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CM ने 268 करोड़ की लागत से कृषि विश्वविद्यालय के भवनों का किया उद्घाटन

सीएम ने कहा गंगा किनारे 2.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की शुरुआत की गई है. केंद्र सरकार की ओर से भी कृषि के विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. राष्ट्रीय कृषि वागवानी मिशन 23 जिलों में शुरु की गई है, बाकि बचे जिलों में राज्य सरकार की तरफ से ये कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.

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Published : Aug 19, 2020, 7:27 AM IST

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के प्रशासनिक भवन एवं शैक्षणिक-सह-प्रयोगशाला भवनों का उद्घाटन किया.

सीएम नो किया कृषि विश्वविद्यालय के भवनों का उद्घाटन
इस दौरान सीएम ने कहा कि कृषि महाविद्यालय सबौर की स्थापना वर्ष 1908 में की गई थी और ये देश के पहले 5 कृषि महाविद्यालयों में से एक है. कृषि महाविद्यालय सबौर को 5 अगस्त 2010 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के रुप में परिणत किया गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा जो कि अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रुप में परिणत हो गया है. यह कृषि विश्वविद्यालय वर्ष 1905 में समस्तीपुर जिले के एक गांव में यू. एस. ए. के हेनरी फिप्स के सहयोग से इंपिरियल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के रुप में स्थापित किया गया था.

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना
सीएम ने कहा कि वर्ष 1934 में भूकंप के कारण हुए नुकसान के बाद वर्ष 1936 में इस संस्थान को दिल्ली में स्थापित कर दिया गया. वर्तमान में यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली के नाम से जाना जाता है. वर्ष 1970 में पूसा समस्तीपुर में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय
सीएम नीतीश ने कहा कि डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रुप में परिणत करने के पश्चात हमलोगों ने निर्णय लिया कि बिहार में एक बिहार कृषि विश्वविद्यालय स्थापित हो और इसे सबौर में ही स्थापित किया गया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से जुड़े हुए और 5 नये कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई है. नालंदा के नूरसराय में उद्यान महाविद्यालय, सहरसा में मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, डुमरांव में वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय तथा किशनगंज में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम साहब के निधन के अगले दिन ही उनके सम्मान में उनके नाम पर ही किशनगंज महाविद्यालय का नाम डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय करने का निर्णय लिया गया. जहां 10 अगस्त 2015 से ही पढ़ाई शुरु की गई. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय जैसा बड़ा कैंपस पूरे देश में कही नहीं है.

मुख्यमंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु:-

  1. मुख्य प्रशासनिक भवनों के साथ अन्य भवनों का उद्घाटन हुआ है, जिस पर 268 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं.
  2. बिहार के विकास के लिए कृषि का विकास बहुत जरूरी है.
  3. कृषि रोड मैप लागू होने से फसलों का उत्पादन और उनकी उत्पादकता दोनों बढ़ी है.
  4. मखाना पर और काम करने की जरूरत है. मखाना से देष भर को लगाव है. इसकी उत्पादन एवं उत्पादकता और बढ़े. हमलोगों का सपना है कि हर भारतीय थाल में एक बिहारी व्यंजन जरुर हो.
  5. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर अब राष्ट्रीय रैंकिंग में 18 वें नंबर पर आ गया है.
  6. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की ओर से धान के लिए सबौर अर्द्ध जल एवं गेहूं के लिए सबौर निर्जल प्रभेद विकसित किये गये हैं, यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है.
  7. जर्दालु आम, कतरनी चावल, मगही पान एवं शाही लीची को पेटेंट कर जीआई टैग प्राप्त हुआ है. बिहार के विशिष्ट उत्पाद मखाना भी जल्द से जल्द जी आई टैग प्राप्त करने की सभी कार्रवाई पूरी कर ली गई है.
  8. मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए राज्य के 8 जिलों में जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसे राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित करने को लेकर योजना बनाई जा रही है.
  9. पर्यावरण संरक्षण के लिए हमलोगों ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की है. जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है कि जल है, हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है.
  10. फसल अवशेष (पराली) जलाने से हो रहे पर्यावरण को नुकसान से बचाव के लिए किसानों को जागरूक करना होगा.
  11. हरित आवरण बढ़ाने के उद्देश्य से 9 अगस्त 2020 तक 2.51 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य से आगे बढ़कर 3 करोड़ 47 लाख पौधे लगाये गये हैं.

जल-जीवन-हरियाली अभियान
बिहार में पर्यावरण के प्रति सभी लोग जागरुक हैं. 19 जनवरी 2020 को राज्य में 18 हजार किलोमीटर से अधिक की मानव श्रृंखला में जल-जीवन-हरियाली अभियान के समर्थन में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए राज्य के 8 जिलों में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया, पूसा, डॉ. राजेन्द्र केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र पूर्वी क्षेत्र, पटना के केंद्रों के माध्यम से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसे राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित करने को लेकर योजना बनाई जा रही है.

जैविक खेती की शुरुआत
सीएम ने कहा गंगा किनारे 2.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की शुरुआत की गई है. केंद्र सरकार की ओर से भी कृषि के विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. राष्ट्रीय कृषि वागवानी मिशन 23 जिलों में शुरु की गई है, बाकि बचे जिलों में राज्य सरकार की तरफ से ये कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.

कई नेता रहे उपस्थित
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार, भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चैधरी, सचिव कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन एन. सरवन कुमार, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, योजना एवं विकास विभाग के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भागलपुर के सांसद अजय कुमार मंडल, विधायक लक्ष्मीकांत मंडल, विधायक सुबोध राय सहित अन्य जन प्रतिनिधिगण, वैज्ञानिकगण, शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें जुड़े हुए थे.

