पटना: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कांग्रेस और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी समेत राजद नेताओं की ओर से लगातार शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग की जा रही है. पिछले साल दबाव में ही संशोधन किए गए थे, जिसमें पहली बार शराबियों को जुर्माना देकर छोड़ने की व्यवस्था की गई थी. कई तरह के कानूनों में भी ढिलाई बरती गई. गरीबों की गिरफ्तारी नहीं करने के भी निर्देश दिए. अब एक बार जहरीली शराब से मौत के मामले में मुआवजे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यू-टर्न ले लिया है. अब सरकार मृतकों के परिजनों को 4 लाख की राशि देगी. इसे भी सहयोगी दलों के दबाव में कहीं लिया गया फैसला माना जा रहा है. जल्द ही सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि सर्वदलीय बैठक से पहले महागठबंधन के घटक दलों की बैठक होगी. उसमें भी कोई बड़ा फैसला हो सकता है.
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नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला : जहरीली शराब से मौत का सिलसिला बिहार में रुक नहीं रहा है. नीतीश कुमार लगातार कहते रहे कि जो पिएगा तो मरेगा. छपरा में 77 लोगों की मौत हो गई तो ही पूर्वी चंपारण में 37 लोगों की मौत की अब तक खबर है. पहले भी काफी संख्या में जहरीली शराब से लोगों की मौत हो चुकी है. शराबबंदी कानून की समीक्षा और जहरीली शराब से मौत मामले में मुआवजा की मांग जदयू को छोड़कर सभी दलों की ओर से होती रही है. लेकिन, नीतीश कुमार ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया. हालांकि दबाव में शराबबंदी कानून में संशोधन जरूर किया और कई कानून को शिथिल भी किया है. जिसमें पिछले साल जो संशोधन किए गए, उस के तहत पहली बार जुर्माना देकर छोड़ने की व्यवस्था की गई. संपत्ति जब्ती को लेकर भी कई तरह की राहत दी गई. लेकिन अब एक बार फिर से नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लिया है. जहरीली शराब से मौत मामले में परिजनों को चार लाख की राशि सरकार देगी.
नीतीश का यूटर्न या बदलाव के संकेत? : नीतीश कुमार के फैसले को कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष के बढ़ते दबाव के रूप में लिया गया फैसला माना जा रहा है. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी लगातार शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग कर रहे थे और इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग भी कर रहे थे. कांग्रेस के तरफ से भी यह मांग हो रही थी और वामपंथी दलों के तरफ से भी दबाव बनाया जा रहा था. आरजेडी के नेता भले ही खुलकर बयान नहीं दे रहे थे, लेकिन आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व के तरफ से मुख्यमंत्री पर दबाव था. दूसरी तरफ से बीजेपी के सुशील मोदी सम्राट चौधरी संजय जयसवाल, विजय सिन्हा सहित केंद्रीय नेताओं की तरफ से भी शराबबंदी को ठीक से लागू नहीं करने को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा था.
क्या कहती है HAM : पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंत्री संतोष सुमन का कहना है कि हमारी पार्टी की तरफ से तो लगातार मांग हो रही थी. हमारे नेता जीतन राम मांझी गरीबों के हित में लगातार बोल रहे थे और मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता दिखाते हुए यह फैसला लिया है. सर्वदलीय बैठक को लेकर संतोष सुमन का कहना है कि जरूरत पड़ेगी तो मुख्यमंत्री सर्वदलीय बैठक भी करेंगे और उसकी भी मांग हम लोग के तरफ से होती रही है. निश्चित रूप से वह बैठक होगी और उसमें भी बड़ा फैसला होगा.
कब होगी सर्वदलीय बैठक: ऐसे तो आरजेडी के तरफ से नीतीश कुमार पर काफी दबाव था. जब आरजेडी विपक्ष में थी तो शराबबंदी समाप्त करने तक की मांग कर रही थी. हालांकि अब सत्ता में आने के बाद पार्टी के नेता खुलकर बयान नहीं दे रहे हैं, लेकिन प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है यू टर्न की बात नहीं है और ना ही कोई दबाव की बात है. सभी दलों की मांग थी और मुख्यमंत्री ने गरीबों के हित में फैसला लिया है. शराबबंदी कानून का सभी ने समर्थन किया था, मानव श्रृंखला भी बनाई गई थी. अब भले बीजेपी विरोध में बोल रही है सर्वदलीय बैठक पर आरजेडी प्रवक्ता ने कहा जरूरत पड़ेगी तो सर्वदलीय बैठक भी होगी.
आरोपों पर जेडीयू का स्टैंड: जदयू प्रवक्ता हिमराज राम का कहना है कि दबाव में फैसला नहीं लिया गया है. मुख्यमंत्री को जब भी जरूरत हुआ तो कानून में उन्होंने संशोधन किया है. मुख्यमंत्री को लगा है जो शराब पीने से जिनकी मौत हुई है, उनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं है और ऐसे में सरकार की तरफ से यह मदद दी जा रही है. सर्वदलीय बैठक की जरूरत होगी तो मुख्यमंत्री जरूर करेंगे.
''हम लोगों का लगातार दबाव था. जहरीली शराब से जो मौत हो रही है वह सरकार की शराबबंदी कानून सही ढंग से लागू नहीं करने के कारण हो रही है. यह सरकार का फेल्योर है. इसलिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए और बीजेपी के दबाव में ही यह फैसला लिया गया है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता बीजेपी
'इनके बारे में भी नीतीश को सोचना चाहिए': एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि सरकार फैसला लेने से पहले निश्चित रूप से अध्ययन करवाई होगी और एक तरफ महागठबंधन का दबाव भी हो सकता है. लेकिन सरकार को एक और बड़ा कदम उठाने की जरूरत है जो शराब पीने के कारण जेल में बंद हैं, उनको भी एक बार राहत मिलनी चाहिए.
सर्वदलीय फैसले पर दिख सकती है 2024 की छाप: छपरा के बाद चंपारण में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है. उसके बाद नीतीश कुमार पर विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष का भी दबाव है और इसीलिए नीतीश कुमार ने अपना फैसला बदल लिया है और जो जानकारी मिल रही है वह भी सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग को लेकर दबाव में है और बैठक कर सकते हैं. जल्द बैठक बुलाने का फैसला हालांकि बैठक कब होगी अभी तारीख तय नहीं हुई है। सूत्र बता रहे हैं कि जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी और उसमें भी सरकार 2024 के चुनाव को देखते हुए कोई बड़ा फैसला ले सकती है.