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विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में चिराग और कन्हैया की साख दांव पर

चिराग पासवान कुशेश्वरस्थान और तारापुर में कितना वोट लाते हैं इस पर उनका भविष्य तय होगा. उपचुनाव में कन्हैया यदि कांग्रेस को ठीक- ठाक वोट दिला पाते हैं तो भविष्य में पार्टी उनपर दांव लगा सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

चिराग और कन्हैया
चिराग और कन्हैया
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Published : Oct 31, 2021, 6:32 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव (Bihar By-Election) के बाद अब रिजल्ट पर सबकी नजर है. 2 नवंबर को मतगणना (By-Election Counting) होगी. कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने पहली बार उपचुनाव में प्रचार किया. वहीं, चिराग पासवान लोजपा के टूटने के बाद फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हैं. ऐसे में दोनों की राजनीतिक साख दांव पर लगी है.

यह भी पढ़ें- 'सरकार गिराने की बात कहने से नहीं होगा कुछ, 16 सालों से चल रही नीतीश सरकार आगे भी चलेगी'

बिहार में तारापुर और कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को वोट डाला गया था. जदयू और आरजेडी के तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं. महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारा था. कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया ने पहली बार चुनाव प्रचार किया था. वहीं, चिराग पासवान ने पार्टी (लोजपा) टूटने के बाद उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है.

देखें रिपोर्ट

"चिराग पासवान की पार्टी अभी नई है. उनका चुनाव चिह्न नया है. लोगों को बीच इसका उतना प्रचार नहीं हुआ है. इसके बाद भी उनकी राजनीतिक साख दांव पर लगी है. अगर वह इस चुनाव में उभरकर सामने नहीं आते हैं तो उनपर प्रश्न चिह्न लग जाएगा. पिछले चुनाव में उन्होंने अपनी ताकत दिखाई थी. इस उपचुनाव में कन्हैया की कहीं कोई बड़ी रैली नहीं दिखी. बिहार कांग्रेस के नेतृत्व ने कहीं न कहीं उनसे परहेज किया है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

चिराग पासवान पर सबकी नजर है. क्योंकि विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी. हालांकि केवल एक विधायक ही उनकी पार्टी के जीत पाए और वह भी अब जदयू में शामिल हो गए हैं. चिराग पासवान के कारण जदयू तीसरे नंबर की पार्टी हो गई. जदयू नेताओं की नाराजगी अभी भी खत्म नहीं हुई है.

"पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने जरूर कंफ्यूजन पैदा किया था. बीजेपी ही लोजपा है और लोजपा ही बीजेपी का भ्रम फैलाया. उन्हें इस कारण काफी वोट मिल गए. इस बार न तो उनके पास पार्टी है और न सांसद, विधायक, विधान पार्षद व संगठन. अब तो वह बुझे हुए चिराग रह गए हैं."- निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि चिराग पासवान कुशेश्वरस्थान और तारापुर में कितना वोट लाते हैं इस पर उनका भविष्य तय होगा. यदि किसी दल के साथ गठबंधन करते हैं तो उनके इसी ताकत पर गठबंधन होगा. वहीं, कन्हैया यदि कांग्रेस को ठीक- ठाक वोट दिला पाते हैं तो भविष्य में पार्टी उनपर दांव लगा सकती है. ऐसे में दोनों की राजनीतिक साख विधानसभा के उपचुनाव पर टिकी है. अब देखना है कि कांग्रेस और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) पार्टी को कितना वोट मिलता है.

यह भी पढ़ें- बेटे की शहादत पर बोले पिता- '4 दिन पहले मां से की थी बात, बोला था- धूमधाम से करेंगे छोटी की शादी.. 22 नवंबर को आ रहे घर'

पटना: बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव (Bihar By-Election) के बाद अब रिजल्ट पर सबकी नजर है. 2 नवंबर को मतगणना (By-Election Counting) होगी. कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने पहली बार उपचुनाव में प्रचार किया. वहीं, चिराग पासवान लोजपा के टूटने के बाद फिर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में लगे हैं. ऐसे में दोनों की राजनीतिक साख दांव पर लगी है.

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बिहार में तारापुर और कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को वोट डाला गया था. जदयू और आरजेडी के तरफ से जीत के दावे हो रहे हैं. महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ने भी दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारा था. कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया ने पहली बार चुनाव प्रचार किया था. वहीं, चिराग पासवान ने पार्टी (लोजपा) टूटने के बाद उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है.

देखें रिपोर्ट

"चिराग पासवान की पार्टी अभी नई है. उनका चुनाव चिह्न नया है. लोगों को बीच इसका उतना प्रचार नहीं हुआ है. इसके बाद भी उनकी राजनीतिक साख दांव पर लगी है. अगर वह इस चुनाव में उभरकर सामने नहीं आते हैं तो उनपर प्रश्न चिह्न लग जाएगा. पिछले चुनाव में उन्होंने अपनी ताकत दिखाई थी. इस उपचुनाव में कन्हैया की कहीं कोई बड़ी रैली नहीं दिखी. बिहार कांग्रेस के नेतृत्व ने कहीं न कहीं उनसे परहेज किया है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

चिराग पासवान पर सबकी नजर है. क्योंकि विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी. हालांकि केवल एक विधायक ही उनकी पार्टी के जीत पाए और वह भी अब जदयू में शामिल हो गए हैं. चिराग पासवान के कारण जदयू तीसरे नंबर की पार्टी हो गई. जदयू नेताओं की नाराजगी अभी भी खत्म नहीं हुई है.

"पिछले चुनाव में चिराग पासवान ने जरूर कंफ्यूजन पैदा किया था. बीजेपी ही लोजपा है और लोजपा ही बीजेपी का भ्रम फैलाया. उन्हें इस कारण काफी वोट मिल गए. इस बार न तो उनके पास पार्टी है और न सांसद, विधायक, विधान पार्षद व संगठन. अब तो वह बुझे हुए चिराग रह गए हैं."- निखिल मंडल, प्रवक्ता, जदयू

राजनीतिक जानकार यह भी कह रहे हैं कि चिराग पासवान कुशेश्वरस्थान और तारापुर में कितना वोट लाते हैं इस पर उनका भविष्य तय होगा. यदि किसी दल के साथ गठबंधन करते हैं तो उनके इसी ताकत पर गठबंधन होगा. वहीं, कन्हैया यदि कांग्रेस को ठीक- ठाक वोट दिला पाते हैं तो भविष्य में पार्टी उनपर दांव लगा सकती है. ऐसे में दोनों की राजनीतिक साख विधानसभा के उपचुनाव पर टिकी है. अब देखना है कि कांग्रेस और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) पार्टी को कितना वोट मिलता है.

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