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'कोरोना के खिलाफ लड़ाई में CM नीतीश कुमार कई फैसले लेने में केंद्र से भी आगे'

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Published : Apr 7, 2020, 8:56 PM IST

बीजेपी के विधान पार्षद नवल यादव भी कहते हैं कि नीतीश परिस्थितियों के अनुसार समीक्षा कर रणनीति तैयार करते हैं और इसी कारण कई फैसलों में इस बार भी आगे हैं. वहीं, जेडीयू मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि विशिष्ट कार्य शैली नीतीश कुमार की पहचान है और जब भी अवसर मिला है, उसे मुख्यमंत्री ने चुनौती के रूप में लिया है.

कोरोना
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पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना वायरस को लेकर फैसला लेने में केंद्र सरकार से एक कदम आगे दिख रहे हैं. बिहार में लॉकडाउन की घोषणा मुख्यमंत्री ने 22 मार्च को ही कर दी थी. जबकि पूरे देश में प्रधानमंत्री ने 2 दिन बाद लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसी तरह कई फैसले केंद्र सरकार से पहले मुख्यमंत्री ने ली है. आपदा के समय मुख्यमंत्री पहले भी अपना कौशल दिखाते रहे हैं. मुख्यमंत्री की मॉनिटरिंग के कारण ही कोरोना वायरस मामले में बिहार कई राज्यों से आज बेहतर स्थिति में है.

कोरोना की लड़ाई में केंद्र से एक कदम आगे नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक के बाद एक बड़े फैसले लिए हैं. कई फैसले तो केंद्र से भी पहले लिए हैं. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से पूरे देश को दिशा दिखाने की कोशिश की है.

1. नीतीश कुमार ने 22 मार्च को ही बिहार में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी थी और 23 मार्च से शुरू भी हो गया. वहीं, प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को घोषणा की और 25 मार्च से लॉकडाउन पूरे देश में लगा.

2. मुख्यमंत्री ने 27 मार्च को कोरोना उन्मूलन कोष का गठन कर दिया. नीतीश कुमार ने सभी विधायक और विधान पार्षद के फंड से न्यूनतम 50 लाख की राशि इस कोष में डालने का संकल्प भी जारी किया. दस दिन बाद केंद्र सरकार की ओर से कैबिनेट की बैठक में 6 अप्रैल को सांसदों का वेतन 30% काटने और 2 साल तक सांसद निधि की राशि नहीं देने का फैसला लिया.

3. एक लाख से अधिक बिहार से बाहर रहने वाले लोगों के अकाउंट में 1000 की सहायता राशि भी डाल दी गई है. ऐसा करने वाला बिहार पहला राज्य है. एक लाख से अधिक आवेदन की जांच पड़ताल भी हो रही है.

patna
बीजेपी के विधान पार्षद नवल यादव और जेडीयू मंत्री नीरज कुमार

बता दें कि नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस को लेकर कई बेहद अहम फैसले लिए हैं. निर्णय लेने में कई राज्यों से नीतीश आगे रहे हैं. सहयोगी बीजेपी के विधान पार्षद नवल यादव भी कहते हैं कि नीतीश परिस्थितियों के अनुसार समीक्षा कर रणनीति तैयार करते हैं और इसी कारण कई फैसलों में इस बार भी आगे हैं. वहीं, जेडीयू मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि विशिष्ट कार्य शैली नीतीश कुमार की पहचान है और जब भी अवसर मिला है, उसे मुख्यमंत्री ने चुनौती के रूप में लिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नीतीश की कार्यशैली के विपक्ष भी रहते हैं कायल
बिहार में 4 हजार से अधिक कोरोना वायरस के संदिग्ध लोगों के सैंपल की जांच हो चुकी है. जिसमें से केवल 34 लोगों में ही पॉजिटिव मिला है और 15 लोग इलाज कराकर स्वस्थ हो चुके हैं. यह स्थिति तब है, जब दो लाख के करीब अप्रवासी बिहारी लॉकडाउन के बाद बिहार पहुंचे हैं और बड़ी संख्या में मरकज के लोग भी बिहार लौटे हैं. लेकिन नीतीश कुमार पिछले 3 सप्ताह से लगातार खुद हर चीज की मानिटरिंग कर रहे हैं और उसी का परिणाम है कि बिहार दूसरे राज्यों से बेहतर स्थिति में है. नीतीश कुमार की इसी कार्यशैली के विपक्ष के कई नेता भी कायल रहते हैं.

