पटनाः बिहार की राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में भी चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत का आगाज शुक्रवार को नहाय खाय के साथ हो गया है. इसी सिलसिले में पटना के गंगा घाटों पर नहाए-खाए के दिन से ही व्रतियों के साथ-साथ गंगा जल ले जाने के लिए व्रतियों के परिजनों की भीड़ उमड़ (Crowd gathered at Ganga Ghats of Patna) पड़ी. नेम-निष्ठा के इस पर्व में पवित्रता का काफी महत्व है. सभी छठव्रती सुबह से ही स्नान ध्यान कर मन को शुद्ध करते हुए चावल और कद्दू, चना का दाल के साथ प्रसाद बना रहे हैं और प्रसाद ग्रहण करने के बाद दूसरे दिन खरना और सूर्य देव की अर्घ्य देने की तैयारी करेंगे.
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चार दिनों का अनुष्ठान शुरू: लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान आज नहाए खाए से शुरू हो गया है. आज सभी छठ व्रती सुबह से ही नदी तालाबों में स्नान ध्यान कर शुद्ध मन से कद्दू चावल चना के दाल का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हुए भगवान सूर्य की आराधना में जुट जाएंगे. मसौढ़ी में शहर से लेकर गांव तक छठमय हो चुका है. ऐसे में मसौढ़ी में मणिचक सूर्य मंदिर तालाब घाट समेत विभिन्न 58 जगहों पर छठ पूजा को लेकर प्रशासनिक तैयारियां चल रही है जहां पर सुरक्षा साफ-सफाई रंग रोहन आदि की तैयारियां जोरों पर चल रही है.
"नहा कर व्रती दाल, कद्दू और चावल का सात्विक भोजन बनाते हैं और प्रसाद ग्रहण करेंगे. कल खरना है. विधि विधान से पूजा करने पर हर मुराद पूरी होती है" -श्वेता कुमारी, छठव्रती, तारेगना, मसौढ़ी
क्यों होती है छठी मैया की पूजा: भगवान सूर्य देव की बहन षष्ठी की पूजा छठ में की जाती है. छठी मैया के रूप में उन्हें पूजना कर हर छठ व्रती अपने मन्नतें पूरा करती हैं. कहा जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति और पूरे परिवार की सुख समृद्धि शांति के लिए छठ पूजा की जाती है और यह पर्व हिंदू के लिए नेम-निष्ठा का पर्व है. क्योंकि खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर निर्जला 36 घंटे का व्रत रखा जाता है, जो शुद्ध मन से हर छठ व्रत करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है, तो आज पूरे देश भर में छठ भर्ती नहाए खाए के साथ चार दिवस अनुष्ठान शुरू करेंगे.
"आज चना का दाल, कद्दू की सब्जी और चावल बनाकर भोग लगाया जाएगा. फिर कल खरना पूजा होगी. इसके बाद भगवान सूर्य को तीसरे दिन अर्ध्य दिया जाएगा" -नेहा कुमारी, छठव्रती, तारेगना, मसौढ़ी