर्षक में मिग-21 प्रमुख रूप से शामिल थे.
जब देश में मिग-21 विमानों की दुर्घटना ज्यादा होने लगी तो इस विमान को वायुसेना से बाहर किया जाने लगा. इसके बाद 2016 में इस स्क्वाड्रन को भंग कर दिया था, लेकिन राफेल मिलने के साथ ही इस स्क्वाड्रन को फिर से सक्रिय किया गया है. सितंबर 2019 में द गोल्डन एरोज को एक बार फिर से बहाल कर दिया गया. सरकार ने फैसला किया कि नए राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती यहीं पर की जाएगी. इसी के साथ ही हवा के यह जांबाज राफेल की ताकत से लैस होकर देश की हिफाजत करने को फिर से तैयार हैं.
भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे हैं, जिसमें से पांच विमान आ चुके हैं और बाकी विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. भारतीय वायुसेना में राफेल की एंट्री के साथ ही अब कोई भी मुल्क भारत की ओर नजर उठाकर देखने से पहले 10 बार सोचेगा.