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना वायरस को लेकर फैसला लेने में केंद्र सरकार से एक कदम आगे दिख रहे हैं. बिहार में लॉकडाउन की घोषणा मुख्यमंत्री ने 22 मार्च को ही कर दी थी. जबकि पूरे देश में प्रधानमंत्री ने 2 दिन बाद लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसी तरह कई फैसले केंद्र सरकार से पहले मुख्यमंत्री ने ली है. आपदा के समय मुख्यमंत्री पहले भी अपना कौशल दिखाते रहे हैं. मुख्यमंत्री की मॉनिटरिंग के कारण ही कोरोना वायरस मामले में बिहार कई राज्यों से आज बेहतर स्थिति में है.

कोरोना की लड़ाई में केंद्र से एक कदम आगे नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक के बाद एक बड़े फैसले लिए हैं. कई फैसले तो केंद्र से भी पहले लिए हैं. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से पूरे देश को दिशा दिखाने की कोशिश की है.

1. नीतीश कुमार ने 22 मार्च को ही बिहार में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी थी और 23 मार्च से शुरू भी हो गया. वहीं, प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को घोषणा की और 25 मार्च से लॉकडाउन पूरे देश में लगा.

2. मुख्यमंत्री ने 27 मार्च को कोरोना उन्मूलन कोष का गठन कर दिया. नीतीश कुमार ने सभी विधायक और विधान पार्षद के फंड से न्यूनतम 50 लाख की राशि इस कोष में डालने का संकल्प भी जारी किया. दस दिन बाद केंद्र सरकार की ओर से कैबिनेट की बैठक में 6 अप्रैल को सांसदों का वेतन 30% काटने और 2 साल तक सांसद निधि की राशि नहीं देने का फैसला लिया.

3. एक लाख से अधिक बिहार से बाहर रहने वाले लोगों के अकाउंट में 1000 की सहायता राशि भी डाल दी गई है. ऐसा करने वाला बिहार पहला राज्य है. एक लाख से अधिक आवेदन की जांच पड़ताल भी हो रही है.

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बीजेपी के विधान पार्षद नवल यादव और जेडीयू मंत्री नीरज कुमार

बता दें कि नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस को लेकर कई बेहद अहम फैसले लिए हैं. निर्णय लेने में कई राज्यों से नीतीश आगे रहे हैं. सहयोगी बीजेपी के विधान पार्षद नवल यादव भी कहते हैं कि नीतीश परिस्थितियों के अनुसार समीक्षा कर रणनीति तैयार करते हैं और इसी कारण कई फैसलों में इस बार भी आगे हैं. वहीं, जेडीयू मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि विशिष्ट कार्य शैली नीतीश कुमार की पहचान है और जब भी अवसर मिला है, उसे मुख्यमंत्री ने चुनौती के रूप में लिया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नीतीश की कार्यशैली के विपक्ष भी रहते हैं कायल
बिहार में 4 हजार से अधिक कोरोना वायरस के संदिग्ध लोगों के सैंपल की जांच हो चुकी है. जिसमें से केवल 34 लोगों में ही पॉजिटिव मिला है और 15 लोग इलाज कराकर स्वस्थ हो चुके हैं. यह स्थिति तब है, जब दो लाख के करीब अप्रवासी बिहारी लॉकडाउन के बाद बिहार पहुंचे हैं और बड़ी संख्या में मरकज के लोग भी बिहार लौटे हैं. लेकिन नीतीश कुमार पिछले 3 सप्ताह से लगातार खुद हर चीज की मानिटरिंग कर रहे हैं और उसी का परिणाम है कि बिहार दूसरे राज्यों से बेहतर स्थिति में है. नीतीश कुमार की इसी कार्यशैली के विपक्ष के कई नेता भी कायल रहते हैं.

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