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के प्रशासनिक भवन एवं शैक्षणिक-सह-प्रयोगशाला भवनों का उद्घाटन किया.

सीएम नो किया कृषि विश्वविद्यालय के भवनों का उद्घाटन
इस दौरान सीएम ने कहा कि कृषि महाविद्यालय सबौर की स्थापना वर्ष 1908 में की गई थी और ये देश के पहले 5 कृषि महाविद्यालयों में से एक है. कृषि महाविद्यालय सबौर को 5 अगस्त 2010 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के रुप में परिणत किया गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा जो कि अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रुप में परिणत हो गया है. यह कृषि विश्वविद्यालय वर्ष 1905 में समस्तीपुर जिले के एक गांव में यू. एस. ए. के हेनरी फिप्स के सहयोग से इंपिरियल एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के रुप में स्थापित किया गया था.

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना
सीएम ने कहा कि वर्ष 1934 में भूकंप के कारण हुए नुकसान के बाद वर्ष 1936 में इस संस्थान को दिल्ली में स्थापित कर दिया गया. वर्तमान में यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली के नाम से जाना जाता है. वर्ष 1970 में पूसा समस्तीपुर में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय
सीएम नीतीश ने कहा कि डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के रुप में परिणत करने के पश्चात हमलोगों ने निर्णय लिया कि बिहार में एक बिहार कृषि विश्वविद्यालय स्थापित हो और इसे सबौर में ही स्थापित किया गया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर से जुड़े हुए और 5 नये कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई है. नालंदा के नूरसराय में उद्यान महाविद्यालय, सहरसा में मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, डुमरांव में वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय तथा किशनगंज में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम साहब के निधन के अगले दिन ही उनके सम्मान में उनके नाम पर ही किशनगंज महाविद्यालय का नाम डॉ. कलाम कृषि महाविद्यालय करने का निर्णय लिया गया. जहां 10 अगस्त 2015 से ही पढ़ाई शुरु की गई. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कृषि महाविद्यालय जैसा बड़ा कैंपस पूरे देश में कही नहीं है.

मुख्यमंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु:-

  1. मुख्य प्रशासनिक भवनों के साथ अन्य भवनों का उद्घाटन हुआ है, जिस पर 268 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं.
  2. बिहार के विकास के लिए कृषि का विकास बहुत जरूरी है.
  3. कृषि रोड मैप लागू होने से फसलों का उत्पादन और उनकी उत्पादकता दोनों बढ़ी है.
  4. मखाना पर और काम करने की जरूरत है. मखाना से देष भर को लगाव है. इसकी उत्पादन एवं उत्पादकता और बढ़े. हमलोगों का सपना है कि हर भारतीय थाल में एक बिहारी व्यंजन जरुर हो.
  5. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर अब राष्ट्रीय रैंकिंग में 18 वें नंबर पर आ गया है.
  6. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की ओर से धान के लिए सबौर अर्द्ध जल एवं गेहूं के लिए सबौर निर्जल प्रभेद विकसित किये गये हैं, यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है.
  7. जर्दालु आम, कतरनी चावल, मगही पान एवं शाही लीची को पेटेंट कर जीआई टैग प्राप्त हुआ है. बिहार के विशिष्ट उत्पाद मखाना भी जल्द से जल्द जी आई टैग प्राप्त करने की सभी कार्रवाई पूरी कर ली गई है.
  8. मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए राज्य के 8 जिलों में जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसे राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित करने को लेकर योजना बनाई जा रही है.
  9. पर्यावरण संरक्षण के लिए हमलोगों ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की है. जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है कि जल है, हरियाली है तभी जीवन सुरक्षित है.
  10. फसल अवशेष (पराली) जलाने से हो रहे पर्यावरण को नुकसान से बचाव के लिए किसानों को जागरूक करना होगा.
  11. हरित आवरण बढ़ाने के उद्देश्य से 9 अगस्त 2020 तक 2.51 करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य से आगे बढ़कर 3 करोड़ 47 लाख पौधे लगाये गये हैं.

जल-जीवन-हरियाली अभियान
बिहार में पर्यावरण के प्रति सभी लोग जागरुक हैं. 19 जनवरी 2020 को राज्य में 18 हजार किलोमीटर से अधिक की मानव श्रृंखला में जल-जीवन-हरियाली अभियान के समर्थन में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए राज्य के 8 जिलों में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया, पूसा, डॉ. राजेन्द्र केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र पूर्वी क्षेत्र, पटना के केंद्रों के माध्यम से जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसे राज्य के सभी जिलों में कार्यान्वित करने को लेकर योजना बनाई जा रही है.

जैविक खेती की शुरुआत
सीएम ने कहा गंगा किनारे 2.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की शुरुआत की गई है. केंद्र सरकार की ओर से भी कृषि के विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. राष्ट्रीय कृषि वागवानी मिशन 23 जिलों में शुरु की गई है, बाकि बचे जिलों में राज्य सरकार की तरफ से ये कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.

कई नेता रहे उपस्थित
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री प्रेम कुमार, भवन निर्माण मंत्री अशोक कुमार चैधरी, सचिव कृषि सह पशु एवं मत्स्य संसाधन एन. सरवन कुमार, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, योजना एवं विकास विभाग के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भागलपुर के सांसद अजय कुमार मंडल, विधायक लक्ष्मीकांत मंडल, विधायक सुबोध राय सहित अन्य जन प्रतिनिधिगण, वैज्ञानिकगण, शिक्षकगण, छात्र-छात्रायें जुड़े हुए थे.

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