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व्रती कर रहीं खरना पूजा, कोरोना के चलते छठ घाट सील - चैती छठ

कोरोना संक्रमण का असर चैती छठ पर देखने को मिल रहा है. सभी छठ घाट को पूर्णत: सील कर दिया गया है. छठ पूजा के लिए घाट पर जाने पर रोक के चलते लोग अपने घरों पर व्यवस्था कर रहे हैं. ग्रामीण इलाके में लोग छोटे-छोटे तालाब बना रहे हैं तो शहरी इलाके में घर की छत पर पूजा करने की व्यवस्था की जा रही है.

chhath puja
चैती छठ
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Published : Apr 17, 2021, 7:12 PM IST

पटना (मसौढ़ी): नहाए खाए के साथ ही लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. शनिवार को व्रती खरना पूजा कर रहीं है. कोरोना संक्रमण का असर चैती छठ पर देखने को मिल रहा है.

यह भी पढ़ें- नहाए खाए के साथ महापर्व चैती छठ शुरू, गंगा घाट पर नहीं कोई व्यवस्था

प्रशासन ने सभी छठ घाट को पूर्णत: सील कर दिया है. छठ पूजा के लिए घाट पर जाने पर रोक के चलते लोग अपने घरों पर व्यवस्था कर रहे हैं. ग्रामीण इलाके में लोग छोटे-छोटे तालाब बना रहे हैं तो शहरी इलाके में घर की छत पर पूजा करने की व्यवस्था की जा रही है.

खरना के बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
व्रती कोरोना की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए अपने घरों में छठ व्रत कर रहे हैं. शनिवार को सभी छठ वर्ती ने चावल, गुड़ और दूध से खरना का प्रसाद बनाया. खरना पूजा के बाद 36 घंटे का सभी छठ वर्ती निर्जला व्रत रखेंगे. रविवार शाम को डूबते हुए सूर्य और सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें- औरंगाबाद: नहाय खाय के साथ 4 दिवसीय छठ की हुई शुरुआत

पटना (मसौढ़ी): नहाए खाए के साथ ही लोक आस्था का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. शनिवार को व्रती खरना पूजा कर रहीं है. कोरोना संक्रमण का असर चैती छठ पर देखने को मिल रहा है.

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प्रशासन ने सभी छठ घाट को पूर्णत: सील कर दिया है. छठ पूजा के लिए घाट पर जाने पर रोक के चलते लोग अपने घरों पर व्यवस्था कर रहे हैं. ग्रामीण इलाके में लोग छोटे-छोटे तालाब बना रहे हैं तो शहरी इलाके में घर की छत पर पूजा करने की व्यवस्था की जा रही है.

खरना के बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
व्रती कोरोना की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए अपने घरों में छठ व्रत कर रहे हैं. शनिवार को सभी छठ वर्ती ने चावल, गुड़ और दूध से खरना का प्रसाद बनाया. खरना पूजा के बाद 36 घंटे का सभी छठ वर्ती निर्जला व्रत रखेंगे. रविवार शाम को डूबते हुए सूर्य और सोमवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

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