पटना : आर्सेनिक प्राकृतिक रूप से भूजल में पाया जाने वाला तत्व है, जो एक निर्धारित मात्रा से अधिक व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाए तो जानलेवा हो जाता है. बिहार के गंगा नदी के समीपवर्ती 14 जिले ऐसे हैं जो आर्सेनिक प्रभावित हैं. यहां पानी में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से काफी अधिक होने की वजह से ही इस क्षेत्रों में लोगों को गॉल ब्लैडर के कैंसर समेत कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
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आर्सेनिक से मुक्त करेगा मैग्नेट फिल्टर : बिहार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की माने तो प्रदेश में 5000 ऐसे वार्ड क्षेत्र हैं जहां ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक की मात्रा सामान्य से 10 से 1000 गुना अधिक है. बाजार में पानी से आर्सेनिक फिल्टर करने वाली जो मशीनें हैं वह काफी महंगी है, लेकिन बाल भवन किलकारी के बच्चों ने मैग्नेटिक आर्सेनिक फिल्टर तैयार किया है जो काफी किफायती है और एक पैसे की लागत में 10000 लीटर पानी से आर्सेनिक फिल्टर करता है.
5 साल में तैयार हुआ फिल्टर : किलकारी के बच्चों ने बिहार लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के साथ मिलकर 5 वर्षों के समय अवधि में तैयार किया है. इस पूरे रिसर्च को भारत सरकार की पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के एप्रूव्ड इनोवेटिव टेक्नोलॉजी के लिस्ट में शामिल किया गया है. इस तकनीक का उपयोग केंद्र एवं अन्य राज्य, जेम पोर्टल से खरीद कर उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही किलकारी के वेबसाइट पर इसका लाइसेंस उपलब्ध है और इच्छुक वेंडर लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
किलकारी के बच्चों का कमाल इस फ़िल्टर का निर्माण किलकारी के चार बच्चे अर्पित कुमार, अभिजीत कुमार, शाम्भवी सिन्हा और अक्षत आदर्श ने मिलकर तैयार किया है. रिसर्च टीम के अभिजीत कुमार ने बताया कि कम मेंटेनेंस और कम कैपिटल कॉस्ट को ध्यान में रखते हुए उन लोगों ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है और मैग्नेटिक आर्सेनिक फिल्टर एक पैसे में 1000 लीटर से अधिक पानी फिल्टर करता है. उन्होंने बताया कि इसमें कोण सेप के 3 लेयर में मैग्नेटिक फिल्टर लगाए गए हैं जो पानी से आर्सेनिक को फिल्टर करता है.
बिना कैमिकल के देता है शुद्ध जल : इस रिसर्च के एक और छात्र अर्पित कुमार ने कहा कि ''इसमें किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. एक बार मैग्नेट डालने के बाद इसकी लाइफटाइम 10 साल से ज्यादा है. यह फिल्टर 3 स्टेज में काम करता है. पहला स्टेज प्री फिल्टर का है, दूसरा स्टेज मैग्नेट का है और तीसरा पोस्ट फिल्टर का है जो कि ऑप्शनल है. सबसे पहले पानी कार्बन फिल्टर से छनता है जिसमें डस्ट पार्टिकल होते हैं. दूसरे चरण में पानी मैग्नेट में जाता है, जिसमें पानी से आर्सेनिक अलग होता है. तीसरा स्टेज ऑप्शनल है, यह तब अप्लाई होता है जब पानी में मिट्टी की मात्रा बहुत हो.''
1 घंटे में 1.5 लाख लीटर पानी साफ करने की क्षमता : इस प्रोजेक्ट के एक और छात्र अक्षत आदर्श ने कहा कि इस फिल्टर का पहले पायलट ट्रायल भी किया जा चुका है. पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसे भोजपुर और बक्सर के 4 ब्लॉक में इंस्टॉल किया है. दो चरणों में इसका पायलट ट्रायल किया गया. पहले चपाकलों और दूसरा बोरिंग समरसेबल में, और यह दोनों ट्रायल 5 मध्य विद्यालयों में किया गया जहां बच्चों की कैपेसिटी लगभग ढाई हजार थी. अब तक इस फिल्टर से 22 लाख लीटर पानी को ट्रीट किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि मैग्नेटिक आर्सेनिक फिल्टर का दो मॉडल तैयार किया गया है. इस फिल्टर का मार्केट कॉस्ट कम्युनिटी के लिए लगभग 50 हजार है. वहीं, वार्ड स्तर के लिए लगभग 5-6 लाख है. वार्ड स्तर तक के महज एक घंटे में 1.5 लाख लीटर पानी साफ करने की क्षमता है.
'बच्चे कर रहे किलकारी का नाम' : बाल भवन किलकारी की निदेशक ज्योति परिहार ने कहा कि ''किलकारी बच्चों के लिए जाना जाता था और आज बच्चों की उपलब्धियों से किलकारी जाना जाने लगा है और यह उनके लिए बेहद ही गौरव का क्षण है. कभी बच्चों में साइंटिफिक टेंपरामेंट को डिवेलप करने के लिए बच्चों को साइंस से जोड़ने के लिए उन लोगों को मशक्कत करना पड़ता था और आज बच्चे साइंस के क्षेत्र में अपने रिसर्च से नाम बना रहे हैं. बच्चों के इस उपलब्धि से मैं बेहद खुश हूं और गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.''