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कोरोना और लॉक डाउन के कारण फीका हुआ त्योहार, छठ व्रतियों ने घर की छत पर दिया अर्घ्य

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ इस बार कोरोना वायरस और लॉक डाउन के कारण फीका नजर आया. एक ओर जहां बाजार मंदा रहा तो वहीं, दूसरी ओर छठव्रतियों की भी परेशानी बढ़ी नजर आई.

छठ व्रतियों ने अपने घर की छत पर ही दिया अर्घ्य
छठ व्रतियों ने अपने घर की छत पर ही दिया अर्घ्य
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Published : Mar 30, 2020, 7:15 PM IST

पटना: सोमवार को चैती छठ का तीसरा दिन रहा. डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा के तीसरे दिन की पूजा-अर्चना पूरी की गई. कोरोना वायरस और देशव्यापी लॉक डाउन के कारण लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में छठव्रती अपने घरों की छत पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते नजर आए.

बीते शनिवार को नहाय-खाय के साथ इस लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हुई थी. लेकिन, लॉक डाउन होने की वजह से पटना के दीघा इलाके में एक परिवार अपने घर की छत पर ही भगवान भास्कर को अर्घ्य देते दिखाई दिया. दरअसल, जिला प्रसासन की ओर से गंगा घाटों पर जाने से पाबंदी लगाई गई थी.

patna
अर्घ्य की तैयारी करती महिलाएं

साल में 2 बार मनाया जाता है छठ पर्व

बता दें कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक माह में होता है. बिहार में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम और पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है. 4 दिनों के इस पर्व में अनुष्ठान में सफाई और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है.

patna
घर की छत पर अर्घ्य देती छठव्रती

छठ का है खास महत्व

लोक आस्था के महापर्व छठ का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है. इस पर्व में वर्ती लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. यह त्योहार पूर्वी भारत में मुख्यत: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. हालांकि, अब तो छठ पर्व पूरे देश के साथ विदेशों में भी मनाया जाने लगा है.

patna
सूर्य देव के अस्त होने का इंतजार करती छठव्रती

पटना: सोमवार को चैती छठ का तीसरा दिन रहा. डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा के तीसरे दिन की पूजा-अर्चना पूरी की गई. कोरोना वायरस और देशव्यापी लॉक डाउन के कारण लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में छठव्रती अपने घरों की छत पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते नजर आए.

बीते शनिवार को नहाय-खाय के साथ इस लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हुई थी. लेकिन, लॉक डाउन होने की वजह से पटना के दीघा इलाके में एक परिवार अपने घर की छत पर ही भगवान भास्कर को अर्घ्य देते दिखाई दिया. दरअसल, जिला प्रसासन की ओर से गंगा घाटों पर जाने से पाबंदी लगाई गई थी.

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अर्घ्य की तैयारी करती महिलाएं

साल में 2 बार मनाया जाता है छठ पर्व

बता दें कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक माह में होता है. बिहार में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम और पूरी निष्ठा के साथ मनाया जाता है. 4 दिनों के इस पर्व में अनुष्ठान में सफाई और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है.

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घर की छत पर अर्घ्य देती छठव्रती

छठ का है खास महत्व

लोक आस्था के महापर्व छठ का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है. इस पर्व में वर्ती लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. यह त्योहार पूर्वी भारत में मुख्यत: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. हालांकि, अब तो छठ पर्व पूरे देश के साथ विदेशों में भी मनाया जाने लगा है.

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सूर्य देव के अस्त होने का इंतजार करती छठव्रती